पूरी दुनिया में एक नाम इस वक्त सबसे ज्यादा पॉपुलर हो रहा है, वो नाम है डीपसीक। डीपसीक को लेकर जब से खबर आ रही थी कि इसने ये कर दिया, वो कर दिया। अमेरिका को नुकसान हो गया। ट्रंप परेशान हो गए। दरअसल, ये एक चाइनीज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी है। एक स्टार्टअप है, जो एक साल पहले शुरू हुई थी। इस कंपनी ने चैट जीपीटी के जैसा एक एआई चैटबोट बनाया और इसकी वजह से अमेरिका की कंपनियों को 86 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो गया। चीन की इस कंपनी का एआई चैटबोट इतना पॉपुलर हो गया कि इसने चैटजीपीटी को भी पीछे छोड़ दिया। एप स्टोर पर सात दिनों के अंदर ही सबसे ज्यादा डाउनलोड होने वाला एप बन गया। हालत ये हो गई है कि यूएस प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप भी परेशान हो गए हैं। उन्हें ये कहना पड़ा कि डीपसीक अमेरिका की सारी कंपनियों के लिए एक वेक-अप कॉल है।
क्या है डीपसीक
डीपसीक चीन के दक्षिण पूर्वी शहर हांगचो में स्थित है। मार्केट इंटेलिजेंस प्लेटफार्म सेंसर टावर के मुताबिक, डीपसीक की स्थापना जुलाई 2023 में हुई है। इसके संस्थापक लिआंग वेनफेंग हैं जिन्होंने हेज फंड के जरिये पैसा जुटाकर डीपसीक की शुरुआत की है। वैनफेंग एक इन्फार्मेशन एंड इलेक्ट्रानिक इंजीनियर हैं। वेनफेंग हेज फंड मैनेजर भी रहे हैं।
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डीपसीक में क्या है खास
इसकी गुणवत्ता काफी बेहतर और लागत काफी कम है
यह माडल गणित, कोडिंग और जनरल नालेज से जुड़े कामों का बेहद कारगर है
यह 90-95 प्रतिशत ज्यादा किफायती है और महंगे हार्डवेयर की जरूरत कम होती है
विभिन्न समस्याओं और कार्यों को पूरा करने में इसका स्कोर 92 प्रतिशत रहा है, जबकि चैटजीपीटी-4 का स्कोर 78 प्रतिशत है
इसको एनवीडिया की एच800 चिप का इस्तेमाल करके बनाया गया है जो मध्यम रेंज की चिप है
डीपसीक का एआइ एप उसकी वेबसाइट और एपल स्टोर पर उपलब्ध है
यह सेवा मुफ्त है और एपल के स्टोर पर सबसे तेजी से डाउनलोड होने वाला एप बन गया है।
ओपनएआइ के लिए खतरा क्यों?
ओपनएआइ ने महंगे हार्डवेयर का इस्तेमाल करने अपना एआइ माडल चैटजीपीटी बनाया है, जबकि डीपसीक महंगे हार्डवेयर पर निर्भर नहीं है। डीपसीक के आर1 को चैटजीपीटी से बेहतर बताया जा रहा है। ओपनएआइ में चार हजार से ज्यादा कर्मचारी हैं, जबकि डीपसीक ने 200 कर्मचारियों की टीम से तकनीक की दुनियों में हलचल मचाने वाले उत्पाद तैयार किया है। डीपसीक का आर1 आने के बाद ओपनएआइ ने 01 माडल लांच किया है। डीपसीक के चैटबाट सभी के लिए उपलब्ध है, जबकि ओपनएआइ का 01 माडल अभी सभी के लिए उपलब्ध नहीं हैं।
AI War में अमेरिका-चीन को चुनौती देने की तैयारी में भारत
डीपसीक को लेकर जब से खबर आ रही थी कि इसने ये कर दिया, वो कर दिया। अमेरिका को नुकसान हो गया। ट्रंप परेशान हो गए। इसके बाद से ही कई लोगों की निगाहें इस बात पर टिकी थी कि भारत कब उठेगा और भारत कब बड़ी एनाउंसमेंट करेगा। अब भारत एक ऐसा एआई का मॉडल बनाएगा जो अमेरिका के चैटजीपीटी और चीन के डीपसीक दोनों को चैलेंज करेगा। चीन और अमेरिका को टक्कर देने के लिए भारत अपना खुद का आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) चैटबॉट अगले 10 महीने में तैयार कर लेगा। यह ऐलान केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने किया। उन्होंने बताया कि देश का लार्ज लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) अश्विनी वैष्णव 10 महीने में तैयार हो जाएगा। यह फाउंडेशनल मॉडल होगा, जो सभी भारतीय भाषाओं में होगा। इसका फ्रेमवर्क बन गया है। रिपोर्ट के मुताबिक सुरक्षा के मद्देनजर इटली ने चीन के डीपसीक को बैन कर दिया है। आयरलैंड ने डेटा प्रोसेसिंग पर डीपसीक से जानकारी मांगी है। अमेरिकी नौसेना ने भी अपने सदस्यों को डीपसीक का इस्तेमाल न करने को कहा है। उन्होंने बताया कि एआई के लिए कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर सबसे अहम है। भारत ने इस मामले में 10 हजार जीपीयू का लक्ष्य हासिल कर लिया है। इसे अब 18600 जीपीयू करना है। जीपीयू यानी ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (चिप)। किसी भी तरह के लैंग्वेज मॉडल को बनाने में काफी उन्नत जीपीयू की जरूरत होती है।