Monday, March 17, 2025
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Sansad Diary: विपक्ष ने पूछा- क्या रेलवे को मित्रों को देने की तैयारी है? Ashwini Vaishnaw ने दिया जवाब

संसद के दोनों सदनों में आज रेल मंत्रालय के कामकाज और अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने रेल मंत्री को जोरदार तरीके से घेरा। कांग्रेस ने तो भारतीय रेल की वित्तीय स्थिति को चिंताजनक करार देते हुए दावा किया कि देश की यह जीवनरेखा आज ‘वेंटिलेटर’ पर है और ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इसे ‘मित्रों के हवाले करने’ की तैयारी है। हालांकि अपने जवाब में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारतीय रेलवे की वित्तीय स्थिति अच्छी है और इसमें लगातार सुधार के प्रयास जारी हैं। रेल मंत्रालय के कामकाज पर उच्च सदन में हुयी चर्चा का जवाब देते हुए वैष्णव ने कहा कि रेलवे ने कोविड महामारी से जुड़ी चुनौतियों पर सफलतापूर्वक काबू पा लिया है और यात्रियों की संख्या बढ़ रही है और यात्री तथा माल यातायात दोनों में वृद्धि देखी जा रही है।
रेल मंत्री का बयान
रेल मंत्री ने कहा कि 2023-24 के दौरान, भारतीय रेलवे ने 2,75,000 करोड़ रुपये के खर्च के मुकाबले लगभग 2,78,000 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया। उन्होंने कहा कि खर्च के प्रमुख घटकों में कर्मचारी लागत (1,16,000 करोड़ रुपये), पेंशन भुगतान (66,000 करोड़ रुपये), ऊर्जा व्यय (32,000 करोड़ रुपये) और वित्तपोषण लागत (25,000 करोड़ रुपये) शामिल हैं। वैष्णव ने कहा कि अच्छे प्रदर्शन के कारण रेलवे अपने खर्चों को अपनी आय से पूरा कर रहा है। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर, रेलवे की वित्तीय स्थिति अच्छी है और इसे लगातार सुधारने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रेलवे माल ढुलाई से राजस्व अर्जित करते हुए यात्री किराए में सब्सिडी देता है। उन्होंने कहा कि प्रति किलोमीटर वास्तविक लागत 1.38 रुपये है जबकि यात्रियों से 72 पैसे ही लिए जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप 2023-24 के लिए कुल यात्री सब्सिडी करीब 57,000 करोड़ रुपये होगी।
वैष्णव ने कहा कि पड़ोसी देशों की तुलना में भारतीय रेल किराया सबसे कम है। उन्होंने कहा कि अगर 350 किलोमीटर की यात्रा को देखें, तो भारत में सामान्य श्रेणी का किराया 121 रुपये है, पाकिस्तान में 400 रुपये, श्रीलंका में 413 रुपये। उन्होंने कहा कि 2020 से किराए में कोई बदलाव नहीं हुआ है। ऊर्जा लागत 30,000-32,000 करोड़ रुपये पर स्थिर है और रेलवे को 2019 के बाद लागू किए गए विद्युतीकरण पहल से वित्तीय लाभ हुआ है। मंत्री ने यात्री और माल ढुलाई में वृद्धि सहित कई उपलब्धियों को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि जलदी ही भारतीय रेलवे 1.6 अरब टन माल ढुलाई क्षमता के साथ दुनिया के शीर्ष तीन देशों में शामिल हो जाएगा और वह केवल चीन एवं अमेरिका से पीछे है।

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‘मेड इन बिहार’ लोकोमोटिव
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में घोषणा की कि बिहार के मढौरा स्थित रेल कारखाने में तैयार होने वाले लोकोमोटिव का बहुत जल्द निर्यात शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘निकट भविष्य में, बिहार में जिस फैक्टरी की लालू प्रसाद जी (तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद) ने सिर्फ घोषणा की थी, काम नहीं किया…2014 से उस फैक्टरी पर काम चालू किया गया। बिहार में सारण के मढौरा में, इस फैक्टरी में बने करीब 100 लोकोमोटिव का बहुत जल्द निर्यात शुरू होने वाला है। मेड इन बिहार लोकोमोटिव दुनिया में जाने वाला है।’’ इस घोषणा का सदस्यों ने मेजें थपथपा कर स्वागत किया। लालू प्रसाद 2004 से 2009 तक कांग्रेस नीत संप्रग सरकार में रेल मंत्री थे। इसके साथ ही वैष्णव ने कहा कि भारत अब ऑस्ट्रेलिया को मेट्रो कोच का निर्यात कर रहा है। उन्होंने बताया कि भारत ब्रिटेन, सऊदी अरब, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया को भी रेल डिब्बों के अहम उपकरणों का निर्यात कर रहा है। उन्होंने बताया कि भारत से रेल के डिब्बों और लोकोमोटिव का भी विभिन्न देशों को निर्यात किया जा रहा है।
किरेन रीजीजू का बयान
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने राज्यसभा को आश्वस्त किया कि सरकार संसद के दोनों सदनों में मंत्रियों द्वारा दिए गए सभी आश्वासनों को गंभीरता से लेती है क्योंकि यह लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है। प्रश्नकाल के दौरान उच्च सदन में पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हम संसदीय लोकतंत्र के महत्व को समझते हैं। अगर संसद सदस्य सवाल पूछते हैं और सरकार जवाब देती है, तो यह सबसे महत्वपूर्ण है कि आश्वासन पूरा किया जाए। इन आश्वासनों को तीन माह में पूरा करना होता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर वे (आश्वासन) पूरे नहीं होते हैं, तो यह संसदीय लोकतंत्र पर एक धब्बा होगा।’’ रीजीजू ने कहा कि संसद का नियम है कि सरकार द्वारा दिए गए आश्वासनों को तीन महीने के भीतर पूरा किया जाना चाहिए और विस्तार के लिए भी प्रक्रियाएं हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम संसद में सरकार द्वारा दिए गए सभी आश्वासनों को गंभीरता से लेते हैं। संसद के पटल पर दिए गए आश्वासनों को पूरा करने में कोई ढिलाई नहीं होनी चाहिए। यह हमारी जिम्मेदारी है।’’ रीजीजू ने कहा कि उन्होंने हाल ही में सरकार के सभी मंत्रियों को पत्र लिखकर आश्वासनों को समयबद्ध तरीके से पूरा करने को कहा है। उन्होंने कहा कि सांसदों द्वारा लिखे गए पत्रों का जवाब भी एक महीने के भीतर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन आश्वासन निगरानी प्रणाली (ओएएमएस) ने आश्वासनों को पूरा करने में मदद की है।
वहीं संसदीय कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री एल मुरुगन ने सदन को बताया कि 99 प्रतिशत आश्वासनों को लागू किया जा चुका है। मुरुगन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर नौ अक्टूबर 2018 को ऑनलाइन आश्वसन निगरानी प्रणाली (ओएएमएस) शुरू की गई। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली निगरानी करती है कि कितने आश्वासन दिए गए और कितनों को पूरा किया गया। मुरुगन ने कहा कि यह प्रणाली प्रमुख विशेषताओं और तंत्रों को एकीकृत करके जवाबदेही, पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ाती है। उन्होंने कहा कि ओएएमएस एक एकल डिजिटल संग्रह प्रदान करता है, जहां सभी आश्वासनों को रिकॉर्ड किया जाता है, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित होती है और आश्वासनों को समय पर पूरा करने के लिए प्रतिबद्धताओं का ट्रैक खोने का जोखिम समाप्त होता है। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली सभी हितधारकों को लंबित आश्वासनों पर कार्रवाई करने के लिए समय पर अलर्ट भेजती है, जिससे समयसीमा का पालन होता है। मुरुगन ने कहा कि मंत्रालय और विभाग प्रगति की अद्यतन जानकारी को सीधे सिस्टम में लॉग कर सकते हैं, जिससे हितधारकों के लिए सटीक और अद्यतित जानकारी सुनिश्चित होती है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि प्रश्नकाल के दौरान एक सदस्य को केवल एक पूरक प्रश्न पूछना चाहिए। इस पर, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि वह इस पहलू पर गौर करेंगे।
नागर विमानन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू का बयान
हवाई अड्डों पर यात्रियों की सुविधा और उनकी सुरक्षा को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए सरकार ने कहा कि तात्कालिक आवश्यकता की स्थिति में और चेक-इन तथा बैगेज ड्रॉप करने में असमर्थ यात्रियों की मदद के लिए एयरलाइन प्रचालक अतिरिक्त काउंटर संचालित करते हैं। प्रश्नकाल के दौरान उच्च सदन में नागर विमानन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू से पूरक प्रश्न पूछते हुए शिवसेना (यूबीटी) की प्रियंका चतुर्वेदी ने दिल्ली में हाल ही में हुई एक घटना का जिक्र किया जिसमें करीब 80 वर्ष की एक बुजुर्ग महिला हवाई अड्डे पर व्हील चेयर का इंतजार कर रही थीं और एक घटना में वह घायल हो गईं। नायडू ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि मंत्रालय ने इस घटना पर तत्काल संज्ञान लिया। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनों के लिए मंत्रालय ने दिशानिर्देश दिए हैं कि आवश्यकता के अनुसार, यात्रियों को व्हील चेयर मुहैया कराई जाए। उन्होंने कहा कि मंत्रालय की ओर से और डीजीसीआई की ओर से पीड़ित के परिजन से तत्काल बातचीत की गई तथा संबंधित एयरलाइन को कारण बताओ नोटिस भी जारी किए गए। इसके अलावा सीसीटीवी फुटेज की जांच कर पता लगाया जा रहा है कि वास्तव में क्या हुआ था। नायडू ने कहा ‘‘इस मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है और जांच की जा रही है। भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं।’’ प्रियंका ने लंबी दूरी की उड़ानों में समुचित रखरखाव के अभाव में शौचालय के ‘काम न करने’ की स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे में यात्रियों को खासी परेशानी होती है। इस पर मंत्री ने कहा कि एयरलाइनों के कामकाज पर नजर रखी जाती है और उनसे कहा गया है कि इस तरह की घटनाएं नहीं होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि यात्रियों की सुविधा के लिए हवाईअड्डों पर चेक इन काउंटरों की संख्या व्यस्ततम समय के दौरान किसी भी टर्मिनल पर संभावित यात्रियों की संख्या के अनुरूप होती है। वर्तमान में दिल्ली हवाई अड्डे सहित प्रमुख हवाई अड्डों पर पर्याप्त चेक इन काउंटर हैं। उन्होंने बताया कि दिल्ली हवाई अड्डे पर दिसंबर 2024 में 343 काउंटर थे। मंत्री ने बताया कि चेक इन काउंटरों की संख्या हवाईअड्डा द्वारा ‘इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन’ (आईएटीए) के अनुसार टर्मिनल प्लानिंग मानकों का उपयोग कर तय की जाती है।
तसलीमा नसरीन का मुद्दा
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य सामिक भट्टाचार्य ने सरकार से बांग्लादेशी उपन्यासकार तसलीमा नसरीन की सुरक्षित कोलकाता वापसी सुनिश्चित करने का आग्रह किया। राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान यह मामला उठाते हुए भट्टाचार्य ने कहा कि तस्लीमा ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुए अत्याचार के बारे में ‘लज्जा’ जैसी पुस्तक लिखी थी और वहां की मौजूदा स्थिति ने उन्हें 2004 में बांग्लादेश छोड़ने के लिए मजबूर किया। उन्होंने याद किया कि बाद में उन्हें कोलकाता में शरण मिली, लेकिन एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई, जिसे कांग्रेस के एक तत्कालीन नेता ने ‘आयोजित’ किया था। उन्होंने कहा, ‘‘मैं कांग्रेस नेतृत्व का शुक्रगुजार हूं। कांग्रेस ने उस व्यक्ति को निष्कासित कर दिया… इसके अलावा सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि उस निष्कासन के बाद, तृणमूल कांग्रेस ने इस व्यक्ति को स्वीकार कर लिया और फिर उस व्यक्ति को इस देश की संसद में भेज दिया।’’ उन्होंने कहा कि स्थिति ने नसरीन को फिर से कोलकाता छोड़ने के लिए मजबूर किया। भाजपा सदस्य ने कहा कि तस्लीमा कोलकाता वापस आकर कविता और उपन्यास लिखना चाहती हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से उनकी कोलकाता वापसी की व्यवस्था करने का आग्रह किया।
ट्रेन सुविधाएं बढ़ाने पर जोर
राज्यसभा में विपक्षी दलों के सदस्यों ने ट्रेन दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या पर चिंता जताते हुए आम आदमी के लिए ट्रेन सुविधाएं बढ़ाये जाने की आवश्यकता पर बल दिया वहीं बसपा के एक सदस्य ने गरीबों के लिए वंदे भारत ट्रेन शुरू किए जाने का सुझाव दिया। उच्च सदन में रेलवे मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा को आगे बढ़ाते हुए बहुजन समाज पार्टी के रामजी ने कहा कि रेलवे देश के लिए जीवनरेखा के रूप में काम करती है। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन देश में दो से ढाई करोड़ लोग यात्रा कर रहे हैं इसलिए सरकार का दायित्व बनता है कि वह यात्रियों की सुविधाएं बढ़ाने के साथ आमदनी बढ़ाने के उपायों पर जोर दे। उन्होंने कहा कि जाड़ों में कोहरे के कारण ट्रेनों में विलंब होता है किंतु इन दिनों कौन सा कोहरा है, जो ट्रेनें देर से चल रही हैं। उन्होंने सरकार को गरीबों के लिए भी वंदे भारत ट्रेनें चलाने का सुझाव दिया। रामजी ने मांग की कि ट्रेनों में सामान्य कोच अधिक संख्या में लगाये जायें ताकि गरीब यात्रियों को सुविधा मिल सके। झारखंड मुक्ति मोर्चा के सरफराज अहमद ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि रेल मंत्री को अपना ध्यान गरीबों एवं किसानों पर केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार का जोर केवल नयी ट्रेनों पर ही नहीं होना चाहिए बल्कि पुरानी ट्रेनों में सुख सुविधाएं बढ़ाने पर भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को रेलवे के आउटसोर्स किए गए कामों के परिणामों की समीक्षा कर देखना चाहिए कि कहीं उनकी गुणवत्ता में गिरावट तो नहीं आ रही है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) की फौजिया खान ने कहा कि हम विकसित भारत की बात करते हैं किंतु यह नहीं भूलना चाहिए कि एक वंचित भारत है जो साधारण ट्रेनों के खचाखच भरे डिब्बों में चलता है। राकांपा सदस्य ने कहा कि वंचित भारत के प्रति सहानुभूति दिखायी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार ट्रेनों में यात्रा करने वाले छात्रों और प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने वाले उम्मीदवारों की जरूरतों का भी ध्यान रखे। तृणमूल कांग्रेस के रीताव्रत बनर्जी ने कहा कि गैर भाजपा शासित राज्यों के लिए रेलवे का बजट लगभग उपेक्षित रहता है। उन्होंने दावा किया कि इस बार भी ऐसे राज्यों के रेल बजट में कटौती हुई जिनमें पश्चिम बंगाल भी शामिल है जिसके रेल बजट में 5.6 फीसदी की कमी कर दी गई। उन्होंने कहा ‘‘आखिर सरकार की प्राथमिकता क्या है? क्या माल भाड़ा गलियारे की तुलना में बुलेट ट्रेन अधिक महत्वपूर्ण है? पूर्वी समर्पित माल भाड़ा गलियारे का कुछ हिस्सा अब तक पूरा नहीं हो पाया है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी जब रेल मंत्री थीं तब उन्होंने पत्रकारों के लिए रेलवे में रियायती यात्रा की एक योजना शुरू की थी लेकिन कोविड काल में केंद्र सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया। ‘‘इसे शुरु करना चाहिए।’’ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के एए रहीम ने कहा कि अक्तूबर 2024 में एक आदेश जारी कर बाहर निकाले गये कर्मचारियों को अनुबंध पर रखा गया। उन्होंने इस आदेश को देश के युवाओं के लिए बहुत निराशाजनक बताते हुए मांग की कि इसे वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे की लापरवाही के कारण पिछले पांच साल में 361 कर्मचारियों ने पटरियों पर अपनी जान गंवायी है। उन्होंने कहा कि सरकार को यात्रियों एवं रेल कर्मियों की सुरक्षा के लिए समुचित उपाय करने चाहिए। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पीपी सुनीर ने कहा कि रेल बजट को आम बजट में मिला देना सरकार की एक भारी भूल थी। उन्होंने कहा कि सरकार को जवाबदेही की ओर ध्यान देना चाहिए क्योंकि देश में ट्रेन दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि एक ओर जहां वंदे भारत ट्रेन सुर्खियों में छायी हुई है वहीं आम यात्री सामान्य डिब्बों में तमाम परेशानियों का सामना कर रहे हैं।
निर्दलीय अजीत कुमार भुइयां ने असम में चल रही विभिन्न परियोजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इनको पूरा होने में बहुत अधिक समय लग रहा है। उन्होंने राज्य की विभिन्न रेलवे लाइनों के दोहरीकरण की आवश्यकता पर बल दिया। भुइयां ने कहा कि उन्होंने पिछले साल भी डिब्रूगढ़ की रेलवे परियोजना का मुद्दा सदन में उठाया था किंतु उस दिशा में कुछ भी नहीं किया गया। तमिल मनीला कांग्रेस (एम) के जीके वासन ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि आज देश में रेलवे नेटवर्क का आधुनिकीकरण तेज गति से चल रहा है ताकि यात्रियों को मिलने वाली सुविधाएं बढ़ सकें। उन्होंने कहा कि आज देश इस बात की प्रतीक्षा कर रहा है कि बुलेट ट्रेन कब चलना शुरू होगी ताकि भारत विकसित देशों की तरह अपने लोगों को यह सुविधा दे सके। उन्होंने तमिलनाडु के विभिन्न तीर्थस्थलों को देश के अन्य तीर्थस्थलों से जोड़ने के लिए ट्रेनें चलाने की मांग की।
‘रेल मंत्री पूरी तरह से नाकाम’
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के एक सांसद ने लोकसभा में आरोप लगाया कि फरवरी महीने में नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे को रोकने में रेल प्रशासन और रेल मंत्री पूरी तरह से नाकाम रहे थे। तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने वर्ष 2025-26 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांग पर चर्चा तथा मतदान में हिस्सा लेते हुए कहा कि संपूर्ण रेलवे बजट में कमी आई है। उन्होंने दावा किया, ‘‘यह वित्त वर्ष 2023-24 के 2.92 लाख करोड़ रुपये से घटकर 2025-26 में 2.65 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इस तरह यह नौ प्रतिशत से अधिक की गिरावट है।’’ बनर्जी ने कहा कि बजट में कमी से न केवल रेलवे में सेवा की गुणवत्ता प्रभावित होगी बल्कि यात्रियों की सुरक्षा पर भी इसका असर पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘‘यात्रियों की सुविधाओं पर आवंटन में लगातार कमी आई है, स्टेशनों के रखरखाव, शौचालय, टिकटिंग सर्विस और अन्य यात्री केंद्रित सुविधाओं में लगातार कमी आई है।’’ उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में 200 रेल दुर्घटनाओं में 351 लोग की मौत हुई और 970 घायल हुए। बनर्जी ने हालिया रेल दुर्घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि 15 फरवरी 2025 को नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में 18 लोग मारे गए, जब हजारों हिंदू तीर्थयात्री महाकुंभ (प्रयागराज) जाने के लिए स्टेशन पर प्रतीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह देखा गया कि इस हादसे को रोकने में रेलवे मशीनरी नाकाम हो गई और रेल मंत्री नाकाम रहे।’’ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सचिदानंदम आर. ने आरोप लगाया कि भारतीय रेलवे द्वारा परचालित की जा रही यात्री ट्रेनों को अब एक्सप्रेस ट्रेनों में तब्दील कर दिया गया है। उन्होंने वंदे भारत और तेजस जैसी ट्रेनें अमीर लोगों के लिए शुरू किये जाने का दावा करते हुए, आम आदमी के लिए अमृत भारत गैर एसी (वातानुकूलित) ट्रेन, अमृत भारत पैसेंजर ट्रेन परिचालित किये जाने की मांग की। उन्होंने यह भी कहा कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए टिकट में रियायत का भी अनुदान की मांगों में कोई उल्लेख नहीं किया गया है।
वहीं, जनता दल (सेक्युलर) के एम मल्लेश बाबू ने देश के प्रत्येक स्टेशन पर ‘मिनी मेडिकल कियोस्क’ खोलने की मांग की। उन्होंने कहा कि यात्रियों को स्टेशन पर स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं पेश आने पर वहां से बाहर निकलकर दवा खरीदनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि स्टेशन पर इस तरह की दवा दुकानें खोले जाने से यात्रियों को वहां से बाहर नहीं निकलना पड़ेगा। चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के राजीव भारद्वाज ने कहा कि 200 नयी वंदे भारत ट्रेनें शामिल होने से यात्रा में विलासिता और दक्षता सुनिश्चित होगी। उन्होंने मौजूदा बजट में हिमाचल प्रदेश को 2,716 करोड़ रुपये आवंटित किये जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि उनके राज्य को पूर्व की सरकारों की तुलना में 16 गुना अधिक रेल बजट दिया गया है। भारद्वाज ने अपने निर्वाचन क्षेत्र कांगड़ा में मीटर गेज लाइन को बड़ी लाइन में तब्दील करने की भी मांग की।
भाकपा (माले) के राजा राम सिंह ने कहा कि रेलवे 50 नई नमो भारत ट्रेन और 100 अमृत भारत गैर-एसी सस्ती टिकट वाली ट्रेनें शुरू करेगा, हालांकि रेलवे के बुनियादी ढांचे और गति तथा मौजूदा ट्रेनों की सुविधाएं बढ़ाने पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। समाजवादी पार्टी के जितेंद्र कुमार दोहरे ने कोरोना काल में बंद की गईं कई ट्रेनों का परिचालन पुन: शुरू करने का आग्रह सरकार से किया। भाजपा के विजय कुमार दुबे ने कहा कि मोदी सरकार में रेलवे में अस्वच्छता समाप्त करने की दिशा में बहुत काम हुआ है। जनता दल (यूनाइटेड) के कौशलेंद्र कुमार ने कहा कि भारतीय रेलवे दुनिया में सबसे अधिक माल ढुलाई वाली परिवहन सेवा बनने जा रही है। उन्होंने अपने गृह राज्य बिहार में कुछ रेल परियोजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य में रेलवे का चहुंमुखी विकास हो रहा है। वाईएसआरसीपी की तनुजा रानी ने आंध्र प्रदेश का अपना रेलवे भर्ती बोर्ड स्थापित किए जाने की मांग केंद्र सरकार से की। चर्चा में, जनसेना पार्टी के टी उदय श्रीनिवास, तेलुगुदेशम पार्टी के केसी नेनी शिवनाथ, कांग्रेस के वी वैथेलिंगम और अदूर प्रकाश ने भी हिस्सा लिया।
‘वंदे भारत’ बिरयानी की तरह
तृणमूल कांग्रेस की सांसद शताब्दी रॉय ने लोकसभा में कहा कि ‘वंदे भारत ट्रेन की बिरयानी की तरह है’ जो उन लोगों के लिए बहुत बड़ी बात है जिन्हें रोटी, दाल और चावल भी नहीं मिल पाता है। उन्होंने ‘वर्ष 2025-26 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों’ पर चर्चा में भाग लेते हुए यह भी कहा कि सरकार को रेल दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। शताब्दी रॉय ने कहा, ‘‘वंदे भारत बिरयानी की तरह है। जिस देश में लोग दाल, चावल और रोटी नहीं खा पाते हैं वहां बिरयानी बड़ी बात होती है।’’ उनका कहना था कि ‘वंदे भारत’ बड़े लोगों के लिए है। रॉय ने कहा, ‘‘सरकार को वंदे भारत और बुलेट ट्रेन से ज्यादा ध्यान आम रेलगाड़ियों पर देना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि रेल मंत्रालय को इस पर ध्यान देना चाहिए कि दुर्घटनाएं क्यों हो रही हैं? तृणमूल कांग्रेस सांसद का कहना था कि दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
रेलवे ‘वेंटिलेटर’ पर!
कांग्रेस ने भारतीय रेल की वित्तीय स्थिति को चिंताजनक करार देते हुए सोमवार को दावा किया कि देश की यह जीवनरेखा आज ‘वेंटिलेटर’ पर है और ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इसे ‘मित्रों के हवाले करने’ की तैयारी है। लोकसभा में रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदान की मांगों पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस सांसद वर्षा गायकवाड़ ने यह दावा भी किया कि ‘वंदे भारत’ ट्रेन को दिखाकर रेलवे की गंभीर स्थिति को छिपाया नहीं जा सकता। उनका कहना था, ‘‘8.22 लाख करोड़ रुपये का बजट है जिसमें 2.55 लाख करोड़ रुपये भारत सरकार से मिला है, जबकि शेष रेल मंत्रालय का अपना राजस्व है। इससे पता चलता है कि रेल मंत्रालय अपने राजस्व से संचालित हो रही है।’’ कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘‘रेल हमारी जीवनरेखा है। यह जीवनरेखा आईसीयू में भर्ती है और वेंटिलेटर पर है। यह काम इस सरकार ने किया है।’’ उन्होंने कहा कि रेलवे की वित्तीय सेहत की चिंता करने की जरूरत है। वर्षा ने दावा किया कि सरकार धीरे-धीरे सरकारी कंपनियों की हालत खराब कर रही है और फिर उसे अपने ‘‘मित्रों को’’ बेच देती है। कांग्रेस नेता ने सवाल किया, ‘‘क्या रेलवे भी आने वाले दिनों में मित्रों के हाथ में चला जाएगा? क्या ऐसा कोई षड्यंत्र तो नहीं है?’’ उन्होंने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘‘वक्त आता है तो रील बनाकर डालते हैं और जब दुर्घटना होती है तो चुप्पी साध लेते हैं।”
बिहार में फिर से नीतीश कुमार?
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद जर्नादन सिग्रीवाल ने अपने राज्य बिहार समेत देश में रेल मंत्रालय द्वारा किए गए विभिन्न कार्यों का उल्लेख करते हुए दावा किया कि इस साल के अंत में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में फिर से राजग सरकार बनेगी। बिहार के महाराजगंज से भाजपा सदस्य सिग्रीवाल लोकसभा में ‘वर्ष 2025-26 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों’ पर चर्चा में हिस्सा ले रहे थे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में रेलवे के क्षेत्र में हुए कार्यों को गिनाते हुए दावा किया कि आजादी के बाद देश में इस क्षेत्र में इतना काम नहीं हुआ, जितना पिछले दस साल में हुआ है। सिग्रीवाल ने वर्ष 2025-26 के बजट का उल्लेख करते हुए कहा कि रेलवे के लिए इसमें अब तक का सबसे अधिक आवंटन किया गया है और देश में नए रेल मार्गों का तेजी से विकास हो रहा है। उन्होंने कहा कि रेलवे में कनेक्टिविटी बढ़ाने के साथ ही सुरक्षा बढ़ाने के लिए 1000 आरओबी और आरयूबी का निर्माण अगले वित्त वर्ष में किया जाएगा। सिग्रीवाल ने कहा कि रेलवे ने पिछले दस साल में देश में रेल सुविधाओं में अत्यधिक विस्तार किया है और रेलवे स्टेशनों को विमान पत्तनों जैसा और उनसे भी अच्छा बनाने का काम किया जा रहा है। भाजपा सांसद ने कहा कि मोदी सरकार में रेलवे ने बिहार के उत्तर और दक्षिणी भागों को जोड़ने का काम किया है। उन्होंने कहा, ‘‘बिहार में हर वर्ष 275 किलोमीटर रेल लाइन बिछाई जा रही है। 2014 से अब तक बिहार में 1832 किलोमीटर नयी रेल लाइन बिछाई गई हैं, जो मलेशिया जैसे देश के पूरे रेल नेटवर्क के बराबर हैं।’’ उन्होंने बिहार में रेलवे समेत अन्य क्षेत्रों में उल्लेखनीय विकास कार्य होने का दावा करते हुए कहा, ‘‘बिहार में बहार है और 2025 में फिर से नीतीश कुमार के नेतृत्व में राजग की सरकार बनेगी।’’
तेलुगुदेशम पार्टी के एम श्रीनिवासुलू रेड्डी ने कहा कि आंध्र प्रदेश में अमृत भारत स्टेशनों का काम धीमे चल रहा है जिसे गति प्रदान करने की जरूरत है। उन्होंने देश में वंदे भारत ट्रेनों की संख्या बढ़ाने की जरूरत बताते हुए कोरोना वायरस महामारी के दौरान बंद कर दी गईं ट्रेनों को बहाल करने की मांग सरकार से की। समाजवादी पार्टी (सपा) के लालजी वर्मा ने चर्चा में भाग लेते हुए रेलवे में होने वाली दुर्घटनाओं का जिक्र किया और सरकार से इस ओर ध्यान देने की मांग की। उन्होंने ट्रेनों के देरी से चलने पर भी चिंता जताई। वर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार के दावों के विपरीत रेलवे में सुरक्षा के साथ ही प्लेटफॉर्म के सौंदर्यीकरण और शौचालय आदि सुविधाओं में कोई सुधार नहीं हुआ है। चर्चा में जनता दल (यूनाइटेड) के दिलेश्वर कामैत ने भी भाग लिया।
मखाना को एमएसपी वाले खाद्य पदार्थों की सूची में शामिल करने की मांग
जनता दल (यूनाईटेड) के संजय झा ने राज्यसभा में मखाना किसानों की समस्याओं का मुद्दा उठाया और सरकार से मखाना को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) वाले खाद्य पदार्थों की सूची में शामिल करने की मांग की ताकि उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किया जा सके। उच्च सदन में शून्यकाल के तहत इस मुद्दे को उठाते हुए झा ने कहा कि बिहार में मखाना के उत्पादन से लेकर उसके प्रसंस्करण तक लगभग पांच लाख से अधिक मल्लाह श्रेणी और अति पिछड़े समाज के परिवारों की रोजी रोटी जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि मखाना की खेती एक असाधारण और पीड़ादायक प्रक्रिया है और पारंपरिक रूप से इसका उत्पादन गहरे तालाबों में होता आया है, जहां किसान मखाना के बीज को एकत्र करने के लिए गोता लगाता है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में समय भी बहुत लगता है और मजदूरी पर बहुत खर्च होता है। जद (यू) सदस्य ने कहा कि बिहार सरकार की सहायता से पिछले कुछ वर्षों में किसानों ने मखाना की नर्सरी लगाने की प्रक्रिया शुरू की है। उन्होंने कहा, ‘‘नर्सरी लगाने से पहले खेत की दो-चार बार जुताई की जाती है और लगभग दो से तीन फुट तक पानी भरा जाता है। इस पानी को मॉनसून की बारिश आने तक बनाए रखना आवश्यक होता है, नहीं तो पूरी फसल नष्ट हो जाती है।’’ मखाने के फल के कांटेदार होने और इसके उत्पादन में आने वाली तमाम कठिनाइयों का उल्लेख करते हुए झा ने कहा कि इस प्रक्रिया में काफी मखाना खराब हो जाता है। उन्होंने कहा कि एक एकड़ मखाना की खेती में लगभग 60,000 से 75,000 रुपये का खर्च आता है। झा ने कहा कि अमूमन मखाने की खेती की प्रक्रिया में ही किसानों की बड़ी राशि खर्च हो जाती है। उन्होंने कहा, ‘‘हाल के वर्षों में किसानों को उचित मूल्य न मिलने की समस्या गंभीर रूप से उभरी है। मखाना का बाजार मूल्य उच्च होता है लेकिन जैसे ही किसान अपनी फसल को बाजार में लाता है उसका मूल्य अचानक गिर जाता है, जिससे किसानों को उचित मेहनताना भी नहीं मिलता है। उनका काफी नुकसान होता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसके समाधान के लिए सरकार से अनुरोध है कि मखाना को एमएसपी की सूची में शामिल किया जाए। ताकि किसानों को उचित मूल्य मिल सके।’’ उन्होंने कहा कि इसके अलावा भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नैफेड) और भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ मर्यादित (एनसीसीएफ) जैसी सरकारी संस्थाओं द्वारा एमसपी पर मखाना खरीदने की व्यवस्था की जानी चाहिए। झा ने मखाना को फसल बीमा योजना में भी शामिल किए जाने की मांग की ताकि किसानों को वित्तीय सुरक्षा मिल सके। उन्होंने इस बार के केंद्रीय बजट में मखाना बोर्ड के गठन की घोषणा किए जाने के लिए केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया और इसे मखाना किसानों की जिंदगी बदलने के लिए ‘क्रांतिकारी कदम’ करार दिया। उन्होंने कहा कि इससे मखाना पर शोध हो सकेगा, नई तकनीक विकसित होगी, किसानों को उद्योग से जोड़ा जा सकेगा, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के माध्यम से किसानों को आर्थिक सहायता और निर्यात में मदद मिल सकेगी।
प्रवासियों की भारत में संपत्तियों की सुरक्षा
विदेशों में रहने वाले प्रवासियों की भारत में मौजूद संपत्तियों पर धोखाधड़ी व अन्य फर्जी माध्यमों से कब्जा जमाए जाने के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए राज्यसभा के एक सदस्य ने सरकार से ऐसे लोगों की संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली व्यवस्था विकसित करने की मांग की। राज्यसभा के मनोनीत सदस्य सतनाम सिंह संधू ने उच्च सदन में शून्यकाल में इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि प्रवासी भारतीयों का देश के स्वतंत्रता संग्राम से लेकर ‘विकसित भारत’ की यात्रा तक में बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि देश की प्रगति में भी वे बड़ा योगदान कर रहे हैं और विश्व स्तर पर भारत का झंडा बुलंद कर रहे हैं। संधू ने कहा कि ब्रिटेन में हाल ही में संपन्न हुए चुनाव में भारतीय मूल के 29 सांसद निर्वाचित हुए हैं और यह भारत के लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा, ‘‘जिस देश ने हमें लंबे समय तक गुलाम बनाकर रखा था, उसके दोनों सदनों में करीब 40 सदस्य ऐसे हैं जो भारतीय मूल के हैं। यह भारत की बढ़ती सॉफ्ट पावर की एक मिसाल है।’’ संधू ने कहा कि देश से हजारों मील दूर रहने के बावजूद इन प्रवासी भारतीयों का दिल भारत के लिए धड़कता है और देश से जुड़े रहने के लिए उन्होंने अपनी संपत्तियों को नहीं बेचा। उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीयों की उनके पैतृक स्थलों पर मौजूद संपत्तियों पर नाजायज कब्जे और उनसे धोखाधड़ी के मामले बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इस वजह से प्रवासी भारतीयों में संपत्तियों को लेकर डर का माहौल पैदा हो रहा है और वह अपनी संपत्तियों को बेचने को तरजीह दे रहे हैं। यह बहुत गंभीर मामला है। इसकी गंभीरता केवल संपत्तियों को बेचा जाना ही नहीं है बल्कि मातृभूमि से उनके संबंधों का टूटना भी है। इसका कमजोर होना भी है।’’ उन्होंने प्रवासी भारतीय की संपत्तियों की सुरक्षा के लिए एक नई व्यवस्था बनाए जाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए सरकार से इस दिशा में कदम उठाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि ऐसे कदम उठाए जाएं ताकि प्रवासी भारतीयों में विश्वास बहाल हो सके और कोई उनपर कब्जा ना कर पाए।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आरपी एन सिंह ने उच्चतम न्यायालय, दिल्ली उच्च न्यायालय और पटियाला हाउस न्यायालय के इर्द-गिर्द पार्किंग सुविधाओं की कमी और इस वजह से यातायात प्रभावित होने और लोगों को होने वाली परिशानियों का मुद्दा उठाया। उन्होंने तीन अदालतों के वकीलों और उनके मुवक्किलों के लिए एक समर्पित पार्किंग स्थल बनाए जाने की मांग की। भाजपा के ही अजीत माधव राव गोपछड़े ने मराठवाड़ा क्षेत्र में कृषि संबंधी समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा कि अक्सर यह क्षेत्र सूखाग्रस्त रहता है और इन वजहों से किसानों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने महाराष्ट्र के नांदेड़ में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की एक शाखा स्थापित करने की मांग की। भाजपा के ही महेंद्र भट्ट ने केंद्र सरकार की फ्री सिलाई मशीन वितरण योजना की खामियों की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट किया और इससे महिलाओं को हो रही परेशानियों का मुद्दा उठाया।
ब्रिटिशकालीन नामों को बदलने के लिए संसदीय समिति बने
राज्यसभा के एक सदस्य ने आजादी के इतने सालों बाद भी कई उच्च न्यायालयों, विश्वविद्यालयों और ऐतिहासिक स्मारकों व स्थलों के ब्रिटिशकालीन नामों को बदलने के लिए एक संसदीय समिति गठित करने की मांग उठाई। उच्च सदन में आम आदमी पार्टी (आप) के अशोक कुमार मित्तल ने शून्यकाल के दौरान कहा कि सरकार ने राजपथ को कर्तव्य पथ, भारतीय दंड संहिता को भारतीय न्याय संहिता और इलाहाबाद को प्रयागराज में बदलने का काम करके एक राष्ट्रवादी सोच का परिचय दिया है। उन्होंने ब्रिटशकालीन नामों को बदलने के सरकार के कदम को ‘ऐतिहासिक’ करार दिया लेकिन साथ ही इन्हें नाकाफी भी बताया। उन्होंने कहा कि आज भी मुंबई, मद्रास और कलकत्ता उच्च न्यायालयों सहित देश के कई उच्च न्यायालयों के नाम ब्रिटिश काल के ही चल रहे हैं जबकि लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज जैसे संस्थान भी हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में ही मिंटो रोड, हेली रोड, चेम्सफोर्ड रोड सहित कई ऐसी सड़कें हैं, जो अंग्रेजों के नामों पर हैं। मित्तल ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया गया लेकिन वहां स्थित उच्च न्यायालय का नाम आज भी इलाहाबाद उच्च न्यायालय और विश्वविद्यालय का नाम इलाहाबाद विश्वविद्यालय है। उन्होंने कहा, ‘‘और तो और वहां की संसदीय सीट का नाम भी इलाहाबाद ही है।’’ उन्होंने कहा कि सरकार को इंडिया गेट और गेटवे ऑफ इंडिया के नाम पर भी विचार करना चाहिए। आप सदस्य ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित 3,600 से ज्यादा स्मारकों में से आज भी कई ऐसे गवर्नर-जनरल और वायसराय के नाम पर हैं जिन्होंने भारतीयों पर जुल्म ढाए। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के स्मारकों की सुरक्षा के लिए जनता का पैसा लगाया रहा है। मित्तल ने कहा, ‘‘मेरा सरकार से निवेदन है कि एक संसदीय समिति बनाई जाए जो ब्रिटिश नाम वाले संस्थानों इत्यादि के नामों को बदलने पर विचार करे।’’ उन्होंने कहा कि वह विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों को इस संबंध में पत्र लिखेंगे और उनसे ब्रिटिशकालीन नामों को परिवर्तित करने का आग्रह करेंगे।
देश के कई रेलवे स्टेशनों पर हवाई अड्डों जैसी सुविधा
राज्यसभा में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों ने पिछले दस सालों में देश के रेल नेटवर्क में हुए विकास एवं आधुनिकीकरण तथा यात्री सुविधाओं में वृद्धि की सराहना की वहीं इस ओर ध्यान दिलाया कि देश के कई रेलवे स्टेशन सुविधाओं के मामले में हवाई अड्डों की तरह बन गये हैं। रेल मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा में भाग लेते हुए भारतीय जनता पार्टी के संजय सेठ ने कहा कि देश में एक समय ऐसा था जब रेलवे को पैसा कमाने का साधन बना दिया गया था। उन्होंने कहा कि रखरखाव, सुरक्षा, नौकरी से लेकर तमाम बातों को भ्रष्टाचार का शिकार बनाया गया। सेठ ने कहा कि 2014 में नरेन्द्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से रेलवे के कामकाज में भारी बदलाव आया है और यह आज विश्व का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क है। उन्होंने कहा कि आज देश के कई रेलवे स्टेशन हवाई अड्डों की तरह बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस समय 136 वंदे भारत ट्रेन चल रही हैं और बुलेट ट्रेन का सपना भी जल्द साकार होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि हाइड्रोजन की शक्ति से ट्रेनों को चलाने को लेकर प्रयोग चल रहे हैं। भाजपा सदस्य ने कहा कि सरकार ने खाली पड़ी रेलवे की जमीन के बेहतर उपयोग के लिए आरएलडीए (रेलवे भूमि विकास अभिकरण) बनाया है जो सार्वजनिक निजी भागीदारी के मॉडल पर काम करेगा।
अन्नाद्रमुक के एम थंबी दुरै ने कहा कि तमिलनाडु में रेलवे की कई योजनाएं काफी समय से लंबित हैं जिन्हें जल्द पूरा किया जाना चाहिए। दुरै ने कहा कि ट्रेनों में यात्रियों, विशेषकर महिलाओं की सुरक्षा पर ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ट्रेनों में रात के समय प्रत्येक डिब्बे में टीटीआर और पुलिसकर्मी या सुरक्षा कर्मी होने चाहिए। भाजपा के मिथिलेश कुमार ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि आम बजट में रेलवे के लिए जो धन आवंटित किया गया है, उससे आधुनिक रेलवे नेटवर्क बनाने और यात्रियों की सुरक्षा के लिए समुचित उपाय करने में मदद मिलेगी। चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के नरहरि अमीन ने कहा कि पिछले दस साल में रेलवे के बजट में लगभग चार गुना वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि पिछले दस साल में 34 हजार किलोमीटर से अधिक लाइन बिछायी गयी जो जर्मनी में बिछी हुई कुल रेलवे लाइन से अधिक है। उन्होंने कहा कि पिछले दस सालों में 45 हजार किलोमीटर से अधिक रेलवे लाइन का विद्युतीकरण किया गया है और इसी अवधि में 12 शहरों में मेट्रो ट्रेन सेवा शुरू की जा चुकी हैं।
भाजपा के राजीव भट्टाचार्य ने कहा कि पूर्व में कई सरकारें आईं किंतु किसी ने भी पूर्वोत्तर के बारे में नहीं सोचा। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी 2014 में प्रधानमंत्री बने और 2016 में अगरतला को ब्रॉड ग्रेज रेलवे लाइन से जोड़ने का काम पहली बार शुरू किया गया। भाजपा के रामेश्वर तेली ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के शासन काल में हुई रेल दुर्घटनओं की संख्या की तुलना में वर्तमान सरकार के शासनकाल में ऐसी घटनाओं की संख्या में लगातार कमी आ रही है। आरएलएम के उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि बिहार एक महत्वपूर्ण राज्य है और इस राज्य की कुछ पुरानी रेल परियोजनाओं को पूरा करना जरूरी है जो अब तक अपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि कोविड काल से पहले कई रेल सुविधाएं थीं जो महामारी के दौर में बंद कर दी गईं। उन्होंने कहा कि कई ट्रेनों के स्टॉपेज बंद कर दिए गए। ‘‘डेहरीआन सोन, मढौरा और अन्य स्टेशन अपने यहां बंद कर दिए गए स्टॉपेज को पुन: शुरु करने की बाट जोह रहे हैं।’’ भाजपा के धैर्यशील पाटिल ने कहा कि तेजस एक्सप्रेस, वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों को शुरू करने के साथ साथ सरकार ने ट्रेनों के विद्युतीकरण, नए क्रॉसिंग बनाने, मुंबई गोवा के मार्ग पर रो-रो सर्विस चलाने से लेकर कई काम किए हैं।
धनखड़ ने दी जानकारी
हृदय संबंधी बीमारियों के कारण नौ मार्च को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती किए जाने के बाद कांग्रेस की सोनिया गांधी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित कई नेताओं ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के स्वास्थ्य की चिंता करते हुए उनके परिवार से संपर्क किया था। धनखड़ ने राज्यसभा में स्वयं यह खुलासा किया। स्वास्थ्य में सुधार के बाद उन्होंने सोमवार को पहली बार बजट सत्र के दूसरे चरण में सदन की कार्यवाही की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि विभिन्न दलों के नेताओं की ओर से व्यक्त की गई चिंताओं से वह बेहद अभिभूत हैं और इसी ने उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ में योगदान दिया। उन्होंने कहा, ‘‘सदन के नेता (जगत प्रकाश नड्डा) और विपक्ष के नेता (मल्लिकार्जुन खरगे) मेरे परिवार से संपर्क करने वाले पहले व्यक्ति थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सोनिया गांधी और पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने मेरी पत्नी से संपर्क किया।’’ धनखड़ ने जब इस बात का जिक्र किया तब सोनिया गांधी सदन में मौजूद थीं।
धनखड़ को हृदय संबंधी बीमारियों के बाद नौ मार्च को राष्ट्रीय राजधानी के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था। उन्हें 12 मार्च को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी और पर्याप्त आराम करने की सलाह दी गई थी। धनखड़ ने राज्यसभा में कहा कि उनके स्वास्थ्य को लेकर सदस्यों की ओर से जताई गई चिंता उनके लिए एक ‘बोध’ है कि ‘जब इस तरह की स्थिति आती है, तो हमारे दिल जुड़े होते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरे लिए प्रेरणा और ज्ञान का स्रोत होगा।’’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अन्य लोगों ने अस्पताल में उनसे मुलाकात की और कुशल-क्षेम जाना। सभापति ने कहा कि कई अन्य लोग भी अस्पताल आना चाहते थे लेकिन प्रतिबंधों के कारण संभव नहीं हो सका। उन्होंने कहा, ‘‘मैं (उन सभी के प्रति) अपना आभार व्यक्त करता हूं।’’ धनखड़ ने कहा कि शायद ही कोई ऐसा था जिसने उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंता नहीं दिखाई हो। सभापति ने कहा कि उन्होंने जन्मदिन की शुभकामनाएं देने के लिए जब तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ’ ब्रायन को फोन किया तो तृणमूल नेता ने उन्हें आराम करने की सलाह दी। धनखड़ ने कहा, ‘‘आप चुप रहिए, पहले आराम कीजिए।’’ अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद सोमवार को पहला दिन था जब धनखड़ ने राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता की। इससे पहले, सदन के नेता और केंद्रीय मंत्री नड्डा ने उनके शीघ्र स्वस्थ होने पर बधाई दी और फिर से उच्च सदन की अध्यक्षता शुरु करने के लिए आभार जताया। उन्होंने धनखड़ के अच्छे स्वास्थ्य और लंबे जीवन की कामना की। खरगे ने भी कुछ इसी तरह की भावनाएं व्यक्त की। उन्होंने कहा कि उन्हें लगा था कि राज्यसभा के सभापति अगले चार-छह दिनों तक सदन की कार्यवाही में भाग नहीं लेंगे। खरगे ने कहा कि धनखड़ के काम के प्रति उत्साह और समर्पण को देखना तथा इतनी जल्दी सभा का संचालन करना उनके लिए सुखद आश्चर्य का विषय है।
राष्ट्रीय स्कूल परिवहन नीति बनाने की मांग
राज्यसभा की सदस्य फौजिया खान ने स्कूल बसों और वैन से जुड़ी दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की और सरकार से सभी राज्यों में समान सुरक्षा नियम स्थापित करने के लिए एक राष्ट्रीय स्कूल परिवहन नीति बनाने का आग्रह किया। उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद चंद्र पवार) की फौजिया खान ने स्कूली बच्चों को ले जाने वाले वाहनों में सुरक्षा उपायों की कमी को रेखांकित करने के लिए एक अध्ययन का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय कानून में स्कूल बसों में सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ राज्यों ने स्कूल बसों में सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य किए हैं, लेकिन यह व्यवस्था सभी राज्यों में लागू नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की उच्चतम दर वाले देशों में से एक होने के बावजूद भारत में स्कूल परिवहन सुरक्षा पर एक समान व्यापक राष्ट्रीय नीति नहीं है।’’ खान ने कहा कि कुछ राज्यों ने बसों और वैन सहित स्कूल वाहनों के लिए मानक नीतियां शुरू की हैं, लेकिन वे बड़े पैमाने पर कागजी ही साबित हुई हैं। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त, बच्चों को ले जाने वाले ऑटो रिक्शा और ई-रिक्शा के लिए विनियमन और सुरक्षा उपायों की कमी है। उन्होंने कहा, ‘‘इन मुद्दों को हल करने के लिए, मैं सरकार से सभी राज्यों में समान सुरक्षा नियमों को स्थापित करने के लिए एक राष्ट्रीय स्कूल परिवहन नीति विकसित करने का आग्रह करती हूं।’’ खान ने कहा, ‘‘इस नीति में सीट बेल्ट, सीसीटीवी और जीपीएस (स्कूल परिवहन वाहनों में) अनिवार्य होना चाहिए। नियमों को निजी स्कूलों और ऑटो, वैन और रिक्शा जैसे परिवहन विकल्पों तक विस्तारित किया जाना चाहिए ताकि सुरक्षा मानकों का एक परिभाषित मानदंड लागू हो।’’ वरिष्ठ सदस्य ने गति सीमा और भीड़भाड़ पर मौजूदा स्कूल परिवहन दिशानिर्देशों को लागू करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि सभी स्कूल वाहनों के लिए सुरक्षा उपकरण आवश्यकताओं पर जोर दिया जाना चाहिए और साथ ही नियमित रूप से सुरक्षा संबंधी जांच होनी चाहिए। खान ने कहा कि इसके अलावा, स्कूलों को एक प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र लागू करना चाहिए और स्कूल वाहन चालकों को नियमित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
ट्रंप के दावों पर प्रधानमंत्री से मांगा स्पष्टीकरण
भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए 2.1 करोड़ डॉलर के वित्त पोषण के अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे के पर सोमवार को राज्यसभा में चिंता जताई गई और इसे आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से उच्च सदन में बयान देने की मांग की गई। राज्यसभा में शून्यकाल के तहत इस मामले को उठाते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) के रामजी लाल सुमन ने कहा कि इतने ‘गंभीर मामले’ पर सरकार का चुप रहना निश्चित रूप से संदेह पैदा करता है कि दाल में कुछ न कुछ काला है। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री को सदन में आकर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। इस पर एक बयान देना चाहिए। ट्रंप, बराबर कहते रहे हैं कि हिंदुस्तान में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए हमने पैसा भेजा है। इससे ज्यादा चिंता का विषय कोई और नहीं हो सकता। सरकार का चुप रहना निश्चित रूप से दाल में काला है।’’ फरवरी माह में देश में उस समय एक राजनीतिक विवाद शुरू हो गया जब अरबपति उद्योगपति एलन मस्क के नेतृत्व वाले डीओजीई (सरकारी दक्षता विभाग) ने दावा किया था कि उसने ‘मतदान प्रतिशत बढ़ाने’ के लिए भारत को दिए जाने वाले 2.1 करोड़ डॉलर के अनुदान को रद्द कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी बार-बार दावा किया कि जो बाइडन के नेतृत्व वाले पिछले प्रशासन के तहत अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएड) ने भारत को ‘मतदान प्रतिशत बढ़ाने’ के लिए 2.1 करोड़ डॉलर का वित्त पोषण आवंटित किया था। सपा सदस्य सुमन ने इस मुद्दे को उठाते हुए उच्च सदन में कहा, ‘‘यह बहुत गंभीर मामला है। भारत का वित्त मंत्रालय का कहना है कि उसे कोई पैसा प्राप्त नहीं हुआ है। देश के विदेश मंत्री कहते हैं कि इसकी जांच हो रही है। इतने गंभीर मामले पर सरकार का अभी तक कोई दृष्टिकोण साफ नहीं आया है। प्रधानमंत्री की तरफ से आज तक कोई बयान नहीं आया है।’’ उन्होंने कहा कि ट्रंप बार-बार हिंदुस्तान पर आरोप लगा रहे हैं और हिंदुस्तान के बारे में इस प्रकार की बात कर रहे हैं जो सीधे तौर पर ‘हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप’ है। उन्होंने कहा, ‘‘इतने गंभीर मामले पर सरकार का मौन रहना और ज्यादा चिंता व्यक्त करता है। हमारा खुफिया तंत्र क्या कर रहा है। इस देश में कोई विदेशी धनराशि आए, हमारे देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करे और हमें यह पता ही नहीं है कि यह पैसा कहां से आया? क्यों आया? हमारे देश का खुफिया तंत्र पूरी तरह असफल है।”
कांग्रेस सांसद का सवाल
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने महान स्वतंत्रता सेनानी सरदार भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त द्वारा ‘सेंट्रल असेंबली’ में फेंके गए लाल पर्चों (रेड पैन्फलेट) का उल्लेख करते हुए सोमवार को सरकार से अनुरोध किया कि ऐसी ऐतिहासिक वस्तुओं के बारे में वह गंभीरता से पता लगाए। तिवारी ने लोकसभा में प्रश्नकाल में कहा, ‘‘सरदार भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त द्वारा ‘सेंट्रल असेंबली’ में विरोध जताते समय कुछ पर्चे फेंके गए थे। उन पर्चों को ‘रेड पैम्फलेट’ कहते हैं। कुछ सार्वजनिक खबरों के अनुसार उन पर्चों की प्रतिलिपियां और उनका कुछ निजी सामान अब भी संसद मार्ग थाने के मालखाने में है।’’ कांग्रेस सदस्य ने कहा कि अब सरकार की तरफ से कहा गया है कि ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बारे में किसी विरोधाभास में नहीं पड़ना चाहता। हो सकता है कि ये सामान और उसके साथ और भी ऐतिहासिक सामान उस मालखाने में पड़ा हो। मेरा सरकार से अनुरोध है कि वह दोबारा से गंभीरता से इसका पता लगवा ले।’’ तिवारी के पूरक प्रश्न का उत्तर देते हुए केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि मालखाने से कोई भी वस्तु प्राप्त करने के लिए सामान्य विधिक प्रक्रिया के अनुसार न्यायालय के आदेश के तहत ही ऐसा किया जा सकता है। उन्होंने अपने उत्तर में कहा कि ऐतिहासिक मूल्य की कोई भी संपदा मालखाने में पहुंचती है तो उसकी जानकारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को दी जाती है और एएसआई के महानिदेशक उसके संरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित करते हैं। शेखावत ने इस बाबत मालखाने में फिर से सामान का पता लगाने के तिवारी के सुझाव के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।
संस्कृति मंत्री ने एक अन्य पूरक प्रश्न के उत्तर में सदन को बताया कि राष्ट्रीय पुरालेखों के डिजिटलीकरण के अभियान के तहत अब तक तीन करोड़ पन्नों को डिजिटल स्वरूप प्रदान किया जा चुका है और अकेले गत फरवरी में छह लाख 40 हजार से अधिक पन्ने डिजिटल किए गए। उन्होंने कहा कि देश के स्वतंत्रता संग्राम और इसमें भाग लेने वाले सभी सेनानायकों का विवरण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आजादी का अमृत वर्ष के तहत संकलित किया गया है जिनमें से कुछ को या तो ‘‘जानबूझकर’’ या परिस्थितिवश भुला दिया गया। उन्होंने कहा कि सरकार की न्यायिक दस्तावेजों को भी डिजिटल स्वरूप प्रदान करने की योजना है ताकि लोग अनुसंधान और अध्ययन कर सकें। संस्कृति मंत्री के अनुसार देश में ज्ञान भारतम मिशन के तहत विभिन्न ऐतिहासिक पांडुलिपियों के संकल्प का प्रयास भी जारी है। उन्होंने कहा, ‘‘ये हमारी अमूल्य थाती हैं और हम इसे संरक्षित कर जनता के लिए संदर्भ के रूप में तैयार कर रहे हैं।’’ तिवारी ने प्रश्न किया था कि क्या 1901 से लेकर 1947 तक भारत की न्यायपालिका में दर्ज आरोपपत्रों और न्यायिक दस्तावेजों को संकलित कर स्वतंत्रता संग्राम में आम जनता की भूमिका को सामने लाने की सरकार की कोई योजना है? उन्होंने यह भी कहा कि इसी अवधि में ऐसे अनेक दस्तावेज जिन पर तत्कालीन अंग्रेज सरकार ने प्रतिबंध लगाया था और जिनमें अधिकतर कांग्रेस के समय के थे, को 2017 में गोपनीयता की सूची से बाहर किया गया था और ये ब्रिटिश संग्रहालय में रखे हैं। कांग्रेस सांसद ने पूरक प्रश्न में पूछा, ‘‘क्या सरकार को इसकी जानकारी है। क्या इनकी प्रतिलिपियां वापस लाने के लिए कोई पहल की जाएगी?”
विपक्ष का राज्यसभा से बहिर्गमन
विपक्षी दलों ने मतदाता सूची में कथित हेराफेरी और लोकसभा सीटों के परिसीमन के मुद्दे पर राज्यसभा में हंगामा किया और आसन की ओर से इन मुद्दों पर कार्यस्थगन नियम के तहत चर्चा कराए जाने की मांग खारिज किए जाने के बाद उच्च सदन से बहिर्गमन किया। कार्यवाही आरंभ होने पर उपसभापति हरिवंश ने बताया कि मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) क्रमांक के दोहराव, लोकसभा सीटों के परिसीमन से दक्षिण के राज्यों पर पड़ने वाले प्रभाव सहित कुछ अन्य मुद्दों पर तत्काल चर्चा कराने के लिए नियम 267 के तहत 10 नोटिस मिले हैं। उन्होंने सभी नोटिस अस्वीकार कर दिए। इसके बाद कांग्रेस, तृणमूल और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। हंगामे के बीच ही उपसभापति ने शून्यकाल आरंभ किया। हंगामे के बीच ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ईरण्ण कराडी ने स्वास्थ्य क्षेत्र की वर्तमान स्थिति पर चिंता जताई। इसके बाद जनता दल (यूनाईटेड) के संजय झा ने मखाना के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की मांग की।
झा अभी यह मुद्दा उठा ही रहे थे कि विपक्षी सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया। कांग्रेस के प्रमोद तिवारी, तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर रॉय, सुष्मिता देव, मौसम नूर सहित कुछ अन्य सदस्यों ने ‘डुप्लीकेट’ मतदाता पहचान पत्र जारी करने में निवार्चन आयोग की कथित चूक पर चर्चा के लिए नोटिस दिए थे जबकि द्रमुक के पी विल्सन और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के वी शिवदासान ने दक्षिणी राज्यों में प्रस्तावित परिसीमन के बारे में चिंताओं पर चर्चा की मांग करते हुए नोटिस दिए थे। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के संतोष कुमार पी ने भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस मुहैया कराने के लिए देश की दो बड़ी टेलिकॉम कंपनियों की ओर से एलॉन मस्क की कंपनी स्टारलिंक के साथ करार के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिया था। भाजपा के शमिक भट्टाचार्य ने पश्चिम बंगाल में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के साथ अत्याचार के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिया था जबकि आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने दिल्ली में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति पर चर्चा के लिए नोटिस दिया था।
गोडसे की ‘सराहना करने वाली’ प्रोफेसर की पदोन्नति का मुद्दा
कांग्रेस सांसद एम. के. राघवन ने विवादित बयान देने वाली एक प्रोफेसर को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी)-कालीकट में पदोन्नति दिए जाने का मुद्दा सोमवार को लोकसभा में उठाया और कहा कि इन संस्थानों में नियुक्तियां अत्यंत पारदर्शिता के साथ की जानी चाहिए। उन्होंने सदन में शून्यकाल के दौरान कहा कि शैजा ने 2024 में ‘‘महात्मा गांधी के हत्यारे की प्रशंसा करते हुए एक विवादास्पद बयान दिया था।’’ राघवन ने कहा, ‘‘उन्होंने कहा कि भारत को बचाने के लिए उन्हें गोडसे पर गर्व है। इस बयान के कारण उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई और फिलहाल जांच चल रही है। दुर्भाग्य से, उनके इस आलोचनात्मक बयान के लिए उन्हें पदोन्नति दी गई। मैं जानना चाहता हूं कि इससे पूरे देश में क्या संदेश जाएगा।’’ एनआईटी कालीकट में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर ए शैजा को पिछले महीने संस्थान का डीन नियुक्त किया गया था, जिससे विवाद खड़ा हो गया था। वर्ष 2024 में गांधी की पुण्य तिथि पर उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट में लिखा था, ‘‘भारत को बचाने के लिए गोडसे पर गर्व है।”
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