भारत और कतर की दोस्ती नए मुकाम पर पहुँची है जिसका सीधा लाभ कतर में रहने वाले साढ़े आठ लाख से ज्यादा भारतीयों को होने वाला है। प्रधानमंत्री ने जिस तरह सारे प्रोटोकाल तोड़ कर हवाई अड्डे पर कतर के अमीर की अगवानी की, उनका भव्य स्वागत किया और कतर के साथ कई द्विपक्षीय समझौते किये गये, वह दर्शा रहा है कि दोनों देशों के रिश्ते काफी गहरे हो चुके हैं। एक समय था जब मुस्लिम देश पाकिस्तान परस्ती करते थे लेकिन आज ज्यादातर मुस्लिम देश भारत के साथ हैं और पाकिस्तान की बात तक नहीं करते। अभी पिछले महीने ही भारत के गणतंत्र दिवस के अवसर पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति मुख्य अतिथि के तौर पर आये थे और अब दुनिया के प्रमुख इस्लामिक देश कतर के अमीर आये। निश्चित रूप से यह सब देखकर पाकिस्तान को पच नहीं रहा होगा।
जहां तक भारत और कतर के बीच दिल्ली में हुई मुलाकात की बात है तो आपको बता दें कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी की स्थापना पर एक समझौते का आदान-प्रदान किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-सानी की मौजूदगी में दस्तावेजों का आदान-प्रदान किया गया। कतर के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान बिन जासिम अल सानी और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने समझौते का आदान-प्रदान किया। हैदराबाद हाउस में आयोजित समारोह में घोषणा की गई कि भारत और कतर के बीच दोहरे कराधान से बचने और आय पर करों के संबंध में राजकोषीय चोरी की रोकथाम के लिए एक संशोधित समझौते का भी आदान-प्रदान किया गया। कतर के प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने समझौते का आदान-प्रदान किया।
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प्रधानमंत्री मोदी और कतर के अमीर ने हैदराबाद हाउस में कई द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत भी की। बाद में विदेश मंत्रालय के सचिव (CPV & OIA) अरुण कुमार चटर्जी ने बताया कि PM मोदी ने हैदराबाद हाउस में कतर के अमीर के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। दोनों नेताओं ने ऐतिहासिक व्यापार संबंधों और दोनों देशों के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को याद किया। वार्ता के दौरान विभिन्न वैश्विक घटनाक्रमों को लेकर भी चर्चा हुई।
इससे पहले, कतर के अमीर को राष्ट्रपति भवन में ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया तथा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनका स्वागत किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी भी मौजूद थे। हम आपको याद दिला दें कि मोदी ने सोमवार शाम को कतर के अमीर का हवाई अड्डे पर स्वागत किया था। प्रधानमंत्री ने सोमवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”अपने भाई, कतर के अमीर एच एच शेख तमीम बिन हम्माद अल सानी का स्वागत करने के लिए हवाई अड्डे गया। भारत में उनके सफल प्रवास की कामना करता हूं।”
दूसरी ओर, कतर ने कहा है कि वह भारत के साथ नए द्विपक्षीय निवेश संवर्धन और संरक्षण समझौते के लिए बातचीत में तेजी लाने के लिए कदम उठाने को तैयार है। कतर के वाणिज्य और उद्योग मंत्री शेख फैसल बिन थानी बिन फैसल अल थानी ने कहा कि भारत उसका तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के व्यवसायों को निवेश और औद्योगिक सहयोग को और मजबूत करने के लिए सीमाओं को आगे बढ़ाने की जरूरत है। उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के भारत कतर व्यापार मंच सम्मेलन में फैसल अल थानी ने यह बात कही।
इस अवसर पर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में हम दोनों देशों के बीच ऊर्जा व्यापार के प्रति झुकाव देखते आए हैं तथा अन्य उत्पादों के व्यापार को भी बढ़ावा देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “अब हम एक नए भविष्य की ओर देख रहे हैं, जहां हम ऊर्जा को अपने व्यापार का आधार बनाने से हटकर नए युग की प्रौद्योगिकियों की ओर बढ़ेंगे, चाहे वह कृत्रिम मेधा (एआई) हो, ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ (आईओटी) हो, क्वांटम कंप्यूटिंग हो या सेमीकंडक्टर हो।” गोयल ने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों का परिवर्तन तीन स्तंभों- स्थिरता, उद्यमिता और ऊर्जा पर आधारित होगा। उन्होंने कतर के व्यवसायों को भारत में निवेश के अवसर तलाशने के लिए भी आमंत्रित किया। इस कार्यक्रम में दो सहमति पत्रों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। इनमें एक उद्योग संगठन सीआईआई (भारतीय उद्योग परिसंघ) और क्यूबीए (कतर व्यवसायी संघ) के बीच तो दूसरा ‘इन्वेस्ट कतर’ और ‘इन्वेस्ट इंडिया’ के बीच हुआ। मंत्री ने बताया कि कतर नेशनल बैंक गुजरात के ‘गिफ्ट’ सिटी में एक कार्यालय स्थापित करके भारत में अपनी उपस्थिति का विस्तार कर रहा है।
कतर के साथ व्यापार समझौते की संभावना के बारे में पूछे जाने पर गोयल ने कहा, “हमेशा हर प्रकार की चर्चा होती है। हम मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए जीसीसी (खाड़ी सहयोग परिषद) के साथ चर्चा कर रहे हैं। अक्सर जीसीसी के कई देशों ने भारत के साथ द्विपक्षीय समझौते करने के लिए भी चर्चा की है… हम दोनों के लिए खुले हैं।” हम आपको बता दें कि जीसीसी के छह सदस्य देश- बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) हैं। भारत का पहले से ही यूएई के साथ एफटीए है। ओमान के साथ इसी तरह के समझौते के लिए बातचीत अंतिम चरण में है।
हम आपको यह भी बता दें कि अप्रैल 2000 से सितंबर, 2024 के दौरान भारत को कतर से 1.5 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्राप्त हुआ। भारत और कतर में द्विपक्षीय व्यापार 2022-23 में 18.77 अरब डॉलर से घटकर 2023-24 में 14 अरब डॉलर रह गया है। कतर द्वारा भारत को किए जाने वाले प्रमुख निर्यातों में एलएनजी, एलपीजी, रसायन और पेट्रोरसायन, प्लास्टिक और एल्युमीनियम उत्पाद शामिल हैं, जबकि भारत के प्रमुख निर्यातों में अनाज, तांबे के उत्पाद, लोहा और इस्पात उत्पाद, सब्जियां, फल, मसाले, प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद, इलेक्ट्रिकल और अन्य मशीनरी, प्लास्टिक उत्पाद, निर्माण सामग्री, वस्त्र और परिधान, रसायन, कीमती पत्थर और रबर शामिल हैं। कतर एलएनजी और एलपीजी का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। इसके अलावा, भारत कतर से एथिलीन, प्रोपलीन, अमोनिया, यूरिया और पॉलीइथिलीन भी आयात करता है। व्यापार संतुलन कतर के पक्ष में बना हुआ है।
हम आपको यह भी बता दें कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-सानी से दिल्ली पहुंचने के कुछ घंटों बाद ही मुलाकात की थी और कहा था कि उन्हें पूरा विश्वास है कि मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ अमीर की मुलाकात से ‘दोस्ती के हमारे करीबी रिश्ते और मजबूत होंगे’।