इतिहास का जिक्र होता है तो औरंगजेब और उसकी क्रूरता के किस्सों का जिक्र भी अक्सर होता है। इसके साथ ही जिक्र होता है औरंगजेब की कब्र वाले शहर औरंगाबाजद के नाम को लेकर भी। जिसे शिवाजी महाराज के बेटे सांभाजी के नाम पर कर दिया गया। औरंगजेब को मरे 300 साल से ज्यादा गुजर चुके हैं लेकिन उसकी हुकूमत के किस्से इतने साल बाद भी चर्चा में हैं। हाल ही में आई फिल्म छावा में मुगल शासक द्वारा मराठा राजा संभाजी महाराज की हत्या को दिखाया गया है, जिससे उनके खिलाफ़ लोगों में फिर से गुस्सा भड़क गया है। महाराष्ट्र के खुल्दाबाद में औरंगजेब की कब्र को गिराने की मांग बढ़ गई है, यहां तक कि कुछ राजनेता भी हिंदू दक्षिणपंथी समूहों की मांग का समर्थन कर रहे हैं। नागपुर में 17 मार्च को हिंसा हुई, जब अफवाह फैली कि मुगल बादशाह की कब्र को हटाने की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान एक पवित्र पुस्तक का अपमान किया गया।
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48 सालों तक किया राज
औरंगजेब ने 15 करोड़ हिन्दुस्तानियों पर करीब 48 सालों तक राज किया। उसके शासन के दौरान मुगल साम्राज्य इतना फैला कि पहली बार उसने करीब-करीब पूरे उपमहाद्वीप को अपने साम्राज्य का हिस्सा बना लिया। लेकिन फिर भी हिन्दुओं के प्रति उसकी नफरत ने इस कामयाबी को कभी चमकने नहीं दिया। छत्रपति शिवाजी महाराज के नेतृत्व में मराठों के खिलाफ़ अपनी लड़ाई के लिए औरंगज़ेब आज भी हिंदू राष्ट्रवादियों के बीच रोष पैदा करता है। मुगल शासक को एक विस्तारवादी के रूप में देखा जाता था, जो भेदभावपूर्ण जजिया कर का समर्थन करता था, जिसे सुरक्षा के बदले में उसके हिंदू नागरिकों को चुकाना पड़ता था। आज भी वह कई मंदिरों को नष्ट करने का आदेश देने के कारण कुछ हिंदू समूहों के गुस्से का शिकार हैं। 17वीं सदी के मुगल शासक महाराष्ट्र में एक बहुत ही ध्रुवीकृत व्यक्ति हैं। औरंगजेब ने मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे संभाजी महाराज को फांसी देने का आदेश दिया था।
ऐसा बादशाह जिसे भारतीयों ने कभी स्वीकार नहीं किया
भारत में कई राजा हुए और इन राजाओं के बीच कई भयंकर युद्ध भी हुए। अक्सर यही होता था कि एक ताकतवर सेना कमजोर सेना को हरा देती थी। औरंगजेब छठा मुगल शासक था। वो एकलौता ऐसा बादशाह था जिसे भारतीयों ने कभी स्वीकार नहीं किया था। औरंगजेब ने सत्ता पाने के लिए अपने पिता शाहजहां को जेल में बंद करवा दिया। इसके बाद औरंगजेब ने अपने आई दारा शिकोह को देशद्रोह के आरोप में सूली पर चढ़ा दिया। दूसरे भाई मुराद को भी विष देकर मरवा दिया। उसने परिवार के कई लोगों की हत्या करके राजगद्दी हासिल की। औरंगजेब का केवल एक लक्ष्य था कि वो पूरे भारत पर राज करे। उसने कई छोटे बड़े राज्यों का दमन किया।
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कैसे हुआ क्रूर शासक का अंत
क्रूर मुगल शासक औरंगजेब ने जीवन भर हिंसा की। उसकी मौत 3 मार्च 1707 को महाराष्ट्र के अहमदनगर में हुई थी। औरंगजेब की मृत्यु 3 मार्च, 1707 को 88 वर्ष की आयु में महाराष्ट्र के अहमदनगर में हुई थी, जिसका नाम अब अहिल्यानगर रखा गया है। उनके पिता और अन्य मुगल शासकों की कब्रों की तुलना में उनका अंतिम विश्राम स्थल बहुत साधारण है। औरंगजेब को खुल्दाबाद में उसी परिसर में दफनाया गया था, जहां ख्वाजा सैयद जैनुद्दीन शिराजी को दफनाया गया था, जिन्हें वह अपना आध्यात्मिक गुरु मानते थे। मुगल बादशाह की इच्छा थी कि एक साधारण मकबरा हो और उसे अपने गुरु की दरगाह के पास दफनाया जाए। बाद में मुगल शासक को श्रद्धांजलि देने के लिए इसका नाम बदलकर खुल्दाबाद कर दिया गया, जिसका अर्थ है “स्वर्गीय निवास”। छह पीढ़ियों से मकबरे की देखभाल करने वाले परिवार के सदस्य शेख निसार ने कहा कि औरंगजेब चाहता था कि उसका मकबरा मिट्टी से बना हो और एक मीठी तुलसी के पौधे के पास स्थित हो। उनकी इच्छा थी कि 14 रुपये 12 आने में एक मकबरा बनवाया जाए। उन्हें ज़री (कपड़े पर सजावटी सोने का धागा) या मलमल (मलमल) नहीं चाहिए था।
औरंगजेब की कब्र पर विवाद
हिट फिल्म छावा की रिलीज के बाद औरंगजेब राजनीतिक चर्चा में लौट आया, जिसमें छत्रपति संभाजी को किस तरह यातनाएं देकर मौत के घाट उतारा गया, इस पर मुगल शासक की कब्र को गिराने की मांग तेज हो गई। इस महीने की शुरुआत में समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी ने महाराष्ट्र विधानसभा में दावा किया कि फिल्म में औरंगजेब के कुछ चित्रण गलत हैं। उन्हें अच्छा प्रशासक बताते हुए आजमी ने कहा कि मैं औरंगजेब को क्रूर शासक नहीं मानता… (फिल्म छावा में) गलत इतिहास दिखाया जा रहा है। औरंगजेब ने कई मंदिर बनवाए। जब उनकी टिप्पणी से लोगों में आक्रोश फैल गया, तो सपा नेता को बजट सत्र की शेष अवधि के लिए विधानसभा से निलंबित कर दिया गया। बाद में आजमी ने अपने बयान वापस ले लिए और कहा कि उनका गलत अर्थ निकाला गया। बाद में छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज और भाजपा के सतारा सांसद उदयनराजे भोसले ने औरंगजेब के मकबरे को गिराने की मांग उठाई।