Friday, August 1, 2025
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Russia को ईरान समझ लिया क्या? अमेरिका-NATO को पुतिन का संदेश, सैन्य ठिकानों को छुआ तो सीधा परमाणु बम से बात करेंगे

रूस और यूक्रेन के बीच की जंग को लंबा वक्त बीत चुका है। लगातार रूस की तरफ से यूक्रेन पर हमला किया जा रहा है। यूक्रेन भी अपनी तरफ से जवाब दे रहा है। ट्रंप ने सत्ता संभालने के बाद युद्ध को समाप्त करवाने की कोशिश तो भरपूर की। इसके लिए व्हाइट हाउस में ट्रंप, जेलेंस्की और जेडी वेंस के बीच मीटिंग भी हुई। लेकिन वो मीटिंग देखते ही देखते एक तीखी बहसबाजी में बदल गई और इसकी चर्चा पूरी दुनिया में हुई। जेलेंस्की ने ट्रंप को बकायदा जवाब दिया। उन्होंने साफ किया कि पीछे हटने वाले नहीं है। इसके साथ ही जेलेस्की ये संदेश देने में भी सफल रहे कि आपके ही दम पर हमने ये जंग लड़ी और फिर अब आप पीछे हटने को तैयार हैं। ऐसे में अमेरिका की मजबूरी है कि वो यूक्रेन का साथ दे। लेकिन रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिका जिस तरह से बयानबाजी कर रहा है। उसके बाद रूस भड़का हुआ है। रूस ने साफ किया है कि अगर आंख उठाकर उसके प्रमुख शहरों की तरफ देखा गया तो फिर भीषण अंजाम भुगतना होगा। 

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रूस ने नाटो देशों को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उसके रणनीतिक रूप से अहम कालिनिग्राद क्षेत्र पर कोई भी हमला हुआ तो इसका अंजाम बेहद ही विस्फोटक, विनाशकर होगा। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबी  और रूसी सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पत्रुशेव ने ये बातें कही और कहा कि कालिनिग्राद उसका प्रमुख हिस्सा है। अगर नाटो देश उसकी तरफ नजर उठाकर देंखेंगे या कोई भी कार्रवाई कालिनिग्राद पर हुई तो फिर सैन्य साधनों का इस्तेमाल हम करेंगे और ऐसा जवाब दिया जाएगा, जिसे दुनिया हमेशा याद रखेगी। रूस का कलिनिनग्राद क्षेत्र पिछले कुछ दिनों से पूरी दुनिया में चर्चा में है। इसकी वजह इस क्षेत्र को लेकर अमेरिकी जनरल का बयान और उस पर रूस की तीखी प्रतिक्रिया है। रूस ने कहा है कि अगर अमेरिका या नाटो सेनाएँ कलिनिनग्राद क्षेत्र पर हमला करती हैं, तो इससे तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो सकता है। रूस ने कहा कि वह किसी भी कीमत पर कलिनिनग्राद क्षेत्र की रक्षा करेगा। 

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रूस के लिए कलिनिनग्राद इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

कैलिनिनग्राद क्षेत्र रूस के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पोलैंड और लिथुआनिया के बीच स्थित कैलिनिनग्राद पर रूस का नियंत्रण है। हालाँकि, यह रूस की मुख्य भूमि से कटा हुआ है। नाटो और पश्चिमी देशों को लगता है कि पुतिन इस क्षेत्र का इस्तेमाल यूरोप पर हमला करने के लिए कर सकते हैं। इस रणनीतिक क्षेत्र का इस्तेमाल करके, रूस सुवाल्की गैप पर भी कब्ज़ा कर सकता है। लगभग 60 मील चौड़ी यह दुर्गम भूमि पट्टी, बाकी नाटो देशों को बाल्टिक देशों से जोड़ती है। रूस से सैकड़ों किलोमीटर दूर, रूसी एक्सक्लेव कलिनिनग्राद ओब्लास्ट, पोलैंड और लिथुआनिया के बीच स्थित 15,100 वर्ग किलोमीटर का एक छोटा सा भूभाग है। द्वितीय विश्व युद्ध के तुरंत बाद जर्मन शहर कोनिग्सबर्ग और उसके आसपास के क्षेत्र को सोवियत संघ को सौंप दिया गया था। 1946 में इसका नाम बदलकर कलिनिनग्राद कर दिया गया।

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