Monday, April 21, 2025
spot_img
Homeराष्ट्रीय50 लाख को 2000 करोड़ रुपये में बदलने का बिजनेस कैसे सीखा?...

50 लाख को 2000 करोड़ रुपये में बदलने का बिजनेस कैसे सीखा? हिमंता का राहुल गांधी से सवाल

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और सोनिया गांधी के खिलाफ अभियोजन शिकायत दर्ज की। इसको लेकर भाजपा गांधी परिवार पर हमलावर है। नेशनल हेराल्ड मामले में राहुल गांधी और सोनिया गांधी के खिलाफ ईडी की चार्जशीट पर असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने भी कांग्रेस पर तंज कसा है। हिमंता ने कहा कि राहुल गांधी अक्सर अडानी और अंबानी पर आरोप लगाते हैं कि उन्होंने इतना पैसा कैसे बनाया है। 
 

इसे भी पढ़ें: आरोपी नं 1 और 2 कौन? 5 हजार करोड़ रुपए बनाने की पूरी कहानी, National Herald Case की चार्जशीट की हैरान करने वाली जानकारी

राहुल गांधी से सवाल करते हुए हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि मेरा सवाल है कि एक राजनीतिक परिवार से होने के बावजूद उन्होंने 50 लाख रुपये को 2000 करोड़ रुपये में बदलने का बिजनेस का तरीका कैसे सीखा। हमें भी यही फॉर्मूला बताएं ताकि मैं असम के लिए ऐसा कर सकूं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लोगों को सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मांग करनी चाहिए कि वे पार्टी को ये 2000 करोड़ रुपये वापस करें। क्या आपने कांग्रेस पार्टी के दफ्तरों की हालत देखी है?
भाजपा नेता ने कहा कि लोगों को यह नहीं पता कि गांधी परिवार पैसे बना रहा है लेकिन आम कांग्रेसी वंचित हो रहे हैं। अब मां-बेटे दोनों को ईडी के सामने पेश होना चाहिए और अपनी बेगुनाही साबित करनी चाहिए। भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि सवाल नैतिकता का है। कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह से स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत के साथ खिलवाड़ किया है, वह पुरानी बीमारी है। भाजपा नेता ने कहा कि कांग्रेस आरोप लगाएगी कि हम नेहरू को दोष दे रहे हैं, लेकिन हम नेहरू को दोष नहीं दे रहे हैं। सरदार पटेल और सीबी गुप्ता ने अपने संस्मरणों में पुरुषोत्तम दास टंडन, आचार्य नरेंद्र देव, शिव प्रसाद गुप्ता और श्रीप्रकाश जी का संदर्भ देते हुए यह बात लिखी है। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस को नेहरू-गांधी परिवार पर लगाए गए आंतरिक आरोपों की जानकारी नहीं है, तो मेरे लिए कहने को ज्यादा कुछ नहीं है। कानूनी प्रक्रियाओं को दोष देना गलत है। 
त्रिवेदी ने कांग्रेस से सवाल करते हुए कहा कि मैं कांग्रेस पार्टी से पूछना चाहता हूं कि कौन सा त्याग, कौन सा समर्पण, कौन सा योगदान… ये (नेशनल हेराल्ड केस) शुद्ध बिजनेस ट्रांजैक्शन का मामला है तो वो कैसे कह सकते हैं कि ये ईडी के परव्यू से बाहर है या ये किसी राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है। जबकि ये विषय 2012 में उठा, अक्टूबर 2013 में UPA सरकार के शासनकाल में एक जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोई के निर्देश पर ये केस शुरू हुआ था।
 

इसे भी पढ़ें: National Herald Case: केशव प्रसाद मौर्य का तंज, गांधी परिवार के गुलाम की तरह काम कर रही कांग्रेस

उन्होंने दावा किया कि यह स्पष्ट है कि कांग्रेस नहीं चाहती थी कि नेशनल हेराल्ड अखबार चलता रहे। इसीलिए उन्होंने इसे पदेन संस्था नहीं बनाया। कांग्रेस के नेताओं को भी उनकी मंशा पर संदेह था। श्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने भी पंडित जवाहरलाल नेहरू को पत्र लिखकर इस पर सवाल उठाया था, जिसे नेहरू ने आसानी से नकार दिया। उन्होंने दावा किया कि यह एक व्यापारिक लेन-देन का स्पष्ट उदाहरण है, न कि स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि। फिर यह प्रवर्तन निदेशालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर कैसे है? इस मामले की जांच 2012 में यूपीए सरकार के दौरान दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बाद शुरू हुई थी और 1950 के दशक से ही कांग्रेस के नेता इसे संदेह की दृष्टि से देखते रहे थे।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments