महाकुंभ भगदड़ मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस बीच, भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) ने इस घटना को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस घटना को लेकर याचिका हाईकोर्ट में दायर की जानी चाहिए। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार की पीठ कर रही थी।
‘यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, जो चिंता का विषय है’
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने को कहा है। सीजेआई ने कहा, ‘यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, जो चिंता का विषय है, लेकिन हाईकोर्ट जाएं। एक न्यायिक आयोग पहले ही गठित किया जा चुका है। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि भगदड़ की घटनाएं हर दिन हो रही हैं।
पीठ ने याचिका खारिज कर दी तथा याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय जाने की स्वतंत्रता दे दी।
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ को बताया कि घटना की न्यायिक जांच चल रही है। इसी तरह की एक याचिका उच्च न्यायालय में भी दायर की गई है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार की पीठ ने याचिका खारिज कर दी और याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय जाने की स्वतंत्रता दे दी।
विकास तिवारी ने आवेदन दायर किया।
यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील विशाल तिवारी ने दायर की थी। याचिकाकर्ता ने कहा, ‘राज्य सरकार महाकुंभ में भगदड़ रोकने में लापरवाही बरत रही है।’ याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार पर लापरवाही, असावधानी और इस घटना को रोकने में यूपी प्रशासन की विफलता का आरोप लगाया। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने कुंभ कार्यक्रमों के लिए एक समर्पित ‘भक्त सहायता कोष’ की स्थापना की भी मांग की। याचिका में सभी राज्यों को भीड़ प्रबंधन बढ़ाने के लिए नीतियां बनाने के निर्देश देने की भी मांग की गई है और अदालत से उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार के समन्वय में महाकुंभ में चिकित्सा सहायता दल तैनात करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
29 जनवरी को कुंभ में भगदड़ मच गई थी।
प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या यानी 29 जनवरी की सुबह अमृत स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। यह भीड़ त्रिवेणी संगम घाट की ओर बढ़ रही थी। इस दौरान भगदड़ मच गई और 30 से अधिक श्रद्धालुओं की मौत हो गई। इसके अलावा इस घटना में 60 से अधिक लोग घायल हो गए। हालाँकि, प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि इस घटना में मरने वालों की संख्या अधिक है। इसलिए हर कोई इस घटना को लेकर यूपी सरकार पर सवाल उठा रहा है।