रूस ने रविवार को भारत के साथ अपने मैत्रीपूर्ण संबंधों के लगातार मजबूत होने तथा इनके विस्तार की संभावना जताई और कहा कि उसे नयी दिल्ली के साथ बहुआयामी सहयोग विकसित होने की उम्मीद है।
द्विपक्षीय राजनयिक संबंधों की 78वीं वर्षगांठ के मौके पर टेलीग्राम पर एक पोस्ट में रूसी विदेश मंत्रालय ने ‘‘हम मैत्रीपूर्ण संबंधों के तीव्र गति से लगातार विकसित होने तथा रूसी-भारतीय संबंधों के विस्तार को लेकर विश्वास व्यक्त करते हैं।”
भारत और रूस ने 13 अप्रैल 1947 को अपने राजनयिक संबंध स्थापित किये थे।
रूसी विदेश मंत्रालय के अनुसार, द्विपक्षीय संबंधों की विशेषता विश्वसनीयता, उच्च स्तर की राजनीतिक वार्ता और विशेष रूप से विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी है।
सरकारी समाचार एजेंसी ‘तास’ ने मंत्रालय के हवाले से कहा, ‘‘वे आपसी विश्वास, राष्ट्रीय हितों के प्रति सम्मान, वैश्विक और क्षेत्रीय राजनीति के प्रमुख पहलुओं पर समान विचार रखते हैं।’’
इसने कहा, ‘‘सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय समस्याओं पर चर्चा करने के लिए हर वर्ष उच्च स्तर की बैठकें और वार्ताएं होती हैं।”
मंत्रालय ने यह भी कहा कि कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, मानवीय, व्यापारिक और आर्थिक सहयोग सफलतापूर्वक विकसित हो रहा है तथा परमाणु ऊर्जा बातचीत के प्रमुख क्षेत्रों में से एक बना हुआ है।
इसने कहा कि दोनों पक्ष ‘‘समानता के सिद्धांतों, अंतरराष्ट्रीय कानून के मानदंडों और सिद्धांतों के अनुपालन के आधार पर एक बहुकेन्द्रित वैश्विक व्यवस्था बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’
विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने हाल में कहा था कि रूस अपनी विदेश नीति अवधारणा के अनुसार भारत के साथ अपनी विशेष रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना विदेश नीति की प्राथमिकता मानता है।
उन्होंने कहा था, ‘‘हमारे दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक संबंध हैं। हम यह भी कह सकते हैं कि ये संबंध समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं। आज, रूस और भारत एक-दूसरे के प्रति साझा सम्मान के आधार पर तथा एक-दूसरे के हितों को ध्यान में रखते हुए समान स्तर पर अपने सहयोग को बढ़ावा दे रहे हैं।’’
रूस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी पर विजय की 80वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में नौ मई को आयोजित होने वाले समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जुलाई 2024 में रूस का दौरा किया था, जो लगभग पांच वर्षों में देश की उनकी पहली यात्रा थी। उस दौरान वह 22वें रूस-भारत शिखर सम्मेलन में शामिल हुए थे।
पिछली यात्रा के दौरान, मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भारत आने का निमंत्रण दिया था। वहीं, इस वर्ष पुतिन के भारत आने की उम्मीद है।