महाराष्ट्र ऑपरेशन टाइगर: महाराष्ट्र की राजनीति में इस समय ‘ऑपरेशन टाइगर’ चर्चा का विषय बना हुआ है। कहा जा रहा है कि शिवसेना का शिंदे गुट उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं को अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रहा है। यह ऑपरेशन विशेष रूप से कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और शिवसेना नेता उदय सामंत के नेतृत्व वाले ठाकरे गुट के बीच संपर्क की खबरों के बाद सुर्खियों में आया है। शिवसेना के ऑपरेशन टाइगर को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति में नई हलचल देखने को मिल रही है।
क्या शिंदे और ठाकरे एक हो जाएंगे?
इन चर्चाओं के बीच मंत्री संजय सिरसट ने शिवसेना के दोनों गुटों के विलय को लेकर बड़ा बयान दिया है। एक साक्षात्कार में शिरसाट ने कहा कि शिवसेना के दोनों गुटों के बीच अब पहले जैसी दूरी नहीं रही और अगर मौका मिला तो मैं उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच सुलह कराने का प्रयास जरूर करूंगा। मैं शिवसेना में विभाजन से बहुत दुखी हूं और अगर स्थिति अनुकूल रही तो दोनों समूहों के बीच सुलह संभव है।
संजय शिरसाट के बयान से गरमाई राजनीति
संजय शिरसाट का यह बयान महाराष्ट्र की राजनीति में चर्चा का विषय बन गया है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि ठाकरे गुट इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है। क्योंकि इस बयान से महाराष्ट्र की आगामी राजनीतिक रणनीति पर असर पड़ सकता है।
क्या महायुति एमवीए को झटका देगी?
पिछले दो चुनावों के बाद महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति में भारी उथल-पुथल देखी गई है। नेताओं का दलबदल अभी शुरू ही हुआ है। वर्तमान में सभी पार्टियां आगामी स्थानीय सरकार और नगरपालिका चुनावों के लिए अपनी-अपनी रणनीतियों पर काम कर रही हैं। हालांकि, इस दौरान महाराष्ट्र में यह भी चर्चा है कि महायुति में शामिल दल महाविकास अघाड़ी को झटका देने की तैयारी में हैं। जिसमें महायुति की पार्टियां ठाकरे गुट के बड़े नेताओं को अपने गठबंधन में शामिल करने की कोशिश कर रही हैं।
एकनाथ शिंदे का ऑपरेशन टाइगर
‘ऑपरेशन टाइगर’ के तहत एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने उद्धव ठाकरे की पार्टी के नेताओं को अपनी पार्टी में लाने के प्रयास तेज कर दिए हैं। पुणे के हडपसर से पूर्व विधायक महादेव बाबर और कोथरूड से पूर्व विधायक चंद्रकांत मोकाटे के एकनाथ शिंदे से मुलाकात की खबर सामने आ रही है, जिससे सवाल उठ रहा है कि क्या वे भी जल्द ही शिंदे गुट में शामिल होंगे? इसके अलावा पूर्व कांग्रेस विधायक रवींद्र धांगेकर ने भी शिंदे से मुलाकात की है। हालांकि, उन्होंने इसे केवल व्यक्तिगत विकास कार्यों पर चर्चा बताया और कहा कि वह फिलहाल कांग्रेस पार्टी में ही बने रहेंगे। बहरहाल, रवींद्र धांगेकर के दलबदल को लेकर चर्चा तेज हो गई है।