मणिपुर के हालात को सामान्य बनाने के लिए राष्ट्रपति शासन के तहत हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं लेकिन छिटपुट हिंसा हो जाने के चलते हालात फिर से तनावपूर्ण हो जाते हैं। हम आपको बता दें कि पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री ने दिल्ली में गृह मंत्रालय में मणिपुर के हालात को लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई थी। इसके अलावा इसी सप्ताह संसद में मणिपुर के बजट पर चर्चा के दौरान केंद्र सरकार की ओर से आश्वासन दिया गया कि मणिपुर के हालात को हम सामान्य करके रहेंगे। हाल ही में राज्यपाल ने लोगों से लूटे गये हथियार को वापस सौंपने की जो अपील की थी उसे भी बड़ा समर्थन मिला और बड़ी संख्या में हथियार सुरक्षा बलों को लौटा दिये गये। लेकिन कुछ लोग यह बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं कि मणिपुर में शांति कैसे स्थापित हो रही है इसलिए वह बवाल करते रहते हैं। इसी कड़ी में चुराचांदपुर की घटना को लिया जा सकता है।
इस समय क्या हालात हैं?
हम आपको बता दें कि मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में आज भी हालात के तनावपूर्ण रहने के मद्देनजर स्कूल और बाजार बंद रहे। पुलिस के अनुसार, दो दिन पहले ‘हमार’ और ‘जोमी’ समुदायों के बीच हुई झड़प में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे। इसके चलते चुराचांदपुर में कर्फ्यू लगाया गया है। एक अधिकारी ने बताया कि जिले में स्कूल और बाजार बंद रहे और चर्च प्रमुखों एवं नागरिक संगठनों ने शांति बहाल करने के प्रयास किए। सुरक्षाबलों ने बुधवार रात ‘फ्लैग मार्च’ किए ताकि हिंसा की और घटनाएं नहीं हों। हम आपको बता दें कि जिले में मंगलवार रात हुई झड़प में हमार समुदाय के 51 वर्षीय लालरोपुई पाखुआंगते की गोली लगने से मौत हो गई थी। उसे ‘सिएलमेट क्रिश्चियन’ अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
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हमार इनपुई महासचिव रिचर्ड हमार पर जोमी समुदाय के लोगों ने हमला किया था जिसके कारण हिंसा भड़क उठी और अगले दिन कर्फ्यू लगा दिया गया। इस बीच, राहत शिविरों में रह रहे कुकी समुदाय के कई विस्थापित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया। चुराचांदपुर शहर में मुख्य रूप से जोमी समुदाय के लोग रहते हैं, जबकि कुछ इलाकों में हमार और कुकी समुदाय के लोग भी बसे हुए हैं। छात्र संगठन द्वारा बुधवार को जिले में बंद का आह्वान किए जाने के कुछ घंटों बाद कई विधायकों और जनजातीय संगठनों ने शांति की अपील की।
एक संयुक्त बयान में, चुराचांदपुर जिले में सक्रिय कम से कम 12 कुकी-जोमी और हमार संगठनों ने समुदायों के बीच शांति का आह्वान किया है और स्थिति पर नजर रखने एवं भविष्य में गलतफहमियों को रोकने के लिए एक संयुक्त शांति समिति बनाने पर सहमति जताई है। चुराचांदपुर और फेरजावल जिले के छह विधायकों ने भी शांति और सद्भाव के लिए संयुक्त रूप से एक अपील जारी की तथा प्रशासन से कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बयान
जहां तक मणिपुर के हालात को लेकर मोदी सरकार के रुख की बात है तो आपको बता दें कि इसी सप्ताह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में कहा कि केंद्र सरकार मणिपुर में सामान्य स्थिति और समृद्धि लाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही उन्होंने राज्य के आर्थिक विकास के लिए सभी तरह का समर्थन देने का आश्वासन दिया। वित्त मंत्री ने उच्च सदन में यह बात मणिपुर के बजट और उससे संबंधित अनुदान की अनुपूरक मांगों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कही थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कुछ छिटपुट घटनाओं को छोड़कर पूर्वोत्तर राज्य में कुल मिलाकर कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है।
उन्होंने कहा कि मणिपुर में हिंसा के कारण वहां की आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। किंतु उन्होंने भरोसा जताया कि राज्य जल्द ही इन सबसे उबर जाएगा। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर गये थे और वहां उन्होंने कई राहत शिविरों में जाकर पीड़ितों की समस्याओं को गंभीरता के साथ सुना। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मणिपुर का दौरा नहीं किए जाने के विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि पूर्व में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव एवं इन्द्रकुमार गुजराल के शासनकाल में भी मणिपुर में अशांति की स्थिति बनी थी किंतु उस समय के प्रधानमंत्री एक बार भी वहां नहीं गये थे।
उन्होंने विपक्ष से अनुरोध किया कि ‘‘मणिपुर एक संवेदनशील मुद्दा है, हम सभी को एक-दूसरे का समर्थन करना होगा’’। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने मणिपुर सहित देश के सभी राज्यों के प्रति पूरी संवेदनशीलता दिखायी है। हम आपको यह भी बता दें कि विपक्ष मणिपुर को लेकर केंद्र के रुख पर सवाल उठाता रहा है और भाजपा के ‘डबल इंजन की सरकार’ नारे पर तंज कसता रहा है। इसकी ओर संकेत करते हुए वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘डबल इंजन निश्चित रूप से डबल इंजन। इसीलिए गृह मंत्री वहां थे (चार दिन तक) और गृह राज्य मंत्री वहां 23 से अधिक दिन तक रहे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, कृपया तुलना मत करिए कि आपने मणिपुर के साथ कैसा बर्ताव किया था और यह सरकार मणिपुर को लेकर कैसे काम कर रही है। हमारी संवदेनशीलता अधिक है, हम मणिपुर और इस देश के प्रत्येक राज्य की परवाह करते हैं।’’
मणिपुर जाएंगे सुप्रीम कोर्ट के 6 जज
हम आपको यह भी बता दें कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) ने कहा है कि उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति बीआर गवई और पांच अन्य न्यायाधीश जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में राहत शिविरों का 22 मार्च को दौरा करेंगे। नालसा ने कहा है कि प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति गवई, शीर्ष अदालत के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश, न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह के साथ मणिपुर उच्च न्यायालय के द्विवार्षिक समारोह के अवसर पर राहत शिविरों का दौरा करेंगे। नालसा ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया, “तीन मई 2023 को शुरू हुई जातीय हिंसा के लगभग दो वर्ष बाद भी कई लोग मणिपुर में राहत शिविरों में शरण लेने को मजबूर हैं।’’ नालसा ने बताया कि इस हिंसा में सैकड़ों लोगों की जान चली गई और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए। प्राधिकरण ने बताया कि न्यायमूर्ति गवई इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम और उखरुल जिलों में नए कानूनी सहायता केंद्रों के अलावा राज्य भर में कानूनी सेवा शिविरों और चिकित्सा शिविरों का डिजिटल माध्यम से उद्घाटन करेंगे। नालसा के अनुसार, आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों को आवश्यक राहत सामग्री वितरित की जाएगी। विज्ञप्ति में बताया गया, “हिंसा के बीच, नालसा ने मणिपुर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के साथ मिलकर प्रभावित समुदायों को कानूनी सहायता और सहयोग प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।”
कांग्रेस का बयान
वहीं कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय के छह न्यायाधीशों के मणिपुर का दौरा करने के निर्णय का स्वागत किया है और जातीय हिंसा प्रभावित राज्य का दौरा न करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना की है। कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि उनकी पार्टी इस फैसले का स्वागत करती है। जयराम रमेश ने साथ ही सरकार की आलोचना करते हुए मणिपुर पर मोदी की ‘चुप्पी’ को लेकर सवाल उठाया। कांग्रेस नेता ने कहा, “वह (प्रधानमंत्री मोदी) दुनिया भर में जाते हैं, असम जाते हैं, अन्य जगहों पर जाते हैं लेकिन मणिपुर नहीं जाते जबकि राज्य के लोग उनके दौरे का इंतजार करते रहते हैं।”