Tuesday, October 21, 2025
spot_img
Homeराष्ट्रीयYes Milord: आधार पर कैसे फंस गया चुनाव आयोग? बिहार SIR पर...

Yes Milord: आधार पर कैसे फंस गया चुनाव आयोग? बिहार SIR पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या ऐतिहासिक फैसला दे दिया

बिहार चुनाव से पहले राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। बिहार में चुनाव आयोग के एसआईआर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को आदेश दिए कि आधार कार्ड को एक वैध पहचान पत्र माना जाता चाहिए। लेकिन यहां चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि ये नागरिकता का आधार नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इसे 11 अन्य दस्तावेजों के साथ मान्यता दी है। अब आधार को 12वें दस्तावेज के रूप में एसआईआर में शामिल किया जाएगा। 

इसे भी पढ़ें: फाइल देर से मिली…अभी जेल में ही रहेंगे उमर खालिद और शरजील इमाम, SC ने टाली याचिका

दरअसल, बिहार में चुनाव का समय नजदीक आ रहा है। चुनाव से पहले बिहार में चुनाव आयोग ने एसआईआर की प्रक्रिया जिसका लक्ष्य फर्जी फोटरों की पहचान करना था। इस दौरान चुनाव आयोग ने वोटरों की पहचान के लिए 11 दस्तावेजों की एक सूची बनाई थी। जिसके आधार पर वोटर अपनी नागरिकता साबित कर सकते थे। अंत में बिहार में करीब 60 लाख वोटर अपनी पहचान साबित नहीं कर सके। लेकिन चुनाव आयोग ने ऐसे सभी वोटरों के लिए एक सितंबर की डेडलाइन तय की थी। अब आरजेडी और एआईएमआईएम की ओर से इस डेडलाइन को बढ़ाने की मांग की गई। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि ये डेडलाइन 1 सितंबर के बाद भी जारी रहनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि आधार 11 दस्तावेजों के साथ एक अन्य दस्तावेज है।  

इसे भी पढ़ें: ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति बोल्सोनारो को क्यों हुई 27 साल की जेल, ट्रंप ने फैसले को बुरा बताया

कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज के रूप में माना जाए, जिसे पहचान प्रमाण के रूप में प्रस्तुत करके मतदाता सूची में नाम दर्ज कराया जा सकता है। इसका अर्थ है कि आधार कार्ड अब अन्य 11 दस्तावेज़ों की तरह अकेले ही पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार्य होगा। अदालत ने आयोग से कहा कि वह आवश्यक निर्देश जारी करे, ताकि पहचान प्रमाण के लिए आधार स्वीकार किया जा सके। अदालत ने कहा कि आधार अधिनियम के अनुसार आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है, लेकिन जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 23(4) को ध्यान में रखते हुए आधार पहचान स्थापित करने के लिए एक मान्य दस्तावेज है। अदालत ने चुनाव आयोग के उस बयान को रिकॉर्ड में लिया कि आधार कार्ड को पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाएगा।

इसे भी पढ़ें: SC पैनल ने वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में VIP दर्शन का सिस्टम किया बंद, यहां जानें बदलाव की पूरी डिटेल

साथ ही, आयोग के अधिकारियों को यह अधिकार होगा कि वे प्रस्तुत किए गए आधार कार्ड की प्रामाणिकता और वास्तविकता की जांच कर सकें। जस्टिस बागची ने टिप्पणी की कि चुनाव आयोग द्वारा बताए गए 11 दस्तावेजों में से पासपोर्ट और जन्म प्रमाण पत्र को छोड़कर कोई भी नागरिकता का प्रमाण नहीं है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने यह आदेश RJD और अन्य याचिकाकर्ताओं की दलीलों पर सुनवाई के बाद पारित किया। उन्होने कहा कि चुनाव आयोग के अधिकारी आधार कार्ड को अकेले दस्तावेज के रूप में स्वीकार नही कर रहे थे और SIR अधिसूचना में बताए गए 11 दस्तावेजों में से ही एक प्रस्तुत करने पर जोर दे रहे थे। RJD की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट के तीन आदेशों के बावजूद, निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी और बूथ स्तर अधिकारी (BLOs) आधार को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। यदि वे इसे स्वीकार नहीं करेंगे, तो यह किस प्रकार का नामांकन प्रैक्टिस है? वे तो गरीबों को बाहर करना चाहते हैं।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments