Sunday, December 28, 2025
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Prabhasakshi NewsRoom: UN के मंच से Shehbaz Shairf ने भारत पर जीत का दावा किया, पलटवार में Petal Gahlot का तीखा व्यंग्य पूरी दुनिया की सुर्खियों में आ गया

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में आज भारत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के दावों को सख़्ती से खारिज करते हुए तगड़ा जवाब दिया। हम आपको बता दें कि शहबाज शरीफ़ ने “ऑपरेशन सिंदूर” और भारत–पाक संघर्ष को लेकर जो बातें कहीं, उन्हें भारत ने झूठा प्रचार करार दिया। भारत की स्थायी मिशन में प्रथम सचिव पेटल गहलोत ने अपने राइट ऑफ रिप्लाई में पाकिस्तान पर आतंकवादी संगठनों को शरण देने और पराजय को विजय के रूप में प्रस्तुत करने का आरोप लगाया।
पेटल गहलोत ने महासभा को याद दिलाया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की सैन्य क्षमता बुरी तरह ध्वस्त हो चुकी थी। उसके वायुसेना अड्डे नष्ट हो गए थे और रनवे जलकर राख हो गए थे। उन्होंने तीखे शब्दों में कहा— “यदि जले हुए हैंगर और टूटे हुए रनवे पाकिस्तान को जीत लगते हैं, तो वह इस तथाकथित विजय का आनंद ले सकता है।” यह टिप्पणी न केवल पाकिस्तान की पराजय पर करारा व्यंग्य थी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष उसके खोखले दावों का पर्दाफाश भी था।

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उन्होंने यह भी कहा, “जब पाकिस्तान के वरिष्ठ सैन्य और नागरिक अधिकारी खुलेआम इन कुख्यात आतंकवादियों का महिमामंडन करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं, तो इस सरकार की मानसिकता पर कोई शक रह ही नहीं जाता।” गहलोत ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद एक तस्वीर वायरल हुई थी, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी हाफिज अब्दुल रऊफ मुरिदके में स्थित लश्कर मुख्यालय पर हुए हमलों में मारे गए लोगों के जनाजे में नमाज अदा करवा रहा था। इस जनाजे में पाकिस्तान सेना के सदस्य भी मौजूद थे। उन्होंने कहा, “याद दिला दें कि पाकिस्तान ने एक दशक तक ओसामा बिन लादेन को पनाह दी, जबकि वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में साझेदार बनने का दिखावा करता रहा। इसके मंत्रियों ने हाल ही में खुद स्वीकार किया है कि वे दशकों से आतंकी शिविर संचालित कर रहे हैं।”
हम आपको बता दें कि पेटल गहलोत भारतीय विदेश सेवा की एक तेज़-तर्रार अधिकारी हैं। जुलाई 2023 में वह भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव नियुक्त हुई थीं और सितंबर 2024 से संयुक्त राष्ट्र में सलाहकार की भूमिका निभा रही हैं। इससे पहले उन्होंने विदेश मंत्रालय में अवर सचिव के रूप में सेवा दी। राजनीति शास्त्र, समाजशास्त्र और विभिन्न भाषाओं में उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि उन्हें अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के मंच पर प्रभावी वक्ता बनाती है। विशेष रूप से अनुवाद और व्याख्या में उनकी विशेषज्ञता उन्हें बहुपक्षीय मंचों पर भारत का संदेश सटीक ढंग से प्रस्तुत करने में सक्षम बनाती है।
गहलोत ने अपने वक्तव्य में यह भी याद दिलाया कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस वर्ष “दि रेज़िस्टेंस फ्रंट” (TRF) को बचाने की कोशिश की थी, यह वही आतंकी संगठन है जिसने पहलगाम हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या की थी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का यह रवैया नया नहीं है। ओसामा बिन लादेन को वर्षों तक शरण देना और फिर दुनिया के सामने आतंकवाद विरोधी साझेदार होने का दावा करना, उसकी दोहरी नीति का उदाहरण है। हम आपको बता दें कि पाकिस्तान आतंकवाद को “राजनीतिक औजार” की तरह इस्तेमाल करता है। यही कारण है कि भारत ने बार-बार साफ़ किया है कि किसी भी संवाद या वार्ता की शुरुआत तभी संभव है जब पाकिस्तान आतंकवादी ढांचे को ध्वस्त करे और वांछित आतंकियों को सौंपे।
भारत की यह स्थिति संयुक्त राष्ट्र मंच पर एक बार फिर स्पष्ट की गई कि भारत–पाक के सभी लंबित मुद्दों का समाधान द्विपक्षीय ढंग से ही होगा। किसी तीसरे पक्ष या अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की यहाँ कोई गुंजाइश नहीं है। इस बयान से भारत ने अपने दृढ़ कूटनीतिक रुख को पुनः दोहराया और पाकिस्तान की उस पुरानी आदत को भी चुनौती दी जिसमें वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मध्यस्थता की मांग करता रहा है। हम आपको यह भी बता दें कि भारत लगातार यह कहता आया है कि संघर्षविराम पर सहमति दोनों देशों की सेनाओं के सैन्य संचालन महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच सीधी बातचीत के बाद बनी थी।
हम आपको बता दें कि शहबाज शरीफ ने अपने भाषण में दावा किया था कि हालिया संघर्ष में उनका देश “युद्ध जीत गया।” उन्होंने संघर्ष रोकने को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता का परिणाम बताया और साथ ही कश्मीर मुद्दा भी उठाया। शहबाज शरीफ ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उल्लेख करते हुए यह भी दावा किया कि मई में चार दिन तक चले संघर्ष के दौरान “भारत के सात विमान क्षतिग्रस्त हुए थे।”
बहरहाल, संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की तीखी प्रतिक्रिया न केवल पाकिस्तान की झूठी बयानबाज़ी का करारा जवाब थी, बल्कि यह भी दर्शाती है कि भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष अपने रुख को लेकर कितना स्पष्ट और आत्मविश्वासी है। पाकिस्तान के लिए यह संदेश साफ़ है कि पराजय को विजय का आवरण देकर वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर विश्वसनीयता हासिल नहीं कर सकता। भारत ने एक बार फिर दिखा दिया कि आतंकवाद के मुद्दे पर वह न तो समझौता करेगा और न ही पीछे हटेगा। देखा जाये तो पाकिस्तान की झूठी बयानबाज़ी के बीच भारत की यह सशक्त आवाज़ अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में उसकी बढ़ती प्रतिष्ठा का प्रमाण है।
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