जम्मू-कश्मीर में अधिकारियों ने 60 पाकिस्तानियों को वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिनमें से एक आतंकी हमले में मारे गए पुलिसकर्मी की मां भी हैं। अधिकारियों ने बताया कि इन सभी को विभिन्न जिलों से इकट्ठा करके बसों में पंजाब ले जाया गया, जहां उन्हें वाघा सीमा पर पाकिस्तानी अधिकारियों को सौंप दिया जाएगा। निर्वासित किए जा रहे लोगों में अधिकतर पूर्व आतंकवादियों की पत्नियां और बच्चे हैं, जो पूर्व आतंकवादियों के लिए 2010 की पुनर्वास नीति के तहत घाटी में लौटे थे। अधिकारियों ने बताया कि इनमें से 36 पाकिस्तानी श्रीनगर में, नौ-नौ बारामूला और कुपवाड़ा में, चार बडगाम में और दो शोपियां जिले में रह रहे थे।
हम आपको बता दें कि आतंकवादियों से लड़ते हुए मई 2022 में मारे गए विशेष पुलिस अधिकारी मुदासिर अहमद शेख की मां शमीमा अख्तर भी निर्वासित किए जा रहे लोगों में शामिल हैं। मुदासिर जम्मू-कश्मीर पुलिस की एक टीम का हिस्सा थे, जिसने विदेशी आतंकवादियों के एक समूह को रोका था। जम्मू-कश्मीर पुलिस के जांबाज मुदस्सिर अहमद शेख को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा जम्मू-कश्मीर में तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों को मार गिराने के लिए मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित भी किया गया था। हम आपको बता दें कि मुदासिर ने दूसरे हाथ से AK-47 से फायरिंग जारी रखी थी। उनकी गर्दन और कंधे पर गोली लगी थी लेकिन उन्होंने आतंकवादियों को नहीं छोड़ा था। हर कोई उन्हें बिंदास कहता था क्योंकि वे निडर थे और उनका मानना था कि “आपको हर दिन शेर की तरह जीना चाहिए”। उनकी शहादत के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने उनके घर का दौरा कर परिजनों से मुलाकात की थी और उन्हें ढाढस बंधाया था।
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इस घटनाक्रम से खुश नहीं दिख रहे मुदासिर के चाचा मोहम्मद यूनुस ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मेरी भाभी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से हैं, जो हमारा क्षेत्र है। केवल पाकिस्तानियों को ही निर्वासित किया जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि मुदासिर की मृत्यु के बाद, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने परिवार से मुलाकात की थी और उपराज्यपाल भी दो बार परिवार से मिलने आए थे। मोहम्मद यूनुस ने कहा, ‘‘मेरी भाभी जब यहां आई थीं, तब उनकी उम्र 20 साल थी और वह 45 साल से यहां रह रही हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह से मेरी अपील है कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।’’