वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार करने वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट बृहस्पतिवार को लोकसभा के पटल पर रखी गई। हालांकि, विपक्षी सदस्यों का भारी हंगामा जारी रहा। समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखा। साथ ही, उन्होंने समिति के समक्ष आए साक्ष्यों का रिकॉर्ड भी सदन में रखा। विपक्षी सदस्यों का आरोप है कि उनकी असहमति को रिपोर्ट के साथ संलग्न नहीं किया गया है। इसको लेकर अमित शाह ने भी एक बयान दिया।
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अमित शाह ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से आग्रह किया कि वह विपक्ष की आपत्तियों को जोड़ सकते हैं और इस पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के कुछ सदस्यों ने चिंता जताई है कि (वक्फ जेपीसी रिपोर्ट में) उनके विचारों को पूरी तरह से शामिल नहीं किया गया है। मैं अपनी पार्टी की ओर से कहना चाहता हूं कि विपक्ष की चिंताओं को देखते हुए कुछ भी जोड़ा जा सकता है, मेरी पार्टी को कोई आपत्ति नहीं है।
एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवसी ने कहा कि यह बिल न केवल असंवैधानिक है और संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 29 का उल्लंघन करता है, यह वक्फ को बचाने के लिए नहीं बल्कि इसे बर्बाद करने और मुसलमानों से छीनने के लिए है। हम इस विधेयक की निंदा करते हैं। अध्यक्ष ने आश्वासन दिया है कि 70% सांसदों की असहमति रिपोर्टों के संशोधित संस्करण शामिल किए जाएंगे। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि 655 पेज की रिपोर्ट पढ़ने के लिए एक रात।
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उन्होंने कहा कि हमारे पास अपनी आपत्तियाँ प्रस्तुत करने के लिए बहुत ही कम समय था। अगर आप बैठकों के ब्योरे की जांच करेंगे तो पाएंगे कि क्लॉज दर क्लॉज पर कोई चर्चा नहीं हुई। हम सभी कई जेपीसी का हिस्सा रहे हैं, और क्लॉज दर क्लॉज चर्चा सबसे महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे नजरअंदाज कर दिया गया। चेयरमैन किसके प्रभाव में काम कर रहे हैं? इसके विरोध में आज हमने वॉकआउट किया।