Tuesday, March 18, 2025
spot_img
Homeराष्ट्रीयराजस्थान उच्च न्यायालय ने नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को 27 सप्ताह का गर्भ...

राजस्थान उच्च न्यायालय ने नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को 27 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति दी

राजस्थान उच्च न्यायालय ने 13 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता को उसके 27 सप्ताह और छह दिन के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दी है।
न्यायाधीश सुदेश बंसल की एकल पीठ ने मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के बाद सोमवार को यह अनुमति दी।

मेडिकल बोर्ड ने आठ मार्च को अपनी रिपोर्ट में उच्च जोखिम सहमति के तहत गर्भावस्था को समाप्त करने का सुझाव दिया था।
अदालत के आदेश में कहा गया है, ‘‘इस न्यायालय की राय है कि दुष्कर्म पीड़िता के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति 1971 के अधिनियम, 2021 के संशोधित अधिनियम के निर्धारित प्रावधानों से परे दी जा सकती है, जो व्यक्तिगत मामले के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करती है।’’

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति न देने से निश्चित रूप से उसके मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान हो सकता है।
अदालत ने आदेश में कहा, ‘‘ चूंकि, याचिकाकर्ता एक नाबालिग लड़की है और दुष्कर्म पीड़िता है, इसलिए उसके माता-पिता अपनी बेटी के जीवन के उच्च जोखिम के तहत उसकी अवांछित गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए ऑपरेशन कराने के लिए अपनी सहमति देने के लिए सहमत हैं।’’

आदेश में कहा गया है कि यदि याचिकाकर्ता के अवांछित गर्भ को समाप्त नहीं होने दिया जाता है और उसे बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर किया जाता है, तो उसे अपने पूरे जीवन में पीड़ा का सामना करना पड़ता है, जिसमें बच्चे के भरण-पोषण के साथ-साथ अन्य सहायक और संबंधित मुद्दे भी शामिल हैं, तो याचिकाकर्ता के मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर क्षति होने का अनुमान लगाया जा सकता है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

न्यायालय ने महिला चिकित्सालय, सांगानेरी गेट, जयपुर के अधीक्षक को याचिकाकर्ता के माता-पिता की उच्च जोखिम की सहमति के अधीन, याचिकाकर्ता के गर्भ को समाप्त करने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया।

इसके अलावा, न्यायालय ने निर्देश दिया कि यदि भ्रूण जीवित पाया जाता है, तो अस्पताल भ्रूण को जीवित रखने और राज्य सरकार के खर्च पर पालन-पोषण सुनिश्चित करने के लिए सुविधा सहित सभी आवश्यक चिकित्सा सहायता प्रदान करेगा।

आदेश में कहा गया है कि यदि भ्रूण जीवित नहीं पाया जाता है, तो भ्रूण से ऊतक निकालकर बाद की डीएनए परीक्षण रिपोर्ट के लिए साक्ष्य को संरक्षित करने के लिए उचित कदम उठाए जाएं।
याचिकाकर्ता की वकील सोनिया शांडिल्य ने बताया कि दुष्कर्म का यह मामला तीन मार्च को दर्ज किया गया था।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments