डोनाल्ड ट्रंप की भारतीय-अमेरिकी रिपब्लिकन सहयोगी और संयुक्त राष्ट्र में पूर्व अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने भारत से रूसी तेल आयात पर तुरंत रोक लगाने का आग्रह किया है। उन्होंने रविवार को एक बयान में कहा कि भारत को इस मुद्दे पर ‘जितनी जल्दी हो सके’ व्हाइट हाउस के साथ मिलकर समाधान निकालना चाहिए। हेली के अनुसार, दोनों देशों के बीच दशकों की दोस्ती मौजूदा व्यापारिक तनावों और रूसी तेल आयात जैसे मुद्दों से निपटने का एक ठोस आधार प्रदान करती है।
हेली का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और अमेरिका के संबंधों में हाल के हफ्तों में तनाव बढ़ गया है। ट्रंप प्रशासन ने रूसी तेल खरीदने के लिए भारत पर द्वितीयक टैरिफ लगाए हैं। इसके अलावा, भारत ने हाल ही में पाकिस्तान के साथ चल रहे संघर्ष में अमेरिका की मध्यस्थता की कथित भूमिका को भी अस्वीकार कर दिया था, जिससे दोनों देशों के बीच मतभेद और गहरा गए।
वर्तमान में, भारतीय निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ 50 प्रतिशत से ऊपर हैं, जो ब्राजील के बाद सबसे ज्यादा हैं। इस ‘अनुचित, अनुचित और अविवेकपूर्ण’ कदम की भारत ने कड़ी निंदा की है, क्योंकि इससे कपड़ा और समुद्री निर्यात जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक कड़ा संदेश जारी कर स्पष्ट किया कि भारत अपने किसानों और मछुआरों के हितों से समझौता नहीं करेगा, भले ही इसकी कीमत चुकानी पड़े।
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चीन को लेकर क्या कहा?
अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पोस्ट और न्यूजवीक के एक लेख में, निक्की हेली ने जोर देकर कहा कि इन मतभेदों के बावजूद, दोनों देशों को अपने साझा लक्ष्यों से ध्यान नहीं हटाना चाहिए। उनके अनुसार, चीन का सामना करने के लिए अमेरिका को भारत जैसे मजबूत दोस्त की आवश्यकता है।
हेली ने आगाह किया कि वाशिंगटन और नई दिल्ली के बीच संबंध टूटने की कगार पर हैं और इन्हें फिर से पटरी पर लाना बेहद जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को चीन की तरह एक विरोधी नहीं समझा जाना चाहिए। उन्होंने ट्रंप प्रशासन को सलाह दी कि वे टैरिफ के मुद्दों या भारत-पाकिस्तान युद्धविराम में अमेरिका की भूमिका को दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच दरार पैदा करने की अनुमति न दें।
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भारत के लिए रूस से तेल क्यों है महत्वपूर्ण?
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद, रूस पर लगे प्रतिबंधों के कारण वैश्विक बाजार में तेल की कीमतें बढ़ गईं। रूस ने भारत जैसे देशों को कम कीमत पर तेल की पेशकश की, जो भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए एक आकर्षक विकल्प बन गया। भारत ने इस अवसर का लाभ उठाया, जिससे उसे अपनी अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने में मदद मिली। हालांकि, यह कदम अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के लिए चिंता का विषय बन गया है, जो रूस को आर्थिक रूप से कमजोर करना चाहते हैं। यह स्थिति भारत के लिए एक कूटनीतिक चुनौती बन गई है, जहां उसे अपनी ऊर्जा सुरक्षा और रणनीतिक साझेदारी के बीच संतुलन साधना पड़ रहा है।