Sunday, March 23, 2025
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Prabhasakshi NewsRoom: Arshad Madani ने किया Iftar Party का राजनीतिकरण, बोले- Chandrabau, Nitish और Chirag की दावतों में नहीं जाएं मुसलमान

इफ्तार और ईद मिलन कार्यक्रमों को वैसे तो एक दूसरे को गले लगाने, शिकवे-शिकायत दूर करने और राजनीति से परे रह कर मिलने मिलाने के अवसर के तौर पर भी देखा जाता है लेकिन कुछ कट्टरवादी लोग इफ्तार और ईद मिलन कार्यक्रमों का राजनीतिकरण करने में लगे हैं। वर्षों से अपने समाज में भ्रम फैला कर उसे पिछड़ा बनाए रखने वाले मौलाना जिस तरह ईद मिलन और इफ्तार की दावतों का राजनीतिकरण कर रहे हैं वह दर्शाता है कि यह लोग समाज में मेलजोल बनाए रखने की अपेक्षा अपनी राजनीति चमकाने में ज्यादा रुचि रखते हैं।
हम आपको बता दें कि प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक पर रुख को देखते हुए वह नीतीश कुमार, एन चंद्रबाबू नायडू और चिराग पासवान के इफ्तार, ईद मिलन और दूसरे कार्यक्रमों का बहिष्कार करेगा तथा दूसरे मुस्लिम संगठनों को भी ऐसा करना चाहिए। जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने एक बयान में आरोप लगाया कि ये नेता सरकार के ‘संविधान विरोधी कदमों’ का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया, ‘‘देश में इस समय जिस तरह के हालात हैं और खासकर अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों के साथ जो अन्याय और अत्याचार किया जा रहा है, वह किसी से छुपा नहीं है। लेकिन यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि खुद को धर्मनिरपेक्ष और मुसलमानों का हमदर्द बताने वाले नेता, जिनकी राजनीतिक सफलता में मुसलमानों का भी योगदान रहा है, वे सत्ता के लालच में न केवल खामोश हैं, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से अन्याय का समर्थन भी कर रहे हैं।’’ अरशद मदनी ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू और चिराग पासवान जैसे नेता सत्ता की खातिर न केवल मुसलमानों के खिलाफ हो रहे अन्याय को नजरअंदाज कर रहे हैं, बल्कि देश के संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की भी अनदेखी कर रहे हैं।

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उन्होंने कहा, ‘‘वक्फ संशोधन विधेयक पर इन नेताओं का रवैया इनके दोहरे चरित्र को उजागर करता है। ये नेता केवल मुसलमानों के वोट हासिल करने के लिए दिखावे का धर्मनिरपेक्षता को अपनाते हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद मुस्लिम समुदाय के मुद्दों को पूरी तरह भुला देते हैं। इसी के मद्देनजर जमीयत उलमा-ए-हिंद ने निर्णय लिया है कि वह ऐसे नेताओं के आयोजनों में शामिल होकर उनकी नीतियों को वैधता प्रदान नहीं करेगी।’’ मदनी ने देश के अन्य मुस्लिम संगठनों से भी अपील की है कि वे भी इस सांकेतिक विरोध में शामिल हों और इन नेताओं की इफ्तार पार्टी और ईद मिलन जैसे आयोजनों में भाग लेने से परहेज करें।
यहां मदनी से सवाल किया जाना चाहिए कि यदि उन्हें वक्फ विधेयक संविधान विरोधी लग रहा है तो कर्नाटक में धर्म के आधार पर दिया जा रहा आरक्षण संविधान विरोधी क्यों नहीं लग रहा है? जाहिर है यदि अतिरिक्त मिल जाये तो उस पर वह कुछ बोलेंगे नहीं और खामियों को दुरुस्त कर दिया जाये तो उन्हें बुरा लगेगा ही।
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