पाकिस्तान पहली बार अमेरिकी कच्चे तेल की खरीदारी करने वाला है और ह्यूस्टन से एक माल अक्टूबर तक कराची पहुँचने की उम्मीद है। यह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पाकिस्तान में “विशाल तेल भंडार” विकसित करने के लिए एक समझौते की घोषणा के बाद हुआ है। इस घटनाक्रम को अमेरिका की ओर से एक महत्वपूर्ण रुख के रूप में देखा जा रहा है और यह पाकिस्तान में अमेरिका के एक निश्चित प्रभुत्व को भी दर्शाता है। सिनर्जिको और विटॉल के बीच यह ऐतिहासिक व्यापार समझौता ऐसे समय में हुआ है जब राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अमेरिका और भारत के बीच मज़बूत गठबंधन तनाव में दिख रहा है। यह स्थिति क्षेत्रीय गतिशीलता में संभावित बदलावों का संकेत देती है, खासकर जब भारत के स्वतंत्र निर्णय अमेरिकी अपेक्षाओं से अलग दिखाई देते हैं।
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पाक अमेरिका में समझौता
पाकिस्तान और अमेरिका के बीच एक नया व्यापार समझौता हुआ है, जिसे पाकिस्तान ने ऐतिहासिक करार दिया है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का आभार जताते हुए कहा कि यह डील दोनों देशों की साझेदारी को नए मुकाम तक ले जाएगी। वहीं, ट्रंप ने इसे पाकिस्तान के विशाल तेल भंडार को मिलकर विकसित करने की दिशा में एक बड़ी शुरुआत बताया है।
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पाकिस्तान को क्या फायदा होगा?
ऊर्जा संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को घरेलू स्तर पर तेल उत्पादन से राहत मिल सकती है। अमेरिकी निवेश से अर्थव्यवस्था को सहारा मिलेगा और विदेशी मुद्रा भंडार में सुधार की उम्मीद है। समझौते में आईटी, क्रिप्टो, खनिज और व्यापार से जुड़े दूसरे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की भी बात है।
अमेरिका की रणनीति क्या है?
यह डील ऐसे वक्त हुई है जब अमेरिका चीन और रूस के प्रभाव को एशिया में संतुलित करना चाहता है। पाकिस्तान के साथ रणनीतिक साझेदारी अमेरिका को दक्षिण एशिया में ऊर्जा और व्यापार के नए रास्ते खोलने में मदद कर सकती है।