दिल्ली की एक अदालत ने 13 वर्ष पुराने एक मामले का सोमवार को पर्दाफाश करते हुए 2010 राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति के पूर्व प्रमुख सुरेश कलमाड़ी और तत्कालीन महासचिव ललित भनोट तथा अन्य के खिलाफ धन शोधन के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय की क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार कर ली। दिल्ली की एक अदालत ने 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों (CWG) से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच को औपचारिक रूप से बंद कर दिया है। अदालत ने ED द्वारा प्रस्तुत क्लोजर रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है, जिससे लंबी जांच प्रभावी रूप से समाप्त हो गई है।
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क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार किए जाने से 15 वर्ष पहले हुए कथित घोटाले में धन शोधन का पहलू समाप्त हो गया है। 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में भ्रष्टाचार के आरोपों ने देश में भारी राजनीतिक हंगामा खड़ा कर दिया था, जिसके कारण कई आपराधिक और धन शोधन के मामले दर्ज किए गए, जिनमें वर्तमान मामला भी शामिल है। कलमाड़ी और अन्य पर खेलों के लिए दो महत्वपूर्ण अनुबंधों के आवंटन और निष्पादन में कदाचार का आरोप लगाया गया था। विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने कहा कि सीबीआई ने भ्रष्टाचार का मामला पहले ही बंद कर दिया है, जिसके आधार पर ईडी ने धन शोधन की जांच शुरू की और रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया, जिसमें राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के तत्कालीन सीओओ विजय कुमार गौतम, उसके तत्कालीन कोषाध्यक्ष ए के मट्टो, इवेंट नॉलेज सर्विस, स्विट्जरलैंड और सीईओ क्रेग गॉर्डन मेलाचे का भी नाम है।
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न्यायाधीश ने कहा कि चूंकि जांच के दौरान अभियोजन पक्ष पीएमएलए की धारा 3 के तहत कोई अपराध स्थापित करने में विफल रहा है… चूंकि ईडी द्वारा विवेकपूर्ण जांच के बावजूद पीएमएलए की धारा 3 के तहत कोई अपराध स्थापित नहीं किया गया है या नहीं किया गया है, इसलिए वर्तमान ईसीआईआर को जारी रखने का कोई कारण नहीं है, परिणामस्वरूप ईडी द्वारा दायर समापन रिपोर्ट स्वीकार की जाती है।