Saturday, May 24, 2025
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दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025: क्या भाजपा मध्यम वर्ग को फिर से अपना बना पाएगी?

Delhi Election Voting

दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने खुद को गरीबों का हितैषी साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कांग्रेस अपने वोट शेयर को दोगुना करने और सीटें बढ़ाने की उम्मीद कर रही है, लेकिन असली टक्कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच मानी जा रही है।

दिलचस्प बात यह है कि इस पूरे चुनाव अभियान में दिल्ली के एक बड़े वर्ग—मध्यम वर्ग (Middle Class)—को काफी हद तक दरकिनार कर दिया गया है।

दिल्ली की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा मध्यम वर्ग से आता है, जिसका वोटिंग पैटर्न चुनावी नतीजों पर गहरा असर डाल सकता है। लेकिन इस बार चुनाव प्रचार में इस वर्ग को ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई।

बजट में टैक्स कटौती से मध्यम वर्ग को साधने की कोशिश

हालांकि, मोदी सरकार ने केंद्रीय बजट में व्यक्तिगत आयकर दरों (Income Tax Rate) में कटौती करके मध्यम वर्ग को खुश करने की कोशिश जरूर की है।

🚀 यह देखना दिलचस्प होगा कि इस फैसले का दिल्ली चुनाव पर क्या असर पड़ेगा, क्योंकि चुनाव प्रचार खत्म होने के कुछ ही दिनों बाद मतदान होने वाला है।

अब बड़ा सवाल यह है कि—
क्या यह टैक्स छूट भाजपा को मदद देगी?
क्या भाजपा तीन दशकों से विपक्ष की भूमिका से बाहर निकलकर सत्ता में आ पाएगी?
या फिर AAP लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में सफल होगी?

भाजपा के लिए क्या AAP को झटका देना आसान होगा?

भाजपा का चुनावी अभियान AAP सरकार के भ्रष्टाचार के आरोपों, मुख्यमंत्री के कथित “लग्जरी” लाइफस्टाइल, और अधूरे वादों पर हमला करने पर केंद्रित रहा है।

भाजपा की रणनीति:

  • मुस्लिम वोटों के विभाजन और
  • गरीब मतदाताओं के भाजपा की ओर शिफ्ट होने की संभावना पर आधारित है।

अगर ये दोनों बातें सच साबित होती हैं, तो भाजपा को वोट शेयर और सीटों में बढ़त मिल सकती है। लेकिन अगर भाजपा मध्यम वर्ग को एकजुट करने में विफल रहती है, तो AAP को हराना मुश्किल होगा।

पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली में वोट बंटवारे का पैटर्न भी बदला है।
लोकसभा चुनावों में भाजपा को भारी समर्थन मिला, लेकिन विधानसभा चुनावों में AAP की जीत हुई।

दिल्ली में भाजपा का औसत वोट शेयर:
लोकसभा चुनाव (2014, 2019, 2024): 55%
विधानसभा चुनाव (2015, 2020): 39%

🔹 अगर भाजपा को विधानसभा चुनाव जीतना है, तो उसे लोकसभा में मिले अतिरिक्त 15-18% वोटों का कम से कम आधा हिस्सा फिर से पाना होगा।

मध्यम वर्ग बनाम गरीब: सरकार से अलग-अलग उम्मीदें

दिल्ली में गरीब और मध्यम वर्ग की जरूरतें और प्राथमिकताएं अलग-अलग हैं।

गरीब वर्ग

  • सरकार से कल्याणकारी योजनाओं की उम्मीद रखता है।
  • मुफ्त बिजली-पानी, बस यात्रा, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं पर केंद्रित रहता है।

मध्यम वर्ग

  • बेहतर सड़कें, ट्रैफिक मैनेजमेंट, वायु प्रदूषण नियंत्रण और बुनियादी ढांचे की मांग करता है।

बीजेपी का सबसे बड़ा नुकसान यही है कि मध्यम वर्ग के वोटर्स पिछले एक दशक में भाजपा से दूर हुए हैं।

2013 और 2015 में AAP को मध्यम वर्ग का जबरदस्त समर्थन मिला, क्योंकि तब

  • इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन का असर था।
  • 2013 में मतदान प्रतिशत 57.6% से बढ़कर 66.1% हुआ।
  • 2015 में यह और बढ़कर 67.4% हो गया।

लेकिन 2020 में यह घटकर 62.8% रह गया।
मध्यम वर्ग के इलाकों (मालवीय नगर, राजेंद्र नगर) में वोटिंग प्रतिशत कम रहा, जबकि सीमापुरी और ओखला जैसे गरीब इलाकों में मतदान ज्यादा हुआ।

इससे साफ होता है कि दिल्ली में भाजपा को मध्यवर्गीय वोटर्स की कमी के कारण नुकसान हो सकता है।

लोकसभा और विधानसभा में वोटिंग पैटर्न क्यों बदल जाता है?

लोकसभा चुनावों में भाजपा को भारी समर्थन मिलता है, लेकिन विधानसभा चुनाव में AAP को फायदा क्यों होता है?

2019 लोकसभा चुनाव में BJP ने:
गरीब तबके का 50% वोट और
मध्यम वर्ग का लगभग 70% वोट हासिल किया था।

2020 के विधानसभा चुनाव में AAP को:
गरीब तबके का BJP से दोगुना वोट मिला।
मध्यम वर्ग में वोट शेयर लगभग बराबर रहा।

इसका मतलब यह है कि मध्यम वर्ग का एक बड़ा हिस्सा लोकसभा में BJP को वोट देता है, लेकिन विधानसभा में AAP को।

क्या बजट में दी गई टैक्स छूट भाजपा को फायदा पहुंचाएगी?

अब सवाल यह है कि—

क्या बजट में की गई घोषणाएं लोकसभा और विधानसभा के वोटिंग पैटर्न को बदल पाएंगी?
क्या भाजपा मध्यम वर्ग के उस हिस्से को वापस ला पाएगी, जो लोकसभा में तो उसके साथ है, लेकिन विधानसभा चुनावों में उससे दूर हो जाता है?

यदि भाजपा इस बार भी मध्यम वर्ग को अपने पक्ष में नहीं कर पाती, तो AAP के लिए लगातार तीसरी बार सरकार बनाना आसान हो जाएगा।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या मध्यम वर्ग की यह नाराजगी बनी रहेगी या मोदी सरकार की आर्थिक राहत से चुनावी समीकरण बदलेंगे?

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