कांग्रेस के नेतृत्व में कई विपक्षी दलों ने लोकसभा चुनावों से पहले इंडिया नामक गठबंधन बनाया। लेकिन यह गठबंधन ना तो लोकसभा चुनावों में और ना ही महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कोई कमाल दिखा पाया। लोकसभा चुनावों से पहले इस गठबंधन की बड़े-बड़े शहरों के पांच सितारा होटलों में शानदार बैठकें हुआ करती थीं लेकिन उसके बाद से इस गठबंधन की कोई बैठक ही नहीं बुलाई गयी। लगता है कि सत्ता हासिल करने के लिए बना गठबंधन सत्ता की उम्मीदें टूटने के साथ ही बिखर चुका है।
इसे भी पढ़ें: बाल ठाकरे के घर एक पैगंबर पैदा हो गया वाले बयान को लेकर विधायक यतनलाल की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, मामला दर्ज किया गया
बिखरता चला गया गठबंधन
देखा जाये तो लोकसभा चुनावों के बाद से कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन को उसके हाल पर छोड़ दिया था। इसके चलते जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के दौरान यह गठबंधन राज्य में तब बिखर गया जब महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी इससे बाहर हो गयी और चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस को तब झटका लगा जब नेशनल कांफ्रेंस ने उसे मनचाहे मंत्री पद देने से इंकार कर दिया। नतीजतन कांग्रेस को राज्य सरकार से बाहर रहना पड़ा। इसी तरह झारखंड विधानसभा चुनावों के दौरान भी यह गठबंधन टूटते टूटते बचा। अब बिहार में चुनाव होने हैं और वहां भी माना जा रहा है कि राष्ट्रीय जनता दल कांग्रेस को मुँहमांगी सीटें कतई नहीं देगा। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनावों के दौरान कांग्रेस को कोई सीट नहीं देकर झटका दे चुके हैं और अब वह इंडिया गठबंधन की बजाय अपने पीडीए को आगे बढ़ाने की बात कर रहे हैं। इसी तरह ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस भी इस इंडिया गठबंधन से शुरू से दूरी बना कर चल रही है। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन भी दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान टूट कर बिखर चुका है। इस तरह आप इस विपक्षी गठबंधन में शामिल दलों की सूची उठा कर देखेंगे तो पाएंगे कि अब सभी कांग्रेस से दूरी बना कर चल रहे हैं और इस गठबंधन के भविष्य को लेकर चुप्पी भी साधे हुए हैं। लेकिन अब यह चुप्पी टूटने लगी है।
सामना ने साधा कांग्रेस पर निशाना
इस चुप्पी को तोड़ने का काम सबसे पहले किया है उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (उबाठा) ने। उद्धव ठाकरे की पार्टी ने कहा है कि कांग्रेस को ‘इंडिया’ गठबंधन की स्थिति के बारे में बात करनी चाहिए और अहमदाबाद में पार्टी के हालिया अधिवेशन में विपक्षी गठबंधन के बारे में सवालों का जवाब देना चाहिए था। शिवसेना (उबाठा) ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय लेख में कहा कि कांग्रेस ने अहमदाबाद के पार्टी अधिवेशन में केवल अपने बारे में बात की और ‘इंडिया’ या भारत कहीं भी चर्चा में नहीं था। पार्टी ने कहा, ‘‘लोकसभा चुनाव के बाद ‘इंडिया’ गठबंधन की स्थिति क्या है, इस पर सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस को अपने अहमदाबाद अधिवेशन में इस पर विचार करना चाहिए था।’’ शिवसेना (उबाठा) ने सवाल करते हुए कहा, ‘‘गठबंधन का क्या हुआ? क्या यह जमीन में दब गया या हवा में गायब हो गया? इस सवाल का जवाब देने की जिम्मेदारी कांग्रेस अध्यक्ष की है।’’
इसे भी पढ़ें: अब ईसाई और बौद्ध समाज की जमीन पर नजर… बीजेपी पर उद्धव ठाकरे का जोरदार हमला, बोले- प्रभू राम का नाम लेने के लायक नहीं
हम आपको बता दें कि कांग्रेस ने 8-9 अप्रैल को गुजरात में अपना अधिवेशन आयोजित किया। राज्य में कांग्रेस दो दशकों से सत्ता से बाहर है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और विपक्ष के नेता राहुल गांधी सहित वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने अधिवेशन में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया था। शिवसेना (उबाठा) ने बिहार, गुजरात और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस का रुख भी जानना चाहा। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल कांग्रेस की सहयोगी है, जबकि गुजरात और पश्चिम बंगाल में ‘इंडिया’ गठबंधन के सहयोगी दल आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस भी चुनाव मैदान में होंगे। शिवसेना (उबाठा) ने कहा, ‘‘कांग्रेस ने गुजरात में अपना अधिवेशन आयोजित किया, लेकिन लोकसभा चुनावों में पार्टी ने 2014 के बाद इस पश्चिमी राज्य में केवल एक सीट जीती।’’ सामना के संपादकीय में कहा गया है कि कांग्रेस को मध्यप्रदेश और आंध्र प्रदेश में प्रयास करने की जरूरत है, पार्टी को लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र में सफलता मिली, लेकिन राज्य विधानसभा चुनावों में उसे करारी हार का सामना करना पड़ा। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने कहा, ‘‘इस हार के लिए कांग्रेस के अंदरूनी मसलों के साथ-साथ भाजपा के घोटाले भी उतने ही जिम्मेदार हैं। इस पर उसे (कांग्रेस) विचार करना होगा।” बहरहाल, देखना होगा कि शिवसेना यूबीटी के बाद इंडिया गठबंधन के अन्य दल कांग्रेस से क्या सवाल पूछते हैं?