Friday, March 14, 2025
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Gold Price Today: सोने की कीमत में बढ़ोतरी, बजट से पहले महंगा हुआ सोना

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आज 31 जनवरी 2025, शुक्रवार को सोने की कीमत में तेजी देखने को मिली है। बजट से एक दिन पहले सोना महंगा हुआ है। बाजार में अटकलें हैं कि 1 फरवरी 2025 को पेश होने वाले केंद्रीय बजट में सरकार सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा सकती है, जिसे पिछले बजट में कम किया गया था। यदि ऐसा होता है, तो सोने की कीमत में और उछाल देखने को मिल सकता है। आज, 24 और 22 कैरेट सोने के दाम में 300 रुपये तक की वृद्धि दर्ज की गई है।

बजट से पहले सोना क्यों हो रहा महंगा?

बजट 2025 से पहले सोने और चांदी की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है। इसके पीछे मुख्य कारण निवेशकों और आम खरीदारों की बढ़ती मांग है।

  • वैश्विक बाजार में अस्थिरता और अमेरिकी नीतियों में बदलाव के चलते लोग सोने को सुरक्षित निवेश मानकर खरीदारी कर रहे हैं।
  • ब्याज दरों में संभावित कटौती और अंतरराष्ट्रीय बाजार की अनिश्चितता सोने की कीमतों को और ऊपर ले जा सकती है।
  • एक्सपर्ट्स का मानना है कि बजट के बाद सोने के दाम और बढ़ सकते हैं, खासकर अगर सरकार इंपोर्ट ड्यूटी में बदलाव करती है।

भारत में सोने-चांदी की बढ़ती मांग

भारत में शादी-विवाह और त्योहारों के सीजन में सोने की मांग स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती है।

  • आने वाले महीनों में उच्च मांग के कारण सोने की कीमत में और इजाफा हो सकता है।
  • अगर बजट में इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई जाती है, तो इसका सीधा असर कीमतों पर पड़ेगा।
  • विशेषज्ञों का अनुमान है कि जून 2025 तक सोने की कीमत 85,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकती है।

दिल्ली-मुंबई में 24 और 22 कैरेट सोने का दाम

आज दिल्ली और मुंबई में सोने की कीमतों में तेजी दर्ज की गई है।

शहर का नाम 22 कैरेट गोल्ड रेट (रुपये/10 ग्राम) 24 कैरेट गोल्ड रेट (रुपये/10 ग्राम)
दिल्ली 76,260 83,180
चेन्नई 76,110 83,030
मुंबई 76,110 83,030
कोलकाता 76,110 83,030
  • दिल्ली में 24 कैरेट सोना 83,180 रुपये प्रति 10 ग्राम और 22 कैरेट सोना 76,260 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया है।
  • मुंबई में 24 कैरेट सोना 83,030 रुपये और 22 कैरेट सोना 76,110 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा है।

31 जनवरी को चांदी की कीमत में भी तेजी

आज चांदी की कीमत में 2,000 रुपये की वृद्धि दर्ज की गई है।

  • 31 जनवरी 2025 को चांदी का भाव 98,600 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है।
  • चांदी 1,00,000 रुपये के रिकॉर्ड स्तर के करीब पहुंच चुकी है।
  • अगर बाजार में तेजी बनी रही, तो चांदी की कीमतें और बढ़ सकती हैं।

कैसे तय होती है सोने की कीमत?

भारत में सोने की कीमत कई कारकों पर निर्भर करती है, जिनमें प्रमुख हैं:

  1. अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने के दाम
  2. सरकार की इंपोर्ट ड्यूटी और टैक्स नीति
  3. रुपये की कीमत में उतार-चढ़ाव
  4. शादी-ब्याह और त्योहारों के कारण बढ़ती मांग
  5. निवेशकों का रुझान और ब्याज दरों में बदलाव

सोना सिर्फ एक निवेश का माध्यम नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा भी है। इसलिए, इसकी कीमतों में बदलाव का सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ता है।

दक्षिणी माली: सोने की खदान में भूस्खलन से कई खनिकों की मौत

माली स्थित एक सोने की खदान में हुए भूस्खलन की चपेट में आने से कई खनिकों को मारे जाने की आशंका है। पश्चिम अफ्रीकी देश के कोलीकोरो क्षेत्र के गवर्नर कार्यालय ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
इन खदान कर्मियों में अधिकतर महिलाएं थीं।गवर्नर कार्यालय ने बताया कि दक्षिणी माली में सोने की खदान में भूस्खलन बुधवार को हुआ।

माली के राष्ट्रीय टेलीविजन पर प्रसारित एक बयान में कोलीकोरो के गवर्नर कर्नल लामिन कापोरी सानोगो ने कहा, ‘‘सोना निकालने के लिए की जा रही खुदाई के दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं मौजूद थीं। खुदाई स्थल के चारों ओर एक बांध था जो टूट गया और पानी कीचड़ के साथ अंदर घुस आया, जिसने महिलाओं को अपनी चपेट में ले लिया।’’ गवर्नर के कार्यालय ने बताया कि दक्षिणी माली स्थित सोने की खदान में बुधवार को भूस्खलन हुआ और इसमें कई खनिक मारे गए, लेकिन उन्होंने संख्या नहीं बताई।

गुइलेन बैरी सिंड्रोम: जानें लक्षण, कारण और उपचार

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हाल ही में महाराष्ट्र में गुइलेन बैरी सिंड्रोम (जीबीएस) के 100 से अधिक मामले सामने आए हैं, जिसमें पुणे में एक मरीज की मृत्यु भी हुई है। एम्स की प्रोफेसर डॉ. सुजाता शर्मा ने बताया कि लोगों को इस बीमारी से डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन लक्षण प्रकट होने पर तुरंत उपचार कराना आवश्यक है। खुद इस बीमारी का सामना कर चुकी डॉ. सुजाता ने स्पष्ट किया कि यह एक संक्रामक बीमारी नहीं है। गुइलेन बैरी सिंड्रोम एक ऑटोइम्यून स्थिति है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी ही तंत्रिका तंत्र पर हमला कर देती है, जिससे कमजोरी, सुन्नता या लकवे जैसी समस्याएं हो सकती हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस स्थिति को मेडिकल इमरजेंसी मानते हैं, जो तुरंत उपचार की मांग करती है, अन्यथा जान का जोखिम भी हो सकता है।

गुइलेन बैरी सिंड्रोम कब होता है?

गुइलेन बैरी सिंड्रोम तब उत्पन्न होता है जब बैक्टीरिया और वायरस के संक्रमण के बाद शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली सक्रिय हो जाती है। इस स्थिति में प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से शरीर के तंत्रिका तंत्र पर हमला करना शुरू कर देती है।

लक्षण:

इस बीमारी के शुरुआती लक्षणों में शामिल हैं:

  • पैरों और उंगलियों में झुनझुनी या कमजोरी
  • शरीर के ऊपरी हिस्से तक कमजोरी का फैलाव
  • सांस लेने, निगलने या बोलने में कठिनाई
  • गंभीर मामलों में लकवे की संभावना

कारण:

गुइलेन बैरी सिंड्रोम अक्सर फ्लू या पेट के कीड़ों जैसे संक्रमण से शुरू होता है। कुछ मामलों में, यह टीकाकरण या अन्य बीमारियों से भी उत्पन्न हो सकता है, लेकिन इसका सटीक कारण हमेशा स्पष्ट नहीं होता।

उपचार:

हां, गुइलेन बैरी सिंड्रोम का इलाज किया जा सकता है। इम्युनोग्लोबुलिन थेरेपी इस बीमारी की गंभीरता को कम करने में मदद कर सकती है। यह उपचार आमतौर पर अस्पताल में किया जाता है, और प्रारंभिक उपचार से रिकवरी में सुधार संभव है।

रिकवरी का समय:

गुइलेन बैरी सिंड्रोम से रिकवरी समय व्यक्ति से व्यक्ति में भिन्न हो सकती है। कई लोग कुछ हफ्तों या महीनों में ठीक हो जाते हैं, जबकि कुछ को पूर्ण ठीक होने में सालों लग सकते हैं या दीर्घकालिक प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है।

संक्रामकता:

गुइलेन बैरी सिंड्रोम संक्रामक नहीं है। यह एक विकार है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी ही नसों पर हमला करती है, न कि किसी वायरस या बैक्टीरिया पर जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है।

जोखिम:

यह स्थिति किसी को भी हो सकती है, लेकिन यह वयस्कों और वृद्ध व्यक्तियों में अधिक सामान्य है। हाल ही में किसी संक्रमण का सामना करने वाले लोगों, खासकर वायरल या बैक्टीरियल, में इसका जोखिम ज्यादा होता है।

यदि आप या आपके जानने वाले किसी भी लक्षण का अनुभव कर रहे हैं, तो तुरंत चिकित्सीय सलाह लें।

खजूर के बीज: सेहत के लिए अनदेखे लाभ और सेवन का तरीका

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सर्दियों में कई लोग गर्म दूध के साथ खजूर खाना पसंद करते हैं। खजूर की गर्म तासीर ठंड से बचाव करती है और शरीर में गर्माहट बनाए रखती है। हालांकि, ज्यादातर लोग खजूर खाने के बाद उसके बीज को बेकार समझकर फेंक देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि खजूर के बीज भी बहुत फायदेमंद होते हैं? इनमें ओलिएक एसिड, डाइटरी फाइबर, पॉलीफेनोल्स, प्रोटीन, पोटैशियम, मैग्नीशियम, कॉपर, आयरन, मैंगनीज, और विटामिन बी6 जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो डायबिटीज से लेकर वजन घटाने तक में सहायक होते हैं। आइए जानते हैं खजूर के बीज खाने के स्वास्थ्य लाभ और सेवन का सही तरीका।

खजूर के बीज के फायदे:

  1. दिल की सेहत: खजूर के बीज में ओलिएक एसिड, डाइटरी फाइबर, और पॉलीफेनोल्स होते हैं, जो दिल के लिए फायदेमंद हैं। ये बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं और कार्डियोवैस्कुलर स्वास्थ्य में सुधार करते हैं, जिससे हार्ट अटैक और असामान्य धड़कन जैसी समस्याओं से बचने में मदद मिलती है।
  2. बेहतर पाचन: खजूर के बीज में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है और डाइजेशन की प्रक्रिया को बेहतर बनाता है।
  3. वजन घटाने में मदद: खजूर के बीज वजन घटाने के लिए फायदेमंद होते हैं। इनमें मौजूद उच्च फाइबर सामग्री वेट लॉस में मदद करती है। आप खजूर के बीज का पाउडर बनाकर इसका सेवन कर सकते हैं।
  4. डायबिटीज में फायदेमंद: खजूर के बीज ब्लड शुगर लेवल को संतुलित करके डायबिटीज रोगियों के लिए लाभकारी होते हैं। भुने हुए खजूर के बीजों का पाउडर गर्म पानी के साथ लेने से ऊर्जा मिलती है और शुगर लेवल नियंत्रित रहता है।
  5. त्वचा के लिए लाभकारी: खजूर के बीज त्वचा की लाइटनिंग में मदद करते हैं। इनका पाउडर स्क्रब के रूप में उपयोग करके आप डेड स्किन सेल्स को हटाकर त्वचा को चमकदार बना सकते हैं।

खजूर के बीज का सेवन कैसे करें:

खजूर के बीज का सेवन करने के लिए कुछ बीज इकट्ठा करें और उन्हें अच्छे से धोकर धूप में सुखा लें। फिर, एक पैन को मध्यम आंच पर गर्म करके इन बीजों को भूनें। जब ये करारे हो जाएं, तो इन्हें मिक्सी में डालकर पाउडर बना लें। अब रोजाना गुनगुने दूध में 1 चम्मच इस पाउडर को मिलाकर पिएं।

अगली बार खजूर खाते समय उसके बीज को न फेंकें, बल्कि इनका सेवन करके सेहत को कई तरह से लाभ पहुंचाएं!

जलने पर टूथपेस्ट लगाने से क्यों बचें: जानें इसके नुकसान

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रसोई में हाथ जलने या गर्म चीजों के संपर्क में आने पर कई लोग तुरंत बाथरूम में रखा टूथपेस्ट प्रभावित जगह पर लगाने लगते हैं। हालांकि, यह एक सामान्य गलती है, और ऐसा करने से फायदे की बजाय नुकसान हो सकता है। एक अध्ययन के अनुसार, लगभग 70 प्रतिशत लोग जली हुई त्वचा पर टूथपेस्ट लगाने की भूल करते हैं। यह धारणा है कि टूथपेस्ट ठंडक पहुंचाता है और जलन से राहत देता है, लेकिन वास्तव में यह भ्रम है। आइए जानते हैं क्यों जलने पर टूथपेस्ट नहीं लगाना चाहिए।

जलने पर टूथपेस्ट लगाने के नुकसान:

  1. इंफेक्शन का खतरा: टूथपेस्ट में मौजूद कई केमिकल्स त्वचा के संपर्क में आने पर नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे जलने वाली जगह पर इन्फेक्शन का खतरा बढ़ सकता है। सोडियम फ्लोराइड, जो दांतों में कैविटी बनने से रोकता है, त्वचा और आंखों पर लगने पर जलन पैदा कर सकता है।
  2. बैक्टीरिया का खतरा: टूथपेस्ट जब ब्रश पर लगाया जाता है, तो यह ब्रश की ऊपरी सतह से संपर्क में आता है, जिससे ब्रश पर मौजूद बैक्टीरिया टूथपेस्ट में मिल जाते हैं। जली हुई त्वचा पर यह बैक्टीरिया लगाना इन्फेक्शन का कारण बन सकता है।
  3. संक्रमण को बढ़ावा: टूथपेस्ट में मौजूद ग्लिसरॉल नॉन टॉक्सिक कॉम्पोनेंट है, जो सूखेपन को रोकने में मदद करता है। लेकिन इसे घाव पर लगाने से संक्रमण को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है।

जली हुई त्वचा पर क्या लगाना चाहिए?

अगर आप जल गए हैं, तो जली हुई जगह पर बर्फ या ठंडा पानी नहीं डालना चाहिए। इसके बजाय, आप एलोवेरा जेल का उपयोग कर सकते हैं। एलोवेरा त्वचा को नमी देने के साथ सूजन को कम करने में मदद करता है, जिससे जली हुई त्वचा जल्दी ठीक होती है। अगर आप कोई क्रीम लगाना चाहते हैं, तो डॉक्टर की सलाह लेना न भूलें।

इन सुझावों को ध्यान में रखकर आप अपनी त्वचा की देखभाल कर सकते हैं और जलने की स्थिति में सही कदम उठा सकते हैं।

सुबह की शुरुआत: चाय और कॉफी के बजाय नीम और हल्दी की गोलियों के फायदें

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अधिकतर लोग दिन की शुरुआत चाय या कॉफी के साथ करते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि ये कैफीन युक्त पेय पदार्थ उन्हें ऊर्जा देते हैं। हालांकि, इनमें मौजूद कैफीन के कारण दिनभर एसिडिटी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन मेरी दादी की सुबह की आदतें कुछ अलग थीं। वह हर सुबह कड़वी नीम और तीखी हल्दी की गोलियों के साथ दिन की शुरुआत करती थीं।

इन गोलियों का सेवन करने से न केवल पाचन तंत्र मजबूत होता है, बल्कि चेहरे पर निखार भी आता है। नीम के सेवन से शरीर से विषैले तत्व बाहर निकलते हैं, जिससे त्वचा की सेहत में सुधार होता है। दूसरी ओर, हल्दी में करक्यूमिन नामक यौगिक होता है, जो सूजन कम करने में मदद करता है और एंटीऑक्सीडेंट के गुणों से भरपूर होता है।

नीम और हल्दी की गोलियों को पानी के साथ निगलने से यह शरीर को डिटॉक्स करने का काम करती हैं। इसके नियमित सेवन से न केवल शरीर में ऊर्जा का संचार होता है, बल्कि यह दिनभर तरोताजा बनाए रखने में भी सहायक होती है।

इस तरह, चाय और कॉफी के बजाय नीम और हल्दी की गोलियों को अपनी सुबह की आदतों में शामिल करना एक स्वस्थ विकल्प हो सकता है। ये गोलियां आपको न केवल बेहतर पाचन के साथ-साथ त्वचा पर चमक भी देती हैं। अगर आप अपने दिन की शुरुआत एक ताजगी और ऊर्जा के साथ करना चाहते हैं, तो अपनी दादी की इस पुरानी परंपरा को आजमाने का विचार करें।

कच्ची प्याज के सेवन के संभावित साइड इफेक्ट्स

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प्याज भारतीय cuisine का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। चाहे दाल हो या सब्जी, सलाद हो या कोई विशेष डिश, प्याज का उपयोग लगभग हर घर में किया जाता है। इसमें सोडियम, पोटैशियम, फोलेट, और विटामिन ए, सी, और ई जैसे कई पोषक तत्व होते हैं। हालांकि, यदि आप नियमित रूप से कच्ची प्याज का अधिक सेवन करते हैं, तो इसके कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में:

1. पेट से जुड़ी परेशानियां

अधिक कच्ची प्याज का सेवन करने से पेट की समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि कब्ज, एसिडिटी, गैस, और अपच। प्याज में ‘फ्रुक्टेन’ नामक कार्बोहाइड्रेट होता है, जो पाचन में कठिनाई उत्पन्न कर सकता है। यदि आपको पहले से पेट की समस्या है, तो प्याज का सेवन सीमित मात्रा में करें।

2. माइग्रेन में बढ़ोतरी

अगर आपको माइग्रेन की समस्या है, तो कच्ची प्याज का सेवन कम करें। प्याज में ‘टायरामाइन’ होता है, जो सिरदर्द को बढ़ा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, रात के समय प्याज का सेवन करने से बचना चाहिए।

3. सीने में जलन

कच्ची प्याज का अधिक सेवन करने से सीने में जलन या एसिड रिफ्लक्स की समस्या हो सकती है। प्याज में उच्च मात्रा में पोटैशियम होता है, जो कार्डियोलीवर को प्रभावित कर सकता है। अगर आपको पहले से जलन या एलर्जी की समस्या है, तो प्याज को सीमित करें, विशेष रूप से रात को।

4. शुगर लेवल में गिरावट

कच्ची प्याज का अधिक सेवन ब्लड शुगर लेवल को कम कर सकता है, जो कि ‘हाइपोग्लाइसीमिया’ कहलाता है। यदि आप डायबिटीज से पीड़ित हैं, तो प्याज का सेवन डॉक्टर की सलाह पर करें।

इन संभावित साइड इफेक्ट्स को ध्यान में रखते हुए, प्याज का सेवन संतुलित मात्रा में करना सबसे अच्छा है। आपकी सेहत के लिए यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने आहार में संतुलन बनाएं।

गाढ़ा स्ट्रॉबेरी मिल्कशेक बनाने की विधि

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ठंड के मौसम में मिलने वाले फलों में स्ट्रॉबेरी एक खास स्थान रखती है। यह एक रसीला और स्वादिष्ट फल है, जो सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद है। इसमें विटामिन सी, विटामिन ए, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉलिक एसिड, फॉस्फोरस, पोटैशियम, डायट्री फाइबर्स, एंटी-ऑक्सीडेंट और पॉलीफेनोल कंपाउंड जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। स्ट्रॉबेरी का उपयोग विभिन्न तरीकों से किया जाता है, लेकिन इसे शेक में डालकर पीना बहुत पसंद किया जाता है। यदि आपको गाढ़ा मिल्कशेक पसंद है, तो यहां जानें इसे कैसे बनाएं।

सामग्री:

  • 8-10 स्ट्रॉबेरी
  • 500 मिली दूध
  • चीनी स्वादानुसार

गाढ़ा स्ट्रॉबेरी मिल्कशेक बनाने की विधि:

  1. स्ट्रॉबेरी की सफाई: सबसे पहले स्ट्रॉबेरी को अच्छी तरह से साफ करें। इसके लिए 1 कटोरी पानी में 1/4 कप सिरका और 1 बड़ा चम्मच बेकिंग सोडा मिलाकर स्ट्रॉबेरी को 10-15 मिनट तक भिगोएं। इसके बाद ताजे पानी से अच्छी तरह धो लें।
  2. फ्रीज में रखें: साफ की गई स्ट्रॉबेरी को कम से कम 4 घंटे के लिए फ्रीजर में रखें। अगर आप इसे नाश्ते में पीना चाहते हैं, तो इसे रातभर फ्रीज कर सकते हैं।
  3. ब्लेंडिंग: अब एक ब्लेंडर में दूध, फ्रोजन स्ट्रॉबेरी और स्वादानुसार चीनी डालें। इसे अच्छे से ब्लेंड करें।
  4. सर्विंग: गाढ़ा मिल्कशेक तैयार है! इसे एक कांच के ग्लास में डालें। अगर आपको ठंडा मिल्कशेक पसंद है, तो ब्लेंड करते समय बर्फ डाल सकते हैं।
  5. स्वास्थ्यवर्धक विकल्प: यदि आप स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हैं, तो चीनी की जगह शहद या गुड़ का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा, दूध का उपयोग फुल क्रीम की बजाय टोन्ड दूध से भी किया जा सकता है।

अब आप इस स्वादिष्ट और पौष्टिक गाढ़े स्ट्रॉबेरी मिल्कशेक का आनंद ले सकते हैं!

पाचन तंत्र को मजबूत करने और पेट की चर्बी घटाने में कारगर पवनमुक्तासन

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खराब लाइफस्टाइल, अनियमित खान-पान और अत्यधिक तनाव का सबसे ज्यादा असर पाचन तंत्र पर पड़ता है। इससे मोटापा, गैस, एसिडिटी और कब्ज जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। अगर आप भी इन समस्याओं से परेशान हैं, तो पवनमुक्तासन को अपने रूटीन में शामिल करें। इसे ‘विंड रिलीविंग पोज़’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह शरीर से दूषित वायु को बाहर निकालकर पेट संबंधी विकारों से राहत दिलाता है। इसके नियमित अभ्यास से पेट की चर्बी कम होती है और शरीर लचीला बनता है। आइए जानते हैं पवनमुक्तासन करने का सही तरीका और इसके फायदे।

पवनमुक्तासन करने का सही तरीका

  1. पीठ के बल लेट जाएं और पैरों को सीधा रखें।
  2. दाएं घुटने को मोड़ें और छाती के पास लाकर जांघ को हल्का दबाएं।
  3. हाथों से घुटने को कसकर पकड़ें और गहरी सांस लें।
  4. सिर को उठाकर ठोड़ी को घुटने के बीच छूने की कोशिश करें।
  5. कुछ सेकंड इसी मुद्रा में रुकें, फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए पैर को ढीला करें।
  6. यही प्रक्रिया बाएं पैर के साथ दोहराएं।
  7. अंत में दोनों पैरों को एक साथ मोड़कर यह आसन करें।

पवनमुक्तासन करने के फायदे

✅ पेट की गैस से राहत – यह आसन पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है और गैस की समस्या को दूर करता है।
✅ बेली फैट कम करने में मददगार – नियमित अभ्यास से पेट की चर्बी घटती है और वजन नियंत्रित रहता है।
✅ रीढ़ और गर्दन में लचीलापन – यह आसन पीठ और गर्दन की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है और अकड़न को दूर करता है।
✅ कब्ज से राहत – पेट पर दबाव पड़ने से आंतों की गतिविधि तेज होती है, जिससे कब्ज की समस्या कम होती है।

अगर आप वजन कम करना, पाचन सुधारना या पेट की गैस से राहत पाना चाहते हैं, तो पवनमुक्तासन को अपनी दिनचर्या में जरूर शामिल करें।

बिना चीनी और गुड़ के बनाएं हेल्दी आंवला मुरब्बा

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सर्दियों में आंवला न खाया जाए, तो सेहत के मामले में कुछ अधूरा सा लगता है। विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आंवला इम्यूनिटी बूस्ट करने और ओवरऑल हेल्थ को बेहतर बनाने में मदद करता है। कई लोग इसके खट्टे स्वाद की वजह से इसे सीधे खाने से कतराते हैं, इसलिए आंवले का मुरब्बा एक बेहतरीन विकल्प होता है। हालांकि, पारंपरिक मुरब्बे में चीनी या गुड़ का ज्यादा इस्तेमाल होता है, जो कुछ लोगों के लिए हेल्दी विकल्प नहीं होता। ऐसे में हम आपके लिए लेकर आए हैं बिना चीनी और गुड़ का शुगर-फ्री आंवला मुरब्बा। इसे धागे वाली मिश्री से बनाया जाता है, जो सेहत के लिए फायदेमंद होती है। आइए जानते हैं इसे बनाने की आसान विधि।

शुगर-फ्री आंवला मुरब्बा बनाने के लिए जरूरी सामग्री

  • आंवला – 500 ग्राम
  • धागे वाली मिश्री – 500 ग्राम
  • इलायची पाउडर – ½ चम्मच
  • काला नमक – ¼ चम्मच
  • सौंठ पाउडर – ½ चम्मच
  • पानी – जरूरत के अनुसार

बिना चीनी और गुड़ के आंवला मुरब्बा बनाने की विधि

  1. आंवले को धोकर रातभर पानी में भिगो दें।
  2. अगली सुबह आंवलों को कपड़े से पोंछकर सुखा लें और कांटे वाली चम्मच से हल्के-हल्के छेद कर दें।
  3. एक बर्तन में पानी गर्म करें और उसमें आंवले डालकर 7-8 मिनट तक मीडियम आंच पर उबालें। जब आंवले हल्के नरम हो जाएं, तो उन्हें पानी से निकाल लें।
  4. अब धागे वाली मिश्री को बेलन या सिलबट्टे से कूट लें और मिक्सर में फाइन पाउडर बना लें।
  5. एक पैन में गैस की धीमी आंच पर मिश्री का पाउडर और उबले हुए आंवले डालें।
  6. थोड़ा सा पानी मिलाकर हल्के हाथों से चलाएं, ताकि मिश्री अच्छी तरह घुल जाए।
  7. पैन को ढककर लो फ्लेम पर 40-50 मिनट तक पकाएं, बीच-बीच में मुरब्बे को चलाते रहें।
  8. जब मुरब्बा बनकर तैयार हो जाए, तो उसमें काला नमक, इलायची पाउडर और सौंठ पाउडर डालकर मिक्स करें।
  9. ठंडा होने के बाद इसे स्टोर करें और हेल्दी मुरब्बे का आनंद लें।

इस शुगर-फ्री आंवला मुरब्बे के फायदे

✅ इम्यूनिटी बूस्ट करता है
✅ पाचन तंत्र मजबूत करता है
✅ ब्लड शुगर को नियंत्रित रखता है
✅ स्किन और बालों के लिए फायदेमंद
✅ बॉडी को डिटॉक्स करता है

अगर आप स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए मीठा खाना चाहते हैं, तो यह शुगर-फ्री आंवला मुरब्बा आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। इसे बनाएं और सर्दियों में सेहत का खजाना अपनी डाइट में जरूर शामिल करें!