Wednesday, November 19, 2025
spot_img
Homeराष्ट्रीयRed Fort blast जांच में Threema एप का डिजिटल नेटवर्क उजागर

Red Fort blast जांच में Threema एप का डिजिटल नेटवर्क उजागर

दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट की जांच में सुरक्षा एजेंसियों को एक नया डिजिटल सुराग मिला है। मौजूद जानकारी के अनुसार, जांच में सामने आया है कि इस घटना से जुड़े तीन डॉक्टर डॉ. उमर उन नबी, डॉ. मुझम्मिल गणाई और डॉ. शाहीन शाहिद एक स्विस मैसेजिंग एप थ्रीमा  के जरिए लगातार गुप्त बातचीत करते रहे हैं। बता दें कि तीनों आरोपी फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े बताए जा रहे हैं।
जांच अधिकारियों का कहना है कि थ्रीमा  की हाई-लेवल एन्क्रिप्शन और पहचान छुपाने वाली प्रणाली ने पूरी जांच को काफी जटिल बना दिया है। गौरतलब है कि इस एप में न मोबाइल नंबर की जरूरत होती है और न ईमेल की, बल्कि एक रैंडम आईडी से ही पूरा अकाउंट चलाया जा सकता है। इसी वजह से तीनों आरोपी लंबे समय तक सुरक्षा एजेंसियों की नजर से दूर रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो आरोपियों ने आगे चलकर अपना निजी थ्रीमा सर्वर भी बना लिया था। इसी सर्वर के जरिए लोकेशन, फाइलें, मैप और ब्लास्ट से जुड़ी प्लानिंग साझा की जाती थी। एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन, मेटाडाटा न स्टोर करने की नीति और दोनों तरफ से चैट डिलीट कर पाने की सुविधा ने फॉरेंसिक टीम के लिए किसी भी चैट या डेटा को ट्रैक करना लगभग नामुमकिन कर दिया है।
अब एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि यह निजी सर्वर भारत में था या विदेश में, और क्या इस नेटवर्क में और लोग भी शामिल हैं। बता दें कि थ्रीमा एप भारत में मई 2023 से बैन है। उस दौरान सरकार ने IT Act की धारा 69A के तहत कई हाई-एन्क्रिप्शन एप्स पर प्रतिबंध लगाया था क्योंकि जांच में पता चला था कि पाकिस्तान आधारित कई ग्रुप इन्हीं प्लेटफॉर्म्स के जरिए भारत में प्रोपेगेंडा और नेटवर्किंग कर रहे थे।
बैन के बावजूद एजेंसियों को शक है कि आरोपियों ने VPN का इस्तेमाल कर पाबंदियों को दरकिनार किया है। विदेश यात्रा, खासकर तुर्की और UAE के दौरान, इस एप का इस्तेमाल उनके लिए बिल्कुल आसान रहा होगा। इसके अलावा थ्रीमा की पेमेंट प्रणाली भी जांच को और मुश्किल बनाती है, क्योंकि एप की खरीद नकद राशि स्विट्जरलैंड भेजकर या बीटकॉइन के जरिए की जा सकती है, जिससे कोई डिजिटल ट्रेल नहीं बनता है।
जानकारों का मानना है कि यह मामला साफ दिखाता है कि अब आतंकवादी संगठन तकनीक का इस्तेमाल कर अपने नेटवर्क और गतिविधियों को और भी छुपा रहे हैं। फॉरेंसिक टीमें लगातार डिजिटल डाटा की परतें खोलने में लगी हैं और साफ संकेत हैं कि आने वाले समय में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और भी नई चुनौतियां लेकर आने वाली हैं।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments