दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने पत्रकारों के खिलाफ जारी किए गए गैग आर्डर को रद्द कर दिया। कोर्ट ने इसे अडानी इंटरप्राइजेज के लिए जारी किया था। ऑर्डर के तहत पत्रकारों को कथित तौर पर अडानी समूह के खिलाफ मानहानी वाले आर्टिकल और वीडियो को पब्लिश करने से रोका गया था। कोर्ट का ये फैसला पत्रकार रवि नायक, अबीर दास गुप्ता, आसकांत दास, राजेश जोशिी की तरफ से डाली की अपील पर सुनवाई के बाद आया। सुनवाई रोहिणी कोर्ट के जिला जज आशीष अग्रवाल ने की।
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कोर्ट ने क्या कहा
मेरा मानना है कि सेशन कोर्ट को कॉटेट की समीक्षा करनी चाहिए थी। जहां याचिकाकर्ता ने 2024-2025 में सर्कुलेट हुए लेखों और पोस्ट्स पर सवाल उठाए थे। वहीं कोर्ट ने दूसरे पक्ष को सुनवाई का मौका देना ठीक नहीं समझा। मेरे विचार में यह मौका दिया जाना चाहिए था। ऐसा न होने के कारण, यह आदेश नहीं टिकता है। यह आदेश केवल इस अदालत के सामने पेश हुए अपीलकर्ताओं के लिए लागू होगा। मामले की शुरुआत रोहिणी कोर्ट के 6 सितंबर को दिए एक आर्डर के बाद हुई। तब सीनियर सीविल जज अनुज कुमार ने एक्स पार्टी यानी एकतरफा आदेश दिया था। ये एक स्थाई कोर्ट आदेश है जो बिना किसी दूसरी पार्टी को सुने दिया जाता है। तब दिया जाता है जब तुरंत कार्रवाई की जरूरत हो ताकी गंभीर नुकसान रोका जा सके। आदेश में कोर्ट ने 9 लोगों संगठनों का नाम लिया था।
कोर्ट ने किनके नाम लिए थे
परंजॉय गुहा ठाकुरता
रवि नायर
आबिर दासगुप्ता
आयस्कांत दास
आयुष जोशी
अशोक कुमार
ड्रीमस्केप नेटवर्क इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड
गेटअप लिमिटेड
डोमेन डायरेक्टर्स प्राइवेट लिमिटेड ट्रेडिंग ऐज इंस्टरा
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जॉन ड्यो आर्डर
कोर्ट का आदेश एक जॉन ड्यो आर्डर जैसा है। जॉन डोय कानूनी भाषा में काल्पनिक या अज्ञात व्यक्ति का नाम होता है, जिसका इस्तेमाल मुकदमे में तब किया जाता है जब वकील या कंपनी को नुकसान पहुंचाने वाले शिकायकर्ता की पूरी जानकारी न हो। इस केस में जॉन डो आर्डर का मतलब है कि कोर्ट ने न केवल 9 लोगों व संगठनों बल्कि अज्ञात लोगों को भी अडानी ग्रुप के खिलाफ बिना सबूत वाले डिफेमेशन कंटेंट पब्लिश करने पर रोक लगा दिया। एक तरह से कोर्ट ने इस ऑर्डर से अडानी को शक्ति दी कि वो नए लिंक भेजकर और कंटेंट हटवा सके। कोर्ट ने कहा कि गलत और बिना सबूत वाले कंटेंट को 5 दिनों के अंदर हटाना होगा। कोर्ट के ऑर्डर के बाद केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने दो मीडिया संस्थानों और कई यूट्यूब चैनलों को नोटिस भेजकर अडानी समूह का उल्लेख करने वाले कुल 138 वीडियो और 83 इंस्टाग्राम पोस्ट हटाने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश के बाद पत्रकारों ने अलग अलग अपील दायर की। एक अपील पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता की तरफ से डाली गई।