लोकसभा में विपक्षी इंडिया ब्लॉक दलों के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित एक ज्ञापन के साथ अध्यक्ष ओम बिरला के समक्ष सदन के उपाध्यक्ष की नियुक्ति में हो रही देरी का मुद्दा उठाया। सूत्रों ने बताया कि लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात करने वाले सांसदों में गोगोई, द्रमुक के ए राजा, सपा के धर्मेंद्र यादव, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) की सुप्रिया सुले शामिल थीं। उन्होंने अध्यक्ष द्वारा विपक्ष के अधिकारों के हनन के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया, जिसमें विपक्ष के नेता राहुल गांधी सहित सदन के नेताओं को कई बार अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति नहीं देने जैसे फैसलों का हवाला दिया, जबकि सत्ता पक्ष के सांसदों को अक्सर अपनी बात कहने और जवाब देने की अनुमति दी जाती थी।
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विपक्षी सांसदों ने अध्यक्ष को यह भी बताया कि विपक्षी सदस्यों को अक्सर ध्यान आकर्षित करने और अल्पकालिक चर्चा जैसे सदन में बोलने के अवसर से वंचित रखा जाता है और उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि राज्यसभा के विपरीत, लोकसभा को महत्वपूर्ण मंत्रालयों की अनुदान मांगों पर चर्चा करने का अवसर नहीं दिया गया। विपक्ष के ज्ञापन में कहा गया है, “एक सुचारू रूप से चलने वाले लोकतंत्र के लिए संसद के सुचारू संचालन की आवश्यकता होती है, जहाँ सभी सदस्यों को, चाहे वे किसी भी पार्टी से जुड़े हों, बहस करने, विचार-विमर्श करने और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के समान अवसर दिए जाते हैं। हालाँकि, कुछ परेशान करने वाले रुझान सामने आए हैं, जो संसद की पवित्रता को कमज़ोर करते हैं।”
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लोकसभा अध्यक्ष से बृहस्पतिवार को विपक्षी दलों के नेताओं की मुलाकात के बाद, कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘आज ‘इंडिया’ गठबंधन का एक प्रतिनिधिमंडल शून्यकाल के दौरान लोकसभा अध्यक्ष से मिला। उस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस, सपा, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, राजद और कई अन्य विपक्षी दलों के नेता शामिल थे। हमने एक पत्र भी सौंपा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने इस सामूहिक चिंता से उन्हें अवगत कराया कि किस प्रकार से सत्तापक्ष की ओर से सदन की परंपरा और नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है।’’ लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता ने कहा, ‘‘हमने यह मुद्दा उठाया कि कल अध्यक्ष ने सदन में एक बयान पढ़ा। वह किस विषय और किस पल का उल्लेख कर रहे थे, वह स्पष्ट नहीं था। लेकिन बाहर हमने देखा कि उनके द्वारा कही गई बात का राजनीतिकरण हुआ और दुष्प्रचार किया गया। हमने इस बारे में उन्हें बताया।’’