कहते हैं कि उम्मीद पर दुनिया कायम है। लेकिन जब उम्मीद का ये सफर दो दशक लंबा हो और उसका अंत दुखद तो वो कहानी हर किसी की आंखे नम कर देती है। ऐसी ही कहानी सऊदी अरब के स्लीपिंग प्रिंस की भी है, जिनकी 20 साल की लंबी नींद मौत के साथ टूट गई। सऊदी अरब के प्रिंस अल-वलीद बिन खालिद बिन तलाल अल सऊद जिन्हें सब स्लीपिंग प्रिंस के नाम से जानते थे अब इस दुनिया में नहीं रहे। 19 जुलाई को सऊदी अरब के रॉयल कोर्ट ने ये बताया कि उनका निधन हो गया। करीब 20 साल तक वो कोमा में थे। 20 साल का इंतजार और उम्मीद पर नाउम्मीदी भारी पड़ी। 20 साल बाद एक पिता ने अपने जिगड़ के टुकड़े को भारी मन से विदा किया। स्लीपिंग प्रिंस अल-वलीद 20 साल से कोमा में थे। सऊद का 36 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।
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20 साल पहले क्या हुआ था
प्रिंस अल-वलीद के पिता प्रिंस खालिद बिन तलाल बिन अब्दुल अजीज ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहाकि अल्लाह के हुक्म, नियति में पूर्ण विश्वास और गहरे दुख के साथ, हम अपने प्यारे बेटे प्रिंस अल-वलीद बिन खालिद बिन तलाल बिन अब्दुल अजीज अल सऊद के निधन पर शोक व्यक्त करते हैं। अल्लाह उन पर रहम करे।साल 2005 में कार एक्सीडेंट के बाद प्रिंस अल वलीद कोमा में चले गए थे। हादसे के वक्त वह महज 15 साल के थे। प्रिंस अल वलीद को ब्रेन हेमरेज हुआ, जिसके बाद उन्हें सऊदी अरब वापस लाया गया। यहां उन्हें रियाद के किंग अब्दुल अजीज मेडिकल सिटी में भर्ती कराया गया। अमेरिका और स्पेन के विशेषज्ञों से इलाज सहित व्यापक चिकित्सकीय प्रयासों के बावजूद, प्रिंस पूरी तरह से होश में नहीं आ सके। प्रिंस अल-वलीद करीब 20 वर्षों तक वह कोमा में रहे। इस दौरान वह वेंटिलेटर और लाइफ सपोर्ट पर निर्भर थे।
एक पिता का अटूट विश्वास
राजकुमार खालिद बिन तलाल हर कदम पर अपने बेटे के साथ खड़े रहे। कठिन निर्णयों का सामना करते हुए, उन्होंने अपने बेटे के जीवन के लिए संघर्ष करने का फैसला किया, यह दृढ़ विश्वास रखते हुए कि जीवन और मृत्यु का फैसला इंसान नहीं कर सकता। उन्होंने जीवन रक्षक प्रणाली बंद करने की बार-बार दी गई सलाह को ठुकरा दिया। इसके बजाय, उन्होंने ईश्वरीय हस्तक्षेप पर भरोसा रखा। लगभग दो दशकों तक, उनके बेटे का अस्पताल का कमरा प्रार्थना स्थल बन गया। आने वालों में धार्मिक हस्तियाँ, शुभचिंतक और हज़ारों लोग शामिल थे, जिन्होंने राजकुमार की कहानी में त्रासदी से कहीं बड़ी बात देखी—आशा और मानवीय सहनशीलता की एक सशक्त मिसाल।
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स्लीपिंग प्रिंस क्यों कहा जाता था
जैसे-जैसे साल बीतते गए, जनता ने उन्हें एक नाम दिया: स्लीपिंग प्रिंस। यह शब्द उनके जीवन के जड़वत स्वरूप को दर्शाता था—एक युवा राजसी व्यक्ति जो 15 साल की उम्र में कोमा में चला गया और 36 साल की उम्र में अपनी मृत्यु तक वहीं रहा। वह रुके हुए समय का प्रतीक, नाज़ुकता की याद दिलाने वाला और एक ऐसी कहानी थी जिसका लाखों लोग दूर से ही अनुसरण करते थे। वर्षों से वायरल वीडियो ने अटकलों को हवा दी, कुछ ने तो यह भी कहा कि वह जाग गए हैं। हाल ही में एक क्लिप में झूठा दावा किया गया कि राजकुमार अपने परिवार से फिर से मिल रहे हैं, लेकिन बाद में पता चला कि उसमें सऊदी अरबपति यज़ीद मोहम्मद अल-राजही भी थे। ये अफ़वाहें आम थीं। लेकिन हक़ीक़त वही रही।