सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लीक हुए ऑडियो क्लिप पर केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला से रिपोर्ट मांगी, जिसमें मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की राज्य में चल रही जातीय हिंसा में कथित संलिप्तता का सुझाव दिया गया है, जिसमें मई में पहली बार भड़कने के बाद से 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने कुकी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट द्वारा दायर एक रिट याचिका के आधार पर रिपोर्ट मांगी, जिसमें कथित क्लिप की स्वतंत्र जांच की मांग की गई है। पीठ ने अगली सुनवाई 24 मार्च तय की है।
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मणिपुर में कोटा और आर्थिक लाभ को लेकर बहुसंख्यक मैतेई और कुकी के बीच 3 मई, 2023 को जातीय हिंसा भड़क उठी। केंद्र ने पहाड़ी और घाटी जिलों की सीमा से लगे संवेदनशील क्षेत्रों में बलों को तैनात किया है, जिससे परिधीय क्षेत्रों में गोलीबारी की घटनाओं में कमी आई है। कूकी संगठन की ओर से पेश होते हुए वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि ऑडियो क्लिप की जांच ट्रुथ लैब्स द्वारा की गई थी दिल्ली में स्थित देश की एकमात्र पूर्ण स्वतंत्र फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला है। लैब ने प्रमाणित किया कि क्लिप में आवाज बीरेन सिंह से 93 प्रतिशत मेल खाती है।
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भूषण ने अदालत को बताया कि रिकॉर्डिंग एक बंद दरवाजे की बैठक में हुई थी, जिसमें मुख्यमंत्री को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि उन्होंने मैतेई समुदाय को गिरफ्तारी से सुरक्षा सुनिश्चित की और उन्हें राज्य शस्त्रागार से चोरी करने की भी अनुमति दी।