उत्तर प्रदेश भाजपा लखनऊ में पार्टी के ब्राह्मण विधायकों और एमएलसी की हालिया बैठक को लेकर विभाजित नजर आ रही है। जहां नव नियुक्त राज्य इकाई के प्रमुख पंकज चौधरी ने विधायकों को जाति आधारित ऐसी बैठकें आयोजित करने के खिलाफ चेतावनी दी है और कहा है कि भविष्य में इन्हें अनुशासनहीनता माना जाएगा। वहीं उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और कई अन्य नेताओं का कहना है कि इस बैठक में कुछ भी गलत नहीं था।
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इसके साथ ही अब इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि पंकज चौधरी की ओर से जारी बयान से प्रदेश के ब्राह्मण समुदाय में अच्छा संदेश नहीं गया और इस पूरे मामले को पंकज चौधरी और बेहतर तरीके से संभाल सकते थे। 23 दिसंबर को उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान, ब्राह्मण विधायकों के एक समूह ने लखनऊ में बैठक की। इस बैठक ने काफी ध्यान आकर्षित किया, जिसमें समाजवादी पार्टी के बागी विधायकों के साथ-साथ भाजपा के विधायक भी शामिल थे। यह बैठक भाजपा के कुशीनगर विधायक पंचानंद पाठक के लखनऊ स्थित आवास पर उनकी पत्नी के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित की गई थी।
इसके बाद, राज्य भाजपा अध्यक्ष पंकज चौधरी ने एक कड़ा बयान जारी करते हुए कहा कि जाति आधारित बैठकें संविधान और पार्टी के मूल्यों के खिलाफ हैं, और चेतावनी दी कि ऐसा दोबारा होने पर अनुशासनहीनता मानी जाएगी। हालांकि, उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य समेत भाजपा के कुछ नेताओं ने इस बात से असहमति जताई। मौर्य ने कहा, “नज़रिया गलत है, उद्देश्य नहीं। लोग मिलते हैं, और उन्हें मिलना चाहिए। अगर कोई विधायक किसी के जन्मदिन, शादी की सालगिरह में जाता है या लिट्टी-चोखा खाने जाता है, तो उसे जाति आधारित बैठक नहीं माना जाना चाहिए।”
मंत्री धर्मवीर प्रजापति और सुनील शर्मा ने भी इसी तरह की भावनाएं व्यक्त कीं। प्रजापति ने कहा, “सत्र के दौरान विधायक इकट्ठा होते हैं और बैठकें करते हैं। इसे जातिवाद से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।” शर्मा ने आगे कहा, “सदन के दौरान चार से छह लोग हमेशा एक साथ बैठते हैं। अगर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोग एक साथ बैठते हैं, तो उसे उसी तरह से नाम दिया जाता है। इसमें कोई राजनीतिक इरादा नहीं था। उपस्थित लोगों ने राष्ट्र, सनातन और पार्टी को मजबूत करने पर चर्चा की होगी।”
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पूर्व भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह ने भी बैठक का समर्थन करते हुए कहा कि मैं इसे गलत नहीं मानता। जिन्हें लगता है, उन्हें लगने दें। अवसर को भांपते हुए विपक्षी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने ब्राह्मण मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने भाजपा के ब्राह्मण नेताओं से कड़ा रुख अपनाने का आग्रह किया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि सार्वजनिक रूप से चेतावनी देकर और “अनुशासनहीन” करार देकर अपमानित किए जाने से अंततः “अहंकारी शासक बेकाबू” हो जाएंगे।

