शुक्रवार को घोषित 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में बॉलीवुड के लिए “द केरल स्टोरी” सबसे बड़ी विजेताओं में से एक रही। इस फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और सर्वश्रेष्ठ छायांकन के लिए दो पुरस्कार जीते। हालांकि, फिल्म की टीम जश्न मना रही थी, लेकिन इस जीत पर राजनीतिक विवाद छिड़ गया। राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार निर्णायक मंडल द्वारा फिल्म द केरल स्टोरी के लिए सुदीप्तो सेन को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार सहित दो पुरस्कार देने के फैसले की केरल में तीखी आलोचना हुई है। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने एक बयान में अपना विरोध व्यक्त करते हुए कहा कि निर्णायक मंडल ने केरल को बदनाम करने और सांप्रदायिकता फैलाने के लिए झूठ पर आधारित फिल्म को पुरस्कार देकर भारतीय सिनेमा की उस महान परंपरा का अपमान किया है जो धार्मिक भाईचारे और राष्ट्रीय एकता के लिए खड़ी है।
मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीट में लिखा “केरल की छवि धूमिल करने और सांप्रदायिक नफ़रत के बीज बोने के स्पष्ट इरादे से ज़बरदस्त ग़लत सूचना फैलाने वाली एक फ़िल्म को सम्मानित करके, राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कारों के निर्णायक मंडल ने संघ परिवार की विभाजनकारी विचारधारा में निहित एक कथानक को वैधता प्रदान की है। केरल, एक ऐसी भूमि जो हमेशा सांप्रदायिक ताकतों के ख़िलाफ़ सद्भाव और प्रतिरोध का प्रतीक रही है, इस फ़ैसले से घोर अपमानित हुई है।
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कांग्रेस नेता के. सी. वेणुगोपाल ने शुक्रवार को कहा कि फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ को राष्ट्रीय पुरस्कार मिलना इस बात का एक उदाहरण है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) किस तरह नफरत को प्रायोजित करती है और बढ़ावा देती है। पार्टी महासचिव ने कहा, ‘‘यह फिल्म ‘कूड़ेदान’ में फेंक दिए जाने लायक है और यह ‘एक घटिया एजेंडा’ फैलाती है तथा मेरे खूबसूरत राज्य केरल को बदनाम करती है।’’ केरल के अलप्पुझा से सांसद ने कहा, ‘‘इस फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार मिलना इस बात का सबसे शानदार उदाहरण है कि भाजपा सरकार किस तरह नफरत को प्रायोजित करती है और बढ़ावा देती है।’’ उन्होंने कहा कि केरल अपने ही देश की सरकार से मिले इस अपमान को कभी बर्दाश्त नहीं करेगा।
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सुदीप्तो सेन की विवादास्पद फिल्म ‘द केरल स्टोरी’, जिसने अपने कथित दुष्प्रचार-आधारित कथानक के लिए तीखी बहस छेड़ दी थी, ने 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में दो बड़े पुरस्कार जीते—सर्वश्रेष्ठ निर्देशन (सुदीप्तो सेन) और सर्वश्रेष्ठ छायांकन (प्रशांतु महापात्रा)। इस फैसले की व्याख्या करते हुए, जूरी सदस्य और फिल्म निर्माता प्रदीप नायर ने कहा कि फिल्म का चयन उसकी “प्रासंगिकता” के आधार पर किया गया था, जिसे जूरी ने “भारत में एक प्रमुख सामाजिक मुद्दा” माना था।
फीचर फिल्म श्रेणी के लिए 11 सदस्यीय केंद्रीय पैनल के सदस्य नायर ने खुलासा किया कि उनके कड़े विरोध के बावजूद, जूरी के बहुमत से ‘द केरल स्टोरी’ का चयन किया गया। उन्होंने कहा, “पैनल में एक मलयाली होने के नाते, मैंने गंभीर आपत्तियाँ उठाईं। मैंने सवाल किया कि केरल जैसे राज्य को बदनाम करने वाली और दुष्प्रचार करने वाली फिल्म को राष्ट्रीय सम्मान के लिए कैसे चुना जा सकता है। मैंने अपनी चिंताएँ सीधे जूरी अध्यक्ष को भी बताईं।” “हालांकि, मैं अकेला था जिसने इसे दुष्प्रचार करार दिया। दूसरों का तर्क था कि भले ही यह विवादास्पद थी, लेकिन इसने एक प्रासंगिक सामाजिक मुद्दे को उठाया।”
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