उत्तर प्रदेश के कई ज़िले में लगातार भारी बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है। लगातार बारिश और उसके परिणामस्वरूप जलभराव के कारण क्षेत्र में जन-जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। वाराणसी और प्रयागराज जैसे शहरों में गंभीर जलभराव की स्थिति है। वाराणसी शहर में लगातार भारी बारिश और गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि के कारण सोमवार को कई इलाकों में बाढ़ आ गई।
खतरे के निशान से ऊपर बह रही उत्तर प्रदेश में नदियां
उत्तर प्रदेश में भारी बारिश के कारण गंगा, यमुना और बेतवा सहित प्रमुख नदियां कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं और 13 जिले बाढ़ की स्थिति का सामना कर रहे हैं। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
राहत आयुक्त कार्यालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, गंगा नदी वाराणसी, मिर्जापुर, गाजीपुर और बलिया में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जबकि यमुना औरैया, कालपी, हमीरपुर, प्रयागराज और बांदा में लाल निशान से ऊपर है।
इसके अनुसार बेतवा नदी भी हमीरपुर में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।
24 जिलों में भारी बारिश
राज्य में रविवार को 14.2 मिलीमीटर (मिमी) बारिश हुई और 24 जिलों में भारी बारिश हुई।
इस समय राज्य के 13 जिले बाढ़ की स्थिति का सामना कर रहे हैं। इन जिलों में प्रयागराज, जालौन, औरैया, हमीरपुर, मिर्जापुर, वाराणसी, कानपुर देहात, बलिया, बांदा, इटावा, फतेहपुर, कानपुर नगर और चित्रकूट शामिल हैं।
अधिकारियों ने बताया कि वाराणसी में सोमवार सुबह गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया, जिससे घाट जलमग्न हो गए और अधिकारियों को दाह संस्कार और अन्य धार्मिक अनुष्ठान छतों और ऊंचे चबूतरों पर करने के आदेश देने पड़े।
केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, सोमवार सुबह तक गंगा नदी 72.1 मीटर के स्तर पर बह रही थी, जो खतरे के स्तर 71.262 मीटर से ऊपर है।
गंगा सेवा निधि के शिवम अग्रहरि ने कहा कि सभी घाट जलमग्न हो गए हैं, जिससे वहां पहुंचना अवरुद्ध हो गया है।
दशाश्वमेध घाट पर प्रसिद्ध गंगा आरती अब छतों पर की जा रही है, जबकि मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाटों पर दाह संस्कार ऊंचे चबूतरों पर किए जा रहे हैं।
जिले के अधिकारियों ने एहतियात के तौर पर नदी में नावों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया है।
अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीमें बाढ़ प्रभावित इलाकों में गश्त कर रही हैं और फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही हैं।
प्रयागराज में भारी बारिश से सड़कें नालों में तब्दील
प्रयागराज में पिछले कुछ दिनों से हो रही भारी बारिश के कारण शनिवार से गंगा और यमुना का जलस्तर खतरे के निशान 84.73 मीटर से ऊपर है, जिससे जिले के 200 से ज़्यादा गांव और शहर की लगभग 60 बस्तियां बाढ़ की चपेट में आ गई हैं।
जिला प्रशासन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, सोमवार सुबह 8 बजे नैनी में यमुना नदी का जलस्तर 86.04 मीटर दर्ज किया गया, जबकि फाफामऊ में गंगा नदी का जलस्तर 86.03 मीटर दर्ज किया गया।
जिला प्रशासन ने शहर में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के नागरिकों के लिए बाढ़ राहत शिविर केंद्र स्थापित किए हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ प्रभावित स्कूलों में शिक्षण कार्य स्थगित कर दिया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि शहर में सदर तहसील के अंतर्गत 107 वार्ड और मोहल्ले बाढ़ से प्रभावित हैं, जिनमें राजापुर, बेली कछार, चांदपुर सलोरी, गोविंदपुर, छोटा बघाड़ा और बड़ा बघाड़ा प्रमुख रूप से प्रभावित हैं।
वहीं ग्रामीण इलाकों में फूलपुर तहसील के 18, सोरांव के आठ, मेजा के 12, बारा तहसील के आठ और हंडिया तहसील के छह गांव बाढ़ से प्रभावित हैं।