भारत के यार ने इन नीदों पाकिस्तान के दोस्त की नींद उड़ा रखी है। तुर्किए के राष्ट्रपति रिचब तैयब एर्दोगान लंबे समय से मीडिल ईस्ट में अपनी ताकत बढ़ाने की फिराक में हैं। उनका सपना एक इस्लामिक ताकत बनने का है। सीरिया में उनका स्थायी टारगेट एक सैन्य अड्डा बनाने का था। तुर्किए का सपना था कि सीरिया में सैन्यअड्डा बनाकर पूरे वेस्ट एशिया को कंट्रोल करने का था। लेकिन इजरायल ने अपने फाइटर जेट्स से उस सपने को मलबे में बदल दिया। जैसे ही तुर्किए बैकफुट पर गया तो उसका छोटा भाई संयुक्त राष्ट्र में चीखता हुआ नजर आया। खास बात ये थी कि तुर्किए इस बेस पर रूस का बेहद घातक एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम भी तैनात करने वाला था, जो किसी भी एयर स्ट्राइक को लगभग नामुमकिन बना देता। इजरायल के लिए ये खतरे की घंटी थी क्योंकि वो अक्सर सीरिया में ईरान के खिलाफ एयर स्ट्राइक करता है।
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ऐसे में अगर तुर्किए एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम लगाता तो इजरायल की स्ट्रैर्जिक फ्रीडम खतरे में आ जाती। इजरायल ने इस खतरे को हल्के में नहीं लिया। उसने सीधा एक्शन लिया और एक बड़े ऑपरेशन में सीरिया में तुर्किए समर्थित सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इजरायल के इस मिशन का मकसद साफ था कि तुर्किए को ये समझाना कि सीरिया रेड लाइन है। इस हमले में एचएटीएस यानी हयत तहरीर अल साम जैसे समूह भी टारगेट बने जिनके पीछे तुर्किए का समर्थन माना जाता है। ये वही एचएटीएस जो पहले अल कायदा का हिस्सा रह चुका है। इजरायल ने एक तीर से कई निशाने साधे, तुर्किए, ईरान और सीरिया के अस्थिर शासन को कड़ा संदेश दिया। इजरायली हमले के बाद तुर्किए की रणनीति बिखड़ गई न वो हमला रोक पाया, न जवाब दे पाया और न ही रूस से कुछ खुलकर कुछ मांग सका क्योंकि रूस और इजरायल के बीच सीरिया को लेकर समझौते हैं।
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तुर्की सेना के अधिकारी कई सप्ताह से सीरियाई हवाई अड्डों का दौरा कर रहे थे और कुछ हवाई अड्डों को वायु रक्षा प्रणालियों और सशस्त्र ड्रोन से लैस करने की योजना बना रहे थे। कहा जा रहा था कि तुर्की द्वारा पाल्मेरा के पास स्थित T4 हवाई अड्डे पर कब्ज़ा करने की तैयारी चल रही थी। फिर, 2 अप्रैल को, इज़राइल ने हमला कर दिया। इज़राइली विमानों ने T4 के रनवे और रडार सिस्टम पर बमबारी की। उन्होंने सीरिया में कम से कम दो और ठिकानों और अन्य सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इजरायल के विदेश मंत्री गिदोन सा’आर ने बताया कि सीरिया के तुर्की संरक्षित राज्य बनने का खतरा है। सीरिया के रक्षा मंत्री इजरायल कैट्ज ने कहा कि अगर सीरिया के नेता इजरायल के प्रति शत्रुतापूर्ण ताकतों को सीरिया में घुसने देंगे और यहूदी राज्य के सुरक्षा हितों को खतरे में डालेंगे तो उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
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अब जब तुर्किए बैकफुट पर आया तो पाकिस्तान को खलीफा एर्गोगान की चिंता सताने लगी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जहां पाकिस्तान अस्थायी सदस्य है उसके राजदूत ने इजरायल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि इजरायल बिना किसी उकसावे के हमला कर रहा है। 1974 के समझौते का उल्लंघन हो रहा है। आम नागरिक मारे जा रहे हैं। पाकिस्तान को अपनी बर्बाद होती अर्थव्यवस्था की कोई चिंता नहीं लेकिन इजरायल के खिलाफ वो बोलने का कोई मौका नहीं छोड़ता। वहीं इजरायल और भारत की करीबी किसी से छिपी नहीं है। इजरायल जब अपने दुश्मनों से लड़ता है तो भारत के हित सुरक्षित होते हैं।