बांग्लादेश के अभियोजकों ने रविवार को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर 2024 के छात्र-नेतृत्व वाले विद्रोह के दौरान हिंसक कार्रवाई में उनकी कथित भूमिका के लिए मानवता के खिलाफ अपराध का आरोप लगाया है। इसी विद्रोह के कारण अंततः उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। यह 77 वर्षीय नेता के मुकदमे की औपचारिक शुरुआत है, जो फिलहाल भारत में स्व-निर्वासन में रह रही हैं।
शेख हसीना पर लगे गंभीर आरोप
अभियोजकों के अनुसार, एक जांच रिपोर्ट से पता चला है कि हसीना ने राज्य सुरक्षा बलों, अपने राजनीतिक दल और उनसे जुड़े समूहों को सीधे आदेश दिए थे। इन आदेशों के कारण ऐसे अभियान चलाए गए जिनमें बड़ी संख्या में लोग मारे गए या घायल हुए। उन पर ‘जुलाई के विद्रोह के दौरान सामूहिक हत्या को रोकने में विफलता, उकसाने, मिलीभगत, सुविधा प्रदान करने, साजिश रचने और विफल रहने’ का आरोप है।
अभियोजकों ने बताया ‘समन्वित हमला’
बांग्लादेश के घरेलू अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) के मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने रविवार को एक टेलीविज़न सुनवाई के दौरान वीडियो साक्ष्य और विभिन्न एजेंसियों के बीच एन्क्रिप्टेड संचार का हवाला देते हुए कहा, ‘ये हत्याएँ योजनाबद्ध थीं।’
समाचार एजेंसी एएफपी ने मुख्य अभियोजक के हवाले से बताया कि, “सबूतों की जांच करने के बाद, हम इस नतीजे पर पहुंचे कि यह एक समन्वित, व्यापक और व्यवस्थित हमला था। आरोपी (शेख हसीना) ने विद्रोह को कुचलने के लिए सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों और अपने सशस्त्र दल के सदस्यों को तैनात कर दिया था।”
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पूर्व गृह मंत्री और पुलिस प्रमुख भी सह-आरोपी
अभियोजकों ने आगे आरोप लगाया कि सरकार की प्रमुख होने के नाते, हसीना अशांति के दौरान सुरक्षा बलों की कार्रवाइयों की कमान संभाल रही थीं। हसीना के साथ, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को भी अदालत में दायर शिकायत में सह-आरोपी बनाया गया है।