दिल्ली में भाजपा पर इस बार जनता ने विश्वास दिखाया है और पूर्ण बहुमत से दिल्ली में भाजपा ने अपनी नयी सरकार बनाई हैं। दिल्ली में अब आम आदमी पार्टी विपक्ष में है और सरकार पर सवाल उठाने का काम कर रही हैं। इस बार भाजपा पर अमानवीय होने का आम आदपी पार्टी ने आपोर लगाया है। आम आदमी पार्टी (आप) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर पिछले सप्ताह पेश किए गए वार्षिक बजट में इस योजना के लिए कोई धनराशि आवंटित न करके ‘फरिश्ते दिल्ली के’ योजना को बंद करने का आरोप लगाया। दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने रविवार को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर निजी अस्पतालों में सड़क दुर्घटना पीड़ितों को मुफ्त चिकित्सा उपचार देने वाली योजना को बंद करने का आरोप लगाया। दिल्ली भाजपा ने आरोप का जवाब देते हुए दावा किया कि यह योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है।
सौरभ भारद्वाज ने लगाया भाजपा पर आरोप
भारद्वाज ने आरोप लगाया कि 2023 में विपक्ष में बैठी भाजपा ने एलजी कार्यालय के माध्यम से इस योजना को रोकने की कोशिश की थी और इसके लिए धन रोक दिया था। सत्ता में आने के बाद इसे खत्म कर दिया था। उन्होंने कहा, “इस तरह की महत्वपूर्ण जीवन रक्षक पहल को खत्म करने का फैसला केवल अमानवीय दृष्टिकोण वाले व्यक्ति से ही आ सकता है। फरिश्ते योजना ने 2021 तक लगभग 10,000 लोगों की जान बचाई है।” उन्होंने कहा, “भाजपा को यह समझना चाहिए कि सड़क दुर्घटनाएं आप, भाजपा या कांग्रेस से भेदभाव नहीं करती हैं और किसी को भी प्रभावित कर सकती हैं।”
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भाजपा ने दिया आप के आरोपों का जवाब
पूर्व मंत्री के आरोप पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि जन कल्याण के नाम पर अरविंद केजरीवाल द्वारा लागू की गई सभी योजनाएं घोटाले का जरिया बन गई हैं। उन्होंने कहा कि फरिश्ते योजना एक ऐसी योजना है जो पिछली केजरीवाल सरकार के विश्व स्तरीय स्वास्थ्य मॉडल के दावों की पोल खोलती है। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने दावा किया कि जन कल्याण के नाम पर पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल द्वारा लागू की गई सभी योजनाएं घोटाले का जरिया बन गई हैं और “फरिश्ते” ऐसी ही एक योजना है जिसने “विश्व स्तरीय स्वास्थ्य मॉडल के उनके दावों की पोल खोल दी है”।
केजरीवाल द्वारा लागू की गई सभी योजनाएं घोटाले का जरिया बन गई
उन्होंने कहा, “कुछ साल पहले दिल्ली में एक दुर्घटना हुई थी। पीड़ित को दिल्ली सरकार के अस्पताल में ले जाया गया, लेकिन उसे इलाज नहीं मिला। फिर उसे दिल्ली सरकार द्वारा संचालित एक अन्य अस्पताल में ले जाया गया, जहां भी उसे इलाज देने से इनकार कर दिया गया। उसके बाद, उसे केंद्र सरकार के एक अस्पताल में ले जाया गया, लेकिन वहां भी उसे इलाज नहीं मिला।” उन्होंने आगे कहा, “उन्हें एक अन्य केंद्रीय सरकारी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां भी उनका इलाज नहीं किया गया और उनकी मृत्यु हो गई। इस घटना को मीडिया में व्यापक रूप से कवर किया गया और लंबे समय तक उच्च न्यायालय में भी इस पर सुनवाई हुई। अदालत ने इस मामले पर कई निर्देश दिए।”
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सचदेवा ने आरोप लगाया कि 2015 से ही केजरीवाल सरकार विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं देने का दावा कर रही है। उन्होंने कहा, “इस संदर्भ में दिल्ली के लोग पूछ रहे हैं कि अगर सरकारी अस्पतालों में सभी सेवाएं उपलब्ध थीं, तो सरकार को सड़क दुर्घटना पीड़ितों को तत्काल मुफ्त इलाज मुहैया कराने के लिए 2017 में फरिश्ते योजना क्यों शुरू करनी पड़ी? यह स्पष्ट है कि या तो सरकारी अस्पताल काम नहीं कर रहे थे या फिर सरकार का इरादा दुर्घटना पीड़ितों को निजी अस्पतालों में भेजना था, जहां सेवाएं देने के नाम पर भारी भरकम बिल बनाए जा सकें और इस तरह कमीशन आधारित भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल सके।”