आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल बलात्कार-हत्या मामले में एक नए घटनाक्रम में सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता के माता-पिता को कलकत्ता उच्च न्यायालय जाने की अनुमति दे दी है। पूरा मामलाकोलकाता स्थित चिकित्सा संस्थान के परिसर में एक स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ दुखद बलात्कार और हत्या से संबंधित है। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता, पीड़िता के माता-पिता, कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका को आगे बढ़ाने के लिए स्वतंत्र हैं। अदालत ने इस स्तर पर नए सिरे से सीबीआई जांच के लिए कोई निर्देश जारी करने से परहेज किया और आगे के विचार के लिए कानूनी पाठ्यक्रम को राज्य न्यायपालिका को वापस भेज दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता करुणा नंदी ने पीड़िता के परिवार का प्रतिनिधित्व किया। सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एजेंसी का पक्ष रखा।
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पीड़िता के लिए न्याय की मांग को लेकर कोलकाता में रैलियां
इस महीने की शुरुआत में पीड़िता के लिए न्याय की मांग को लेकर कोलकाता में दो रैलियां आयोजित की गई थीं। जघन्य अपराध के सात महीने पूरे होने के उपलक्ष्य में नागरिक समाज के एक वर्ग द्वारा आयोजित रैलियों में 1 मार्च को विरोध प्रदर्शन के दौरान शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु के वाहन की चपेट में आने से जादवपुर विश्वविद्यालय परिसर में एक छात्र के घायल होने की भी निंदा की गई। दोनों रैलियां हाजरा क्रॉसिंग और एस्प्लेनेड से शुरू होकर रवींद्र सदन में एकत्रित हुईं। रैलियों में भाग लेने वालों ने मांग की कि पोस्ट-ग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या में शामिल सभी लोगों को सीबीआई द्वारा न्याय के कटघरे में लाया जाए, जो कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर अपराध की जांच कर रही है।
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पूर्व नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को डॉक्टर के जघन्य बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी पाए जाने के बाद यहां सियालदह सत्र न्यायालय ने अपने प्राकृतिक जीवन के अंत तक कारावास की सजा सुनाई है। हालांकि, केंद्रीय एजेंसी मामले की जांच जारी रखे हुए है। पीड़िता के माता-पिता ने दावा किया है कि इस अपराध में अन्य लोग भी शामिल थे तथा उन्होंने मांग की है कि इस अपराध में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल सभी लोगों को सजा दी जाए।