सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स ने कहा है कि वह कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस हालिया आदेश के खिलाफ अपील करेगा जिसमें सरकारी निष्कासन नोटिसों का अनुपालन करने का निर्देश दिया गया है। कंपनी ने इस घटनाक्रम को बेहद चिंताजनक बताया और चेतावनी दी कि यह आदेश बड़ी संख्या में पुलिस अधिकारियों को मनमाने ढंग से निष्कासन निर्देश जारी करने की अनुमति देगा। अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि भारत में कर्नाटक न्यायालय के हालिया आदेश से हम बेहद चिंतित हैं, जो लाखों पुलिस अधिकारियों को मनमाने ढंग से निष्कासन आदेश जारी करने की अनुमति देगा। हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए इस आदेश के खिलाफ अपील करेंगे।
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कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इससे पहले एक्स द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कुछ अकाउंट और पोस्ट ब्लॉक करने के निर्देशों को चुनौती दी गई थी। अदालत ने कहा कि सोशल मीडिया का नियमन समय की मांग है और इस बात पर ज़ोर दिया कि माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म्स को भारत में बिना निगरानी के काम करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। अदालत ने कहा कि सोशल मीडिया कंपनियों को भारत में बिना किसी नियमन के काम करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। साथ ही, अदालत ने कहा कि देश में काम करने की इच्छुक हर कंपनी को यह जानना ज़रूरी है।
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पीठ ने कहा कि एक्स को देश के कानूनों का पालन करना होगा और स्पष्ट किया कि अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संवैधानिक संरक्षण केवल भारतीय नागरिकों को ही प्राप्त है, विदेशी संस्थाओं को नहीं। अदालत ने कहा कि अनुच्छेद 19 केवल नागरिकों के अधिकारों का चार्टर है। अनुच्छेद 19 के सुरक्षात्मक आलिंगन का उपयोग वे लोग नहीं कर सकते जो नागरिक नहीं हैं। पीठ ने आगे टिप्पणी की अमेरिकी न्यायशास्त्र को भारतीय न्यायिक विचार प्रक्रिया में नहीं लाया जा सकता,” और इस प्लेटफ़ॉर्म की आलोचना की कि उसने अमेरिकी कानूनों का पालन करते हुए भारत के निष्कासन आदेशों का पालन करने से इनकार कर दिया। इसने एल्गोरिदम के प्रभाव पर भी सवाल उठाया और पूछा, एल्गोरिदम लगातार सूचना के प्रवाह को आकार दे रहे हैं – क्या सोशल मीडिया के खतरे पर अंकुश लगाने और उसे नियंत्रित करने की आवश्यकता है?