केंद्र ने कथित तौर पर सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट दायर की है, जिसमें वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आदेश पारित करने से पहले सुनवाई की मांग की गई है। संपन्न बजट सत्र में लोकसभा और राज्यसभा में पारित होने से पहले संसद में काफी बहस हुई थी। घटनाक्रम से जुड़े वकीलों ने कहा कि याचिकाओं को 15 अप्रैल को एक पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाने की संभावना है, हालांकि अभी तक यह शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर नहीं दिखाई दे रहा है।
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2025 को अपनी मंजूरी दे दी। सरकार ने एक अधिसूचना जारी की, जिसमें कहा गया कि संसद के निम्नलिखित अधिनियम को 5 अप्रैल, 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है, और इसे आम जानकारी के लिए प्रकाशित किया जाता है: वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025। राज्यसभा में 13 घंटे की लंबी बहस के बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक को संसद ने मंजूरी दे दी। विपक्षी दलों ने विधेयक का कड़ा विरोध करते हुए इसे मुस्लिम विरोधी और असंवैधानिक बताया, जबकि सरकार ने इसे अल्पसंख्यक समुदाय को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से बनाया गया ऐतिहासिक सुधार बताया।
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विधेयक को राज्य सभा में 128 मतों के साथ पारित किया गया, जबकि इसके खिलाफ 95 मत पड़े। इससे पहले गुरुवार को विधेयक को लोक सभा में पारित किया गया, जहां 288 सदस्यों ने इसके पक्ष में और 232 ने इसके खिलाफ मतदान किया। इसके अलावा संसद ने मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक को भी मंजूरी दे दी। राज्य सभा ने इसे मंजूरी दे दी, जबकि लोक सभा पहले ही विधेयक को पारित कर चुकी थी। मुसलमान वक्फ अधिनियम, 1923 को अब निरस्त कर दिया गया है।