Monday, October 6, 2025
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Prabhasakshi NewsRoom: Indian Navy के पास नहीं है एक भी MCMV, China, Pakistan से बढ़ते खतरे को देखते हुए Modi Govt. उठाने वाली है बड़ा कदम

भारत ने दुश्मन ताकतों द्वारा बंदरगाहों और पोतों को अवरुद्ध करने, शिपिंग और समुद्री व्यापार को बाधित करने के लिए पानी के भीतर बिछाई गईं माइन्स का पता लगाने, उनका पीछा करने और उन्हें नष्ट करने के लिए 12 विशेष युद्धपोतों के निर्माण के लंबे समय से लंबित प्रस्ताव को फिर से चर्चा के लिए निकाला है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक रक्षा मंत्रालय नौसेना के लिए लगभग ₹44,000 करोड़ की अनुमानित लागत वाले इन 12 उन्नत माइनस्वीपर्स या माइन काउंटरमेजर वेसल्स (MCMVs) की खरीद का मामला जल्द ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली डिफेंस अक्विजीशन्स काउंसिल (DAC) के सामने “आवश्यकता की स्वीकृति (AoN)” प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। इसके बाद “ओपन टेंडर” या RFP (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) जारी किया जाएगा, जिसके तहत भारतीय शिपयार्ड्स को तकनीकी और व्यावसायिक प्रस्ताव जमा करने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। एक सूत्र ने बताया, “कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर होने के बाद पहले MCMV को तैयार होने में कम से कम 7-8 साल लगेंगे।”
हम आपको बता दें कि चीनी परमाणु और पारंपरिक पनडुब्बियां चुपचाप समुद्री खदानें बिछा सकती हैं, इसको देखते हुए MCMVs बेहद आवश्यक हो गए हैं। इसके अलावा पाकिस्तान भी अपनी अंडरवाटर कॉम्बैट फ्लीट में तेजी से इज़ाफा कर रहा है और उसे चीन से आठ नई युआन-क्लास डीज़ल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियाँ मिलने वाली हैं।

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चिंताजनक रूप से भारतीय नौसेना के पास वर्तमान में एक भी MCMV नहीं है। पहले की छह करवार-क्लास और दो पांडिचेरी-क्लास माइनस्वीपर्स वर्षों पहले सेवानिवृत्त हो चुके हैं। नौसेना वर्तमान में कुछ जहाजों पर “क्लिप-ऑन माइन काउंटरमेजर सूट्स” लगाकर इस महत्वपूर्ण कमी को भरने की कोशिश कर रही है, जबकि देश की 7,516 किलोमीटर लंबी समुद्री सीमा तथा 13 प्रमुख और 200 से अधिक छोटे बंदरगाहों की रक्षा के लिए 24 MCMVs की आवश्यकता है। बताया जाता है कि सस्ती और अपेक्षाकृत आसान पद्धति से पानी के भीतर माइन्स लगाकर युद्धपोतों, व्यापारी जहाजों और टैंकरों को दुश्मन उड़ा सकता है इसलिए MCMV आवश्यक हो गया है।
हम आपको याद दिला दें कि 12 MCMVs की खरीद की प्रक्रिया जुलाई 2005 में शुरू हुई थी, जो बाद में गोवा शिपयार्ड और दक्षिण कोरियाई कंपनी कांगनाम के बीच इन विशेष जहाजों के निर्माण के लिए एक साझेदारी में बदली। लेकिन लागत, तकनीकी हस्तांतरण और निर्माण रणनीति को लेकर बातचीत अटक गई और ₹32,000 करोड़ की यह परियोजना 2017-18 में रक्षा मंत्रालय द्वारा रद्द कर दी गई। हम आपको बता दें कि लगभग 900-1,000 टन वजनी ये MCMVs चुंबकीय गुणों से मुक्त पतवार (non-magnetic hulls) वाले होते हैं और इनमें उच्च-परिभाषा सोनार, ध्वनिक और चुंबकीय स्वीप्स लगे होते हैं, जो पानी के भीतर बिछाई गई या बहती माइन्स का पता लगाते हैं। फिर ये पोत रिमोट-कंट्रोल प्रणालियों जैसे छोटे अंडरवाटर वाहनों का उपयोग करके सुरक्षित दूरी से खदानों को नष्ट करते हैं।
हम आपको बता दें कि 130 से अधिक युद्धपोतों वाली नौसेना ने इस महीने की शुरुआत में “ऑपरेशन सिंदूर” के दौरान चुपचाप लेकिन निर्णायक भूमिका निभाई, जिसमें पाकिस्तान को आगे बढ़ने से रोकने के लिए INS विक्रांत, युद्धपोतों और पनडुब्बियों को उत्तरी अरब सागर में तैनात किया गया। हम आपको बता दें कि वर्तमान में नौसेना के पास भारतीय शिपयार्ड्स में 60 युद्धपोत निर्माणाधीन हैं। साथ ही अगले महीने रूस के कालिनिनग्राद में दूसरा 3,900 टन वजनी बहु-भूमिका फ्रिगेट INS तमाल के रूप में कमीशन किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, सात नई पीढ़ी के फ्रिगेट, आठ कार्वेट और छह स्टील्थ डीज़ल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों सहित 31 अन्य युद्धपोतों के लिए प्रारंभिक स्वीकृति (AoN) मिल चुकी है। MCMVs की खरीद इस संख्या में और इज़ाफा करेगी।
हम आपको बता दें कि मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि भारतीय शिपयार्ड्स में निर्माण की धीमी गति और पुराने युद्धपोतों के सेवानिवृत्त होने के कारण नौसेना 2030 तक केवल लगभग 160 युद्धपोतों के बल-स्तर तक ही पहुंच पाएगी। इसलिए देखना होगा कि मोदी सरकार आने वाले दिनों में नौसेना की ताकत में कैसे और इजाफा करती है।
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