राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और उनके बेटे तेजस्वी यादव ने शनिवार को एक अदालत से भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) में 2004 से 2009 के बीच कथित अनियमितताओं से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले में उन्हें बरी करने का आग्रह किया। तीनों ने विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने के समक्ष दलीलें दीं और दावा किया कि सीबीआई का मामला ‘चुनने और चुनने’ पर आधारित है और उनके खिलाफ आरोप ‘झूठे’ हैं।
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आरोपियों ने मामले में आरोप तय करने पर बहस के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह के माध्यम से यह दलील दी। उन पर आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार सहित विभिन्न अपराधों के लिए आरोप-पत्र दाखिल किया गया है, जिसके लिए अधिकतम सात साल की जेल की सजा हो सकती है। तीनों ने न्यायाधीश के समक्ष दावा किया कि सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे, चुनिंदा और प्रेरित थे, उन्होंने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी के पास मामले में उन पर मुकदमा चलाने के लिए सबूतों की कमी थी। मामले की सुनवाई 21 अप्रैल को फिर से शुरू होगी।
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न्यायाधीश ने कहा, “ए-1 से ए-4 (लालू, राबड़ी, तेजस्वी और लारा प्रोजेक्ट्स एलएलपी) की ओर से आंशिक दलीलें सुनी गईं। आगे की दलीलों के लिए प्रस्तुत किया गया।” प्रसाद, जो यूपीए-1 सरकार के दौरान रेल मंत्री थे, ने पहले मामले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सीबीआई द्वारा प्राप्त मंजूरी की वैधता पर सवाल उठाया था। एजेंसी ने 28 फरवरी को अदालत को बताया कि आरोपियों पर मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं।