मणिपुर में एक मैतेई समूह ‘अरामबाई टेंगोल’ के सदस्यों ने गुरुवार को राज्य सरकार को अपने हथियार सौंप दिए। यह कदम राज्य के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला द्वारा मणिपुर में लंबे समय से चली आ रही जातीय हिंसा को समाप्त करने के प्रयासों के तहत सात दिनों के भीतर सभी समुदायों को स्वेच्छा से लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियार और गोला-बारूद को आत्मसमर्पण करने के लिए कहने के कुछ दिनों बाद आया है। सोशल मीडिया पर सामने आए दृश्यों में मैतेई समूह के सदस्यों को पिकअप ट्रकों के बेड़े में हथियार और गोला-बारूद ले जाते हुए दिखाया गया है।
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बताया जा रहा है कि समूह ने 246 हथियार सरेंडर कर दिए हैं। हथियारों के अलावा उन्होंने सुरक्षाबलों के हेलमेट, जूते, वर्दी और दंगे के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली जैकेट भी सरेंडर की हैं। मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने 20 फरवरी को राज्य की जनता से अपील की थी कि वे लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियारों को स्वेच्छा से सात दिनों के भीतर पुलिस को सौंप दें। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया था कि इस अवधि में हथियार सौंपने वालों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
अरामबाई तेंगगोल के जनसंपर्क अधिकारी रॉबिन मंगांग ख्वायरकपम ने कहा कि भल्ला ने हमसे अवैध रूप से रखे गए हथियारों को सरेंडर करने का भी अनुरोध किया। …हमने कुछ नियम और शर्तें रखीं और उन्हें आश्वासन दिया कि अगर शर्तें पूरी हुईं तो हथियार सरेंडर कर दिए जाएंगे। अरामबाई तेंगगोल ने भल्ला को एक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें म्यांमार के साथ सीमा पर बाड़ लगाने, कट-ऑफ के रूप में 1951 के साथ राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को लागू करने, “अवैध प्रवासियों” के निर्वासन, कुकी समूहों के खिलाफ अभियानों के निलंबन के समझौते को रद्द करने आदि की मांग की गई।
इसने यह आश्वासन मांगा कि स्वयंसेवकों या सशस्त्र नागरिकों के खिलाफ कोई गिरफ्तारी या कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी, जिसमें अरामबाई तेंगगोल के लोग भी शामिल हैं, और बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिया जाएगा। मणिपुर में हिंसा मई 2023 में शुरू हुई थी और इसमें कम से कम 260 लोगों की जान गई और राज्य में लगभग 60,000 लोग विस्थापित हुए। अरामबाई तेंगगोल पर कुकी आदिवासियों की हत्या करने और उनके घरों को नष्ट करने का आरोप लगाया गया है।
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मुख्य सचिव पी के सिंह ने 23 फरवरी को कहा था कि यदि कोई व्यक्ति सच में अपने हथियार सौंपना चाहता है तो ऐसा करने के लिए सात दिन की अवधि पर्याप्त है। उन्होंने स्पष्ट किया था कि यह अवधि समाप्त होने के बाद सुरक्षा बल अवैध हथियारों की जब्ती के लिए कार्रवाई करेंगे। इम्फाल घाटी में बसे मेइती और पहाड़ी क्षेत्रों में बसे कुकी-जो समुदायों के बीच मई 2023 से शुरु हुई जातीय हिंसा में अब तक 250 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गये हैं। केंद्र सरकार ने 13 फरवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था।
#WATCH | Imphal | The members of ‘Arambai Tengol’- a Meitei organisation, today surrendered their arms following their meeting with Manipur Governor Ajay Kumar Bhalla on Feb 25 pic.twitter.com/GUboHG3lui
— ANI (@ANI) February 27, 2025