उन्नाव रेप कांड के मुख्य आरोपी और पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाई कोर्ट से मिली सशर्त जमानत ने एक बड़े विवाद को जन्म दे दिया है। जहां पीड़िता ने इस फैसले को अपने परिवार की सुरक्षा के लिए ‘मौत की दस्तक’ बताया है, वहीं सीबीआई ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बना लिया है।
हाई कोर्ट का फैसला
दिल्ली हाई कोर्ट की बेंच ने सेंगर की उम्रकैद की सजा को निलंबित करते हुए जमानत दी है। कोर्ट का तर्क है कि वह 7 साल 5 महीने जेल में काट चुका है। हालांकि, कोर्ट ने कुछ सख्त शर्तें भी रखी हैं। कोर्ट की शर्तों के अनुसार, सेंगर को पीड़िता और उसके परिवार के घर से कम से कम 5 किलोमीटर दूर रहना होगा। उसे 15 लाख रुपये का पर्सनल बॉन्ड और उतनी ही रकम की तीन जमानतें भी देनी होंगी।
जेल से अभी रिहाई नहीं
रेप केस में जमानत के बावजूद सेंगर को अभी जेल में ही रहना पड़ेगा, क्योंकि पीड़िता के पिता की कस्टोडियल डेथ (हिरासत में मौत) के मामले में उसे मिली 10 साल की सजा अभी बरकरार है।
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हमारे लिए यह फैसला ‘काल’ है
हाई कोर्ट के आदेश के बाद पीड़िता और उसकी मां ने दिल्ली में कड़ा विरोध प्रदर्शन किया। पीड़िता ने भावुक होते हुए कहा, ‘गवाहों और वकीलों की सुरक्षा पहले ही हटा ली गई है। दोषी को जमानत मिलना देश की बेटियों की सुरक्षा पर सवाल है। हमारे लिए यह फैसला ‘काल’ के समान है। ऐसा लगता है कि जिनके पास पैसा है, वही जीतते हैं।’
राजनीतिक हलचल
विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 10 जनपथ पर पीड़िता से मुलाकात की और पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को जबरन हटाए जाने की निंदा की। दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश के मंत्री ओपी राजभर ने परिवार को भरोसा देते हुए कहा, ‘कोर्ट ने 5 किमी की दूरी बनाए रखने का आदेश दिया है, सुरक्षा को लेकर चिंता की कोई बात नहीं है। प्रशासन नियमों का पालन सुनिश्चित करेगा।’
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CBI का अगला कदम
सीबीआई के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया है कि एजेंसी हाई कोर्ट के इस आदेश का अध्ययन कर रही है और जल्द ही इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। एजेंसी ने पहले भी सेंगर की जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया था।

