Wednesday, November 19, 2025
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Rudra Brigade की अपार शक्ति देख Indian Army अब Cold Start Strategy को Cold Strike Doctrine में बदलने जा रही है

हाल ही में संपन्न तीनों सेनाओं के संयुक्त युद्धाभ्यास ‘त्रिशूल’ के दौरान नवगठित एकीकृत ‘रुद्र’ ऑल-आर्म्स ब्रिगेड की अभूतपूर्व सफलता ने भारतीय सेना के सामरिक सिद्धांतों को एक नया मोड़ दे दिया है। हम आपको बता दें कि सेना अब अपने पारंपरिक ‘कोल्ड स्टार्ट’ सिद्धांत को और अधिक प्रभावी यानि ‘कोल्ड स्ट्राइक’ मॉडल में बदलने जा रही है, जो शत्रु-क्षेत्र में अधिक तीव्र, सघन और निर्णायक प्रहार की क्षमता प्रदान कर सकता है।
दक्षिणी कमान के सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने ‘त्रिशूल’ अभ्यास के अंतर्गत रेगिस्तानी क्षेत्र में संचालित ‘अखंड प्रहार’ अभ्यास की समीक्षा के बाद स्पष्ट कहा कि रुद्र ब्रिगेड ने युद्धक, रसद और सभी लड़ाकू अंगों के एकीकृत प्रयोग के साथ अपने को “पूरी तरह से ऑपरेशनल रूप से सिद्ध” किया है। उनका यह बयान केवल सैन्य उपलब्धि का आकलन नहीं, बल्कि भविष्य की भारतीय रणनीतिक सोच का संकेत भी है। जनरल सेठ के शब्दों में, “अब समय आ गया है कि कोल्ड स्टार्ट को कोल्ड स्ट्राइक में बदल दिया जाए। रुद्र ब्रिगेड भविष्य में बहु-आयामी अभियानों में निर्णायक सफलता प्राप्त करेगी।”

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देखा जाये तो यह घोषणा भारतीय सेना की बढ़ती क्षमताओं, उसके आत्मविश्वास और बदलते सुरक्षा परिवेश के प्रति उसकी तत्परता का प्रमाण है। वैसे यह समझना आवश्यक है कि ‘कोल्ड स्ट्राइक’ की अवधारणा अचानक नहीं आई है। 2001 में संसद पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन पराक्रम के तहत अपनी ‘स्ट्राइक फॉर्मेशंस’ को पाकिस्तान सीमा पर तैनात किया था, परंतु इन सेनाओं को सीमा-लॉन्च पैड तक पहुँचने में लगभग एक महीना लग गया। यह धीमी लामबंदी सामरिक रूप से नुकसानदेह सिद्ध हुई, तब तक पाकिस्तान ने रक्षा-तैयारियाँ मजबूत कर ली थीं और अमेरिका ने भी भारत को किसी भी जवाबी सैन्य कार्रवाई से रोकने का दबाव बनाया था।
इसी कठोर अनुभव ने भारतीय सेना को तेज़, सीमित और बहुआयामी अभियानों के सिद्धांत Cold Start पर विचार करने के लिए प्रेरित किया। यह सिद्धांत बताता है कि सीमित युद्धक्षेत्र में, परमाणु खतरे के साये में भी, सेनाएँ अत्यधिक तीव्रता से सीमित लेकिन प्रभावी कार्रवाई कर सकती हैं। परंतु समय के साथ सैन्य तकनीकें बदलती गईं, शत्रु का चरित्र परिवर्तित हुआ और आधुनिक युद्धक्षेत्र में नेटवर्क-सेंट्रिक, तेज़-प्रतिक्रिया वाली संयुक्त ऑपरेशनों की आवश्यकता बढ़ गई। इस नए परिवेश में ‘कोल्ड स्ट्राइक’ एक स्वाभाविक विकास है जो केवल तेज़ी ही नहीं, बल्कि अधिक समेकित, स्वावलंबी और बहु-आयामी प्रहार क्षमता का प्रतीक है।
हम आपको बता दें कि 11.5 लाख सैनिकों वाली भारतीय सेना आज 250 से अधिक पारंपरिक ‘सिंगल-आर्म’ ब्रिगेडों को आधुनिक ‘रुद्र ऑल-आर्म्स ब्रिगेडों’ में बदलने की प्रक्रिया में है। हर रुद्र ब्रिगेड में पैदल सेना, मैकेनाइज़्ड इन्फैंट्री, बख्तरबंद टैंक रेजिमेंट्स, तोपखाना, वायु प्रतिरक्षा, इंजीनियर, सिग्नल, ड्रोन स्क्वॉड्रन जैसी इकाइयाँ सम्मिलित होंगी और इनके साथ युद्धक-समर्थन एवं रसद तंत्र भी एकीकृत रूप से मौजूद रहेगा। यानि एक रुद्र ब्रिगेड शांति और युद्ध, दोनों स्थितियों में एक पूर्ण, स्वयंपूर्ण युद्धक समूह है, जो बिना समय गंवाए किसी भी अभियान के लिए तैयार हो सकता है। यह ‘इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप’ की उस संकल्पना को मूर्त रूप देता है, जिसे भारतीय सेना वर्षों से विकसित कर रही थी।
हम आपको बता दें कि चीन सीमा पर लद्दाख और सिक्किम में दो रुद्र ब्रिगेड पहले ही कार्यशील हैं। सीमा पर उनका होना न केवल सामरिक प्रतिरोध सुनिश्चित करता है, बल्कि यह बताता है कि भारतीय सेना अब हर मोर्चे पर तेज़-प्रतिक्रिया तकनीकों से लैस हो रही है।
हम आपको बता दें कि त्रिशूल युद्धाभ्यास के दौरान 12 ‘कोणार्क’ कोर ने जिस तरह से रुद्र ब्रिगेड ‘ब्लैक मेस’ को तैनात किया, वह हमारे सैन्य कौशल का अनुपम उदाहरण है। यह अभ्यास सिर्फ भूमि-आधारित युद्ध कौशल का परीक्षण नहीं था; इसमें हेलिबॉर्न ऑपरेशन, मैकेनाइज़्ड इन्फैंट्री की गतिशीलता, टैंक-मैनुवर, आर्टिलरी प्रहार, ड्रोन-सहायता से लक्ष्य-निर्धारण और विशेष बलों के ऑपरेशन शामिल थे। इसमें सबसे महत्वपूर्ण था— वायुसेना और थलसेना का अभूतपूर्व समन्वय। IAF के फाइटर ग्राउंड अटैक मिशन्स ने भूमि सेना को प्रत्यक्ष समर्थन दिया, जिससे यह अभ्यास एक पूर्ण joint warfare का उत्कृष्ट उदाहरण बन गया।
देखा जाये तो ‘कोल्ड स्ट्राइक’ का सिद्धांत केवल एक सैन्य रणनीति नहीं, बल्कि भारत की सामरिक आत्मनिर्भरता और सुरक्षा-दृष्टि के परिपक्व होने का संकेत है। पाकिस्तान भले ही अपने शॉर्ट-रेंज ‘नसर’ जैसे परमाणु-कैपेबल हथियारों का प्रचार करता रहा हो, परंतु भारत की रणनीतिक सोच अब इन धमकियों से अप्रभावित, शांत और व्यवहारिक दिशा की ओर बढ़ रही है। रुद्र ब्रिगेडों के गठन से भारतीय सेना अब multi-domain operations, network-enabled warfare और तीव्र निर्णायक युद्धाभ्यास जैसी आधुनिक क्षमताओं से कहीं अधिक सशक्त हो रही है।
वैसे यह स्वाभाविक है क्योंकि भारतीय सेना केवल हथियारों से शक्तिशाली नहीं होती; उसकी असली शक्ति उसके जवानों के अटूट साहस, अनुशासन और देशभक्ति में निहित है। चाहे करगिल की ऊँचाइयाँ हों, रेगिस्तान की तपती रेत हो या पूर्वी लद्दाख की बर्फीली सीमाएँ, भारतीय सैनिक हर परिस्थिति में साहस और पराक्रम का डटकर परिचय देते हैं।
बहरहाल, रुद्र ब्रिगेडों का उभार और ‘कोल्ड स्ट्राइक’ का प्रस्ताव भारतीय सेना के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ की तरह है। यह भविष्य की युद्ध-स्थितियों को ध्यान में रखकर बनाई गई एक दूरदर्शी रणनीति है, जो तेज़, लचीली, प्रभावी और बहु-आयामी सैन्य शक्ति का निर्माण करती है। भारतीय सेना के शौर्य और रणनीतिक कौशल ने इस नए युग की नींव रख दी है। देखा जाये तो आज भारत सिर्फ अपनी सीमाओं की रक्षा नहीं कर रहा, बल्कि यह संदेश भी दे रहा है कि वह हर परिस्थिति में तैयार है— तेजी से और पहले से अधिक प्रभाव के साथ।
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