‘दिशोम गुरु’ के नाम से जाने जाने वाले वरिष्ठ आदिवासी नेता शिबू सोरेन के निधन के एक दिन बाद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि अन्याय के खिलाफ उनके पिता का संघर्ष अधूरा नहीं रहेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह अपने पिता के निधन के बाद जीवन के सबसे कठिन दौर से गुजर रहे हैं। झारखंड के गठन में अहम भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ आदिवासी नेता एवं झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक शिबू सोरेन ने सोमवार को अंतिम सांस ली। वह 81 वर्ष के थे।
वरिष्ठ आदिवासी नेता और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के सह-संस्थापक शिबू सोरेन का अंतिम संस्कार मंगलवार को रामगढ़ जिले में उनके पैतृक गांव नेमरा में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
‘गुरुजी’ के नाम से मशहूर शिबू सोरेन ने सोमवार को दिल्ली के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली थी और वहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी थी।
अधिकारियों ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य शिबू सोरेन के अंतिम संस्कार की तैयारियां झारखंड के रामगढ़ जिले में उनके पैतृक गांव में की जा रही हैं। यह स्थान राज्य की राजधानी रांची से लगभग 70 किलोमीटर दूर है।
सोरेन का गुर्दे से जुड़ी बीमारियों के लिए एक महीने से अधिक समय से दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में इलाज किया जा रहा था। वह 81 वर्ष के थे।
रामगढ़ के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक सहित वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने तैयारियों का जायजा लेने के लिए नेमरा का दौरा किया।
अंतिम संस्कार के लिए विशेष यातायात व्यवस्था की गई है क्योंकि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और अन्य कई नेताओं के इसमें शामिल होने की संभावना है।
इस बीच, ‘दिशोम गुरु’ शिबू सोरेन के निधन से नेमरा गांव में शोक की लहर दौड़ गई।
उनके निधन से उस निर्णायक राजनीतिक युग का अंत हो गया, जिसने झारखंड के आदिवासी आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलायी।
शिबू सोरेन पिछले 38 वर्षों से झामुमो के नेता थे।
उनके सम्मान में झारखंड सरकार ने छह अगस्त तक तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।
झारखंड के अधिकांश स्कूल मंगलवार को बंद हैं और कई विद्यालयेां में दिवंगत आत्मा की शांति के लिए विशेष प्रार्थना की जा रही है।
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सोमवार को राज्यसभा की कार्यवाही भी वर्तमान सांसद शिबू सोरेन के निधन के बाद उनके सम्मान में पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
झारखंड विधानसभा का मौजूदा मानसून सत्र उनके निधन की घोषणा के बाद अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। मानसून सत्र एक अगस्त से शुरू हुआ था।
विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने कहा कि सोरेन का निधन न केवल झारखंड के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
सदन की ओर से शोक व्यक्त करते हुए महतो ने कहा, ‘‘वह गरीबों के लिए अपनी लड़ाई के लिए जाने जाते थे।’’
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शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर दिल्ली से एक विशेष विमान के जरिए रांची लाया गया।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उनकी पत्नी एवं विधायक कल्पना सोरेन और भाई एवं विधायक बसंत सोरेन भी झारखंड लौट आए।
फूलों से सजी एक खुली गाड़ी में पार्थिव शरीर को हवाई अड्डे से रांची स्थित सोरेन के मोराबादी स्थित आवास तक ले जाया गया। इस दौरान मुख्यमंत्री और उनके विधायक भाई पूरी यात्रा के दौरान अपने पिता के पार्थिव शरीर के पास बैठे रहे।
मुख्यमंत्री सोरेन की पत्नी वाहन के आगे बैठी नजर आईं और उन्होंने कहा, ‘‘सब कुछ वीरान हो गया है…आपका संघर्ष, आपका प्यार, आपकी प्रतिबद्धता- आपकी यह बेटी कभी नहीं भूलेगी।
झारखंड की राजधानी रांची में पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि देने के लिए ‘अंतिम जोहार’ (अंतिम प्रणाम) संदेश वाले होर्डिंग, बैनर और पोस्टर लगाए गए। गुर्दे संबंधी समस्याओं के कारण एक महीने से अधिक समय से दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में इलाज करा रहे शिबू सोरेन का सोमवार को 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया। रांची के करमटोली चौक पर एक बड़ा होर्डिंग लगाया गया है जिस पर लिखा है, ‘‘अंतिम जोहार… विनम्र श्रद्धांजलि, झारखंड राज्य निर्माता दिशोम गुरु शिबू सोरेन।’’ करमटोली में लगे बड़े से होर्डिंग को देखकर एक राहगीर रमेश हांसदा (45) ने कहा, ‘‘झारखंड ने शिबू सोरेन जैसा नेता कभी नहीं देखा। झारखंड के लिए उनका योगदान हमेशा राज्य के हर नागरिक के दिल में रहेगा।’’