Wednesday, July 30, 2025
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Shaurya Path: India-US, India-China, Russia-Ukraine और India-UAE से जुड़े मुद्दों पर Brigadier Tripathi से वार्ता

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह भारत अमेरिका संबंधों, भारत-चीन के बीच हुए हालिया समझौतों, रूस-यूक्रेन यूद्ध और विदेश मंत्री एस. जयशंकर की यूएई यात्रा से जुड़े मुद्दों पर ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) के साथ चर्चा की गयी। पेश है विस्तृत साक्षात्कार- 
प्रश्न-1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच बातचीत के बाद क्या आपको लगता है कि जिन भारतीयों पर अमेरिका से निकाले जाने का खतरा मंडरा रहा है वह टल जायेगा? ट्रंप जिस तरह एक एक कर विभिन्न देशों पर अमेरिका के आर्थिक हथियारों से हमला कर रहे हैं उसके क्या निहितार्थ हैं?
उत्तर- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अवैध प्रवासियों के मामले पर भारत के साथ बातचीत जारी है तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस मामले में वही करेंगे जो सही होगा। उन्होंने कहा कि हमें यह भी याद रखना चाहिए कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में 23 जनवरी को भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए कहा था कि भारत अवैध रूप से रह रहे भारतीयों की वैध वापसी के लिए हमेशा तैयार रहा है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के फरवरी में व्हाइट हाउस जाने की संभावना है। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका उन देशों पर शुल्क लगाएगा जो अमेरिका को नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने चीन, भारत और ब्राजील को उच्च शुल्क वाले देशों की श्रेणी में रखा है। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने अवैध प्रवासियों के बारे में खुद बताया है कि मोदी वही करेंगे जो सही है। उन्होंने कहा कि ट्रंप और मोदी के बीच अच्छे मित्रवत संबंध हैं। उन्होंने कहा कि दोनों ने सितंबर 2019 में ह्यूस्टन और फरवरी 2020 में अहमदाबाद में दो अलग-अलग रैलियों में हजारों लोगों को संबोधित किया था। उन्होंने कहा कि नवंबर 2024 में ट्रंप की शानदार चुनावी जीत के बाद मोदी उनसे बात करने वाले विश्व के तीन शीर्ष नेताओं में शामिल थे। उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं की हालिया बातचीत काफी सार्थक रही। दोनों नेताओं ने सहयोग बढ़ाने और उसे गहरा करने पर चर्चा की। उन्होंने हिंद-प्रशांत, पश्चिम एशिया और यूरोप में सुरक्षा समेत कई क्षेत्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि बातचीत के दौरान ट्रंप ने अमेरिका में निर्मित सुरक्षा उपकरणों की भारत द्वारा खरीद बढ़ाने और उचित द्विपक्षीय व्यापार संबंधों की दिशा में आगे बढ़ने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मोदी और ट्रंप ने अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी और हिंद-प्रशांत ‘क्वाड’ साझेदारी को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत इस साल के अंत में पहली बार क्वाड नेताओं की मेजबानी करेगा। उन्होंने कहा कि कई अन्य देशों की तरह भारत में भी आव्रजन और शुल्कों के प्रति ट्रंप प्रशासन के दृष्टिकोण को लेकर कुछ चिंताएं हैं। ट्रंप ब्रिक्स समूह पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाने की बात पहले ही कर चुके हैं। इस समूह में भारत भी शामिल है।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण करने के मात्र चार दिन के भीतर ही, देश ने सैन्य विमानों का उपयोग करते हुए अवैध अप्रवासियों के लिए निर्वासन उड़ानें शुरू कर दी थीं। उन्होंने कहा कि अवैध आप्रवासियों का सामूहिक निर्वासन, ट्रंप के प्रचार अभियान के प्रमुख चुनावी वादों में से एक रहा है। इसके तहत, ट्रंप ने एक शासकीय आदेश पर भी हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें सूचना जारी की गई है कि भविष्य में बिना दस्तावेज वाले अप्रवासियों से पैदा होने वाले बच्चों को नागरिक नहीं माना जाएगा। उन्होंने कहा कि व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने जानकारी दी थी कि पूर्व राष्ट्रपति ड्वाइट आइजनहावर के बाद पहली बार सैन्य विमानों का उपयोग कर निर्वासन उड़ानें शुरू की गई हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप पूरी दुनिया को एक कड़ा और स्पष्ट संदेश दे रहे हैं कि अगर आप अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करते हैं, तो आपको गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने कहा कि इस बारे में ट्रंप ने भी कहा है कि निर्वासन प्रक्रिया बेहद अच्छी तरह से जारी है। हम बुरे, खूंखार अपराधियों को बाहर निकाल रहे हैं। ये हत्यारे हैं। ये वे लोग हैं जो सबसे बुरे हैं, इतने बुरा आपने शायद ही किसी को भी देखा है। हम सबसे पहले इन्हें बाहर निकाल रहे हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन की रणनीति में वास्तव में अमेरिकी भू-राजनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए टैरिफ और प्रतिबंधों को उपकरण के रूप में उपयोग करना शामिल है। उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह ही डोनाल्ड ट्रंप ने मैक्सिको और कनाडा जैसे देशों से आयात पर महत्वपूर्ण टैरिफ लगाने की धमकी दी है और चीन पर टैरिफ तथा रूस के खिलाफ और प्रतिबंध लगाने का भी प्रस्ताव किया है। उन्होंने कहा कि कोलंबिया के साथ स्थिति तब बिगड़ गई जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रवासियों के लिए निर्वासन उड़ानों को स्वीकार करने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि कई विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस तरह की आक्रामक आर्थिक रणनीति वास्तव में उलटा असर डाल सकती है। उन्होंने कहा कि साथ ही प्रतिबंधों का अत्यधिक उपयोग भी लंबे समय में उनकी प्रभावशीलता को कम कर सकता है।
प्रश्न-2. भारतीय विदेश सचिव की चीन यात्रा के दौरान संबंधों में सुधार की दिशा में और कदम उठाये गये हैं। इसे कैसे देखते हैं आप?
उत्तर- संबंध सुधर तो रहे हैं लेकिन भारत को अब भी चीन पर पूरी तरह भरोसा नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जहां तक हालिया वार्ता की बात है तो भारत और चीन ने संबंधों के ‘पुनर्निर्माण’ के लिए कई उपायों की घोषणा की है जिसमें इस साल गर्मियों में कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करना और सीधी उड़ानें बहाल करने पर सैद्धांतिक रूप से सहमत होना शामिल है। उन्होंने कहा कि विदेश सचिव विक्रम मिसरी की चीन के उप विदेश मंत्री सुन वेइदोंग के साथ बीजिंग में व्यापक वार्ता के बाद इन निर्णयों की घोषणा की गई। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने सीमापार नदियों से संबंधित आंकड़ों और अन्य सहयोग का प्रावधान पुनः शुरू करने को लेकर चर्चा के लिए भारत-चीन विशेषज्ञ स्तरीय तंत्र की बैठक शीघ्र बुलाने पर भी सहमति व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि विदेश सचिव ने विदेश मंत्री वांग यी और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अंतरराष्ट्रीय विभाग के मंत्री लियू जियानचाओ से भी मुलाकात की।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि मिसरी और सुन ने भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति की व्यापक समीक्षा की और संबंधों में स्थिरता और पुनर्निर्माण करने के लिए कुछ जन-केंद्रित कदम उठाने पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में दोनों पक्षों ने 2025 की गर्मियों में कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर शुरू करने का फैसला किया। प्रासंगिक तंत्र मौजूदा समझौतों के अनुसार ऐसा करने के तौर-तरीकों पर चर्चा करेगा। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच सीधी हवाई सेवाएं फिर शुरू करने के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमति हुई है। दोनों पक्षों के संबंधित तकनीकी अधिकारी जल्द ही इसके लिए एक रूपरेखा पर बातचीत करेंगे। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने मीडिया और थिंक टैंक के बीच बातचीत आदि को अधिक बढ़ावा देने और सुविधाजनक बनाने के लिए उचित कदम उठाने पर सहमति व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय के बयान में पिछले वर्ष अक्टूबर माह में कज़ान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई वार्ता का भी उल्लेख किया गया है। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय ने कहा है कि जैसा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच अक्टूबर में कज़ान में हुई बैठक में सहमति बनी थी, विदेश सचिव मिसरी और चीनी उप विदेश मंत्री सुन ने भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति की “व्यापक” समीक्षा की और संबंधों को ‘‘स्थिर करने और पुनर्निर्माण” करने के लिए कुछ जन-केंद्रित कदम उठाने पर सहमति व्यक्त की।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि दोनों पक्षों का मानना है कि 2025 जो भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ है, का उपयोग एक-दूसरे के बारे में बेहतर जागरूकता पैदा करने और जनता के बीच आपसी विश्वास और भरोसा बहाल करने के लिए सार्वजनिक कूटनीति प्रयासों को दोगुना करने के लिए किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले महीने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने बीजिंग का दौरा किया था और सीमा विवाद पर विशेष प्रतिनिधि (एसआर) वार्ता के ढांचे के तहत चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत की थी।
प्रश्न-3. रूस-यूक्रेन युद्ध में ताजा अपडेट क्या है? कहा जा रहा है कि यह युद्ध रुकवाने का ट्रंप का सीक्रेट प्लान लीक हो गया है। उस सीक्रेट प्लान में क्या था?
उत्तर- रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की को “नाजायज़” बताते हुए उनके साथ किसी भी बातचीत से इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसा तब हुआ जब रूसी सेना ने खार्किव क्षेत्र के एक अन्य प्रमुख शहर पर नियंत्रण कर लिया। उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह के दौरान यूक्रेन के 1,000 किलोमीटर के भीतर किये गये लगभग आधे रूसी हमले पूर्व में पोक्रोव्स्क शहर पर केंद्रित रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस शहर को डोनेट्स्क क्षेत्र में यूक्रेन के हाथों में छोड़े गए सबसे भारी किलेबंद क्षेत्रों का प्रवेश द्वार माना जाता है। उन्होंने कहा कि पिछले हफ्ते यूक्रेनी कमांडरों ने बताया था कि शहर पर कब्जा करने के लिए बड़ी संख्या में रूसी सेनाएं वहां एकत्र हो रही थीं। उन्होंने कहा कि पोक्रोव्स्क में लड़ रहे यूक्रेनी नेशनल गार्ड इकाइयों के प्रवक्ता मैक्सीम बाकुलिन ने बताया कि दुश्मन चौबीसों घंटे आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि 68वीं जैगर ब्रिगेड से जुड़े एक यूएवी प्लाटून के कमांडर ने बताया है कि रूसी सेना कभी-कभी एक ही स्थान पर हमला करने के लिए 30 यूएवी तक भेज रही थी।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने कहा है कि रूस ने पिछले सप्ताह में 1,250 ग्लाइड बम गिराए थे। उन्होंने कहा कि रूस यूक्रेनी अग्रिम मोर्चों पर ग्लाइड बमों का उपयोग करता है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि उसने एक बड़े यूक्रेनी ड्रोन हमले को विफल कर दिया है। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर, अमेरिकी सैन्य सहायता बाधित होने की आशंका के बीच जेलेंस्की यूरोपीय सहायता पाने के लिए उधर की दौड़ लगा रहे हैं और इधर रूस आगे बढ़ता जा रहा है।
प्रश्न-4. विदेश मंत्री एस. जयशंकर यूरोप और अमेरिका के बाद अब यूएई के दौरे पर हैं। बदलते वैश्विक परिदृश्यों में भारतीय विदेश मंत्री की इन यात्राओं का क्या रणनीतिक महत्व है?
उत्तर- बदलते वैश्विक क्रम के साथ दुनिया जिस तरह से ‘जटिल’ और ‘परिवर्तनशील’ दौर से गुजर रही है ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच सहयोग और गहरा होगा। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर की संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की तीन दिवसीय यात्रा का उद्देश्य यूएई जैसे प्रभावशाली खाड़ी देश के साथ भारत की व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और आगे बढ़ाना रहा। उन्होंने कहा कि दुनिया एक जटिल और अस्थिर चरण में प्रवेश कर गई है क्योंकि वैश्विक व्यवस्था वास्तव में बदल रही है। ऐसे हालात में नए अवसर पैदा होते हैं और सच्ची मित्रता बनती है। उन्होंने कहा कि जब हम वैश्विक परिदृश्य देखते हैं तो ऐसी कई चीजें हैं जो दोनों देशों को एक साथ लाती हैं। उन्होंने कहा कि यूएई को अपना दूसरा घर कहने वाले भारतीयों की संख्या 2015 में 25 लाख थी जो अब बढ़कर 40 लाख से अधिक हो गई है। उन्होंने कहा कि ये संख्याएं उस गर्मजोशी और सौहार्द को दर्शाती हैं जो आज हमारे संबंधों की विशेषता है। उन्होंने कहा कि व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते ने व्यापार और निवेश को बढ़ाया है। स्थानीय मुद्रा व्यापार व्यवस्था और फिनटेक तंत्र उल्लेखनीय रहे हैं। उन्होंने कहा कि अबू धाबी में बीएपीएस हिंदू मंदिर बहुलवाद, सद्भाव और सहिष्णुता के प्रतीक के रूप में उभरा है।
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