Thursday, March 13, 2025
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Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली की द्वारका सीट पर देखने को मिल रही कांटे की टक्कर, इन दिग्गजों में है मुकाबला

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के तहत सभी 70 विधानसभा सीटों पर 05 फरवरी को मतदान होना है। वहीं चुनाव के नतीज 08 फरवरी को जारी किए जाएंगे। चुनावी नतीजे आने के बाद यह पता चलेगा कि किस पार्टी का नेता इस बार दिल्ली के सीएम की गद्दी पर बैठेगा। इस बार खासतौर पर लोगों की नजरें द्वारका विधानसभा सीट की ओर है। इस सीट पर पिछले कई सालों से आम आदमी पार्टी का कब्जा है। आप पार्टी ने एक बार फिर उसी प्रत्याशी पर भरोसा जताया है, जिसको पार्टी ने पिछली बार टिकट दिया था। दिल्ली की द्वारका सीट पर आप पार्टी ने विनय मिश्रा, भाजपा ने प्रद्युम्न सिंह राजपूत और कांग्रेस ने आदर्श शास्त्री को टिकट दिया है।
भाजपा के प्रद्युम्न सिंह राजपूत
बता दें कि दिल्ली की द्वारका विधानसभा सीट पर इस बार कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। इस सीट से चुनाव लड़ने वाले तीनों प्रत्याशी अनुभवी हैं। भाजपा के प्रद्युम्न सिंह राजपूत लगातार 6वीं बार इस सीट से अपना भाग्य आजमाने उतर रहे हैं। हालांकि इससे पहले साल 2009 और 2013 में भाजपा के प्रद्युम्न सिंह राजपूत को इस सीट से जीत मिली थी। लेकिन 2013 के बाद से लगातार उनको इस सीट से हार का सामना करना पड़ रहा है।

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आप प्रत्याशी विनय मिश्रा
वहीं आम आदमी पार्टी की बात करें, तो आप ने इस सीट से एक बार फिर विनय मिश्रा पर विश्वास जताया है। वर्तमान समय में विनय मिश्रा इस सीट से विधायक हैं। पहली बार में ही विनय मिश्रा ने द्वारका सीट पर जीत हासिल की थी। ऐसे में इस बार फिर आप प्रत्याशी विनय मिश्रा का इस सीट पर प्रदर्शन देखने लायक होगा।
कांग्रेस पार्टी के आदर्श शास्त्री
कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली की द्वारका सीट से आदर्श शास्त्री को टिकट दिया है। बता दें कि साल 2015 में आदर्श मिश्रा आप पार्टी से विधायक बने थे। लेकिन बाद में उन्होंने आम आदमी पार्टी का दामन छोड़ दिया था और कांग्रेस में शामिल हो गए थे। लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में आदर्श शास्त्री को हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में इस बार देखना दिलचस्प होगा कि इस बार आदर्श मिश्रा का प्रदर्शन कैसा रहने वाला है।
साल 2020 चुनाव का रिजल्ट
साल 2020 के विधानसभा चुनाव में दिल्ली की द्वारका सीट पर आप ने फिर कब्जा जमाया था। लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी ने विनय मिश्रा को टिकट दिया था। तो वहीं भाजपा ने प्रद्युम्न सिंह राजपूत को टिकट दिया था। वहीं कांग्रेस ने आदर्श शास्त्री को टिकट दिया था। इस दौरान आप पार्टी के उम्मीदवार विनय मिश्रा ने 71,003 वोट पाकर जीत हासिल की। भाजपा के प्रद्युम्न सिंह राजपूत को 56,616 वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस के आदर्श शास्त्री को 6,755 वोट से ही संतोष करना पड़ा था। 
साल 2015 चुनाव का रिजल्ट
बता दें कि साल 2015 के विधानसभा चुनाव में आप पार्टी ने दिल्ली की द्वारका सीट पर जीत हासिल की थी। इस चुनाव में आप पार्टी ने इस सीट पर आदर्श शास्त्री को टिकट दिया था। लेकिन इस बाद आदर्श शास्त्री कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। 2015 के चुनाव में बीजेपी के प्रद्युम्न सिंह राजपूत को 40,363 वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस के महाबल मिश्रा को 12,532 वोट से संतोष करना पड़ा था। वहीं आप के उम्मीदवार को 79,729 वोट मिले थे।

Delhi Assembly Election 2025: बेहद दिलचस्प है दिल्ली की जंगपुरा की ‘जंग’, सिसोदिया को BJP और कांग्रेस से मिलेगी टक्कर

दिल्ली विधानसभा चुनाव के तहत सभी 70 विधानसभा सीटों पर 05 फऱवरी को मतदान होना है। वहीं चुनाव के नतीजे 08 फरवरी को आएंगे। साथ ही यह भी पता चल जाएगा कि दिल्ली के सीएम की गद्दी पर किस पार्टी का नेता बैठेगा। वहीं खासतौर पर इस बार सभी की नजरें जंगपुरा विधानसभा सीट की ओर है। इस सीट से दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं भाजपा से इस सीट पर तरविंदर सिंह मारवाह और कांग्रेस ने फरहाद सूरी को अपना प्रत्याशी बनाया है। इससे पहले साल 2013, 2015 और 2020 में मनीष सिसोदिया ने पटपड़गंज से चुनाव लड़ा था। लेकिन इस बार उनकी सीट बदल गई है।
भाजपा नहीं जीत पाई यह सीट
दिल्ली के चुनावी इतिहास में जंगपुरा विधानसभा सीट पर आज तक भाजपा अपना परचम नहीं लहरा पाई है। साल 1993, 1998, 2003 और 2008 के चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। वहीं साल 2013, 2015, और 2020 में आप पार्टी के प्रत्याशी ने इस सीट पर झंडे गाड़े थे। हालांकि बीच-बीच में कई ऐसे मौके आए, जब भाजपा के उम्मीदवार ने विजेताओं को कांटे की टक्कर दी थी। लेकिन वह जीतने के लिए उतने वोट हासिल नहीं कर पाए थे। लेकिन इस बार समीकरण पूरी तरह से बदले हुए थे। क्योंकि भाजपा ने जंगपुरा सीट से तरविंदर सिंह मारवाह को चुनावी मैदान में उतारा है।

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जंगपुरा की दिलचस्प होगी ‘जंग’
सियासी जानकारों की मानें, तो जंगपुरा की जंग इस बार दिलचस्प हो सकती है। क्योंकि इस सीट से भाजपा की तरफ से उतरे तरविंदर सिंह मारवाह विधायक रह चुके हैं। लेकिन तब वह कांग्रेस में थे। तरविंदर सिंह मारवाह ने साल 1998, 2003 और 2008 में जीत दर्ज हो सकती है। तो वहीं कांग्रेस ने इस सीट से फरहार सूरी तो अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं आप पार्टी के मनीष सिसोदिया भी इस सीट से ताल ठोंक रहे हैं। हालांकि दिल्ली की सियासत में मनीष सिसोदिया बड़ा नाम हैं, ऐसे में उनको इसका फायदा मिल सकता है। आप पार्टी इस सीट से जीत की हैट्रिक लगा चुकी है। इसलिए सिसोदिया यह उम्मीद कर रहे हैं कि चौथी बार भी यह सीट आप पार्टी के खाते में जाएगी।
पिछले चुनावों का हाल
बता दें कि पिछले 3 चुनावों से जंगपुरा की विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी का ही दबदबा है। साल 2020 में हुए विधानसभा चुनावों में आप प्रत्याशी प्रवीण कुमार ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी के इमप्रीत सिंह बख्शी को 16 हजार से अधिक वोटों से हराया था। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी तरविंदर सिंह मारवाह तीसरे नंबर पर थे। इसके अलावा साल 2015 के चुनाव में भी आप के प्रवीण कुमार ने भाजपा के मनिंदर सिंह धीर को 20 हजार वोटों से हराया था। इस चुनाव में भी कांग्रेस के मारवाह तीसरे स्थान पर रहे।

Bangladesh Women Football: मैदान में फुटबॉल खेलने उतरी लड़कियां, तभी कट्टरपंथियों ने…यूनुस ने बांग्लादेश को क्या बना डाला?

बांग्लादेश में यूनुस सरकार की तानाशाही इस वक्त जोरों पर है। बांग्लादेश में लड़कियों के फुटबॉल खेलने पर भी हंगामा हो गया। जॉयपुरहाट शहर में लड़कियों का फुटबॉल मैच था। मैच से पहले मदरसे के छात्रों ने आकर हंगामा कर दिया। इन छात्रों ने मैदान को ही तहस नहस कर दिया। बांग्लादेश में लड़कियों के फुटबॉल खेलने का विरोध हो रहा है। हालत ऐसी हो गई है कि बांग्लादेश में लड़कियां न तो खेल सकती हैं। न तो पढ़ सकती हैं। वो केवल घर की चार दीवारियों में कैद रहे यही ज्यादा बेहतर है। ये सब करने वाले मदरसे के पढ़े हुए छात्र थे। जिन्हें शायद यही सिखाया गया कि अगर लड़कियां कहीं खेल रही हैं या फिर लड़कियां घर से बाहर कदम रख दिया हो तो मैदान तहस नहस कर दो या उन्हें घर की चार दीवारियों में कैद कर दो। तथाकथित पीस नोबल प्राइज विनर मोहम्मद यूनुस की लीडरशिप में बांग्लादेश इस हद तक कट्टरपंथ के जाल में अब फंस चुका है कि ये धीरे धीरे पाकिस्तान से भी बुरा पड़ोसी बनने की तैयारी कर रहा है। 

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कट्टरपंथियों ने आरोप लगाया कि फुटबॉल खेलने वाली लड़कियां पर्दा नहीं करती हैं। इस्लामी भीड़ ने चेतावनी दी है कि आगे भी ऐसे आयोजन ना हों। एक कट्टरपंथी ने ऐलान किया कि मैं उन लोगों को चेतावनी देना चाहता हूँ जो हमारी महिलाओं को बेपर्दा करके पैसा कमाना चाहते हैं। सावधान रहें। महिलाओं के सभी खेल बंद कर दो। अगर तुम नहीं रुकते, तो हम अपनी ताकत दिखाएँगे। 

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एक स्थानीय धार्मिक स्कूल के प्रधानाध्यापक अबू बक्कर सिद्दीकी ने कहा कि वह अपने छात्रों और कई अन्य धार्मिक स्कूलों के शिक्षकों और विद्यार्थियों के साथ प्रदर्शन में शामिल हुए थे। उन्होंने कहा कि लड़कियों का फुटबॉल गैर-इस्लामिक है। यह हमारा धार्मिक कर्तव्य है कि जो कुछ भी हमारी मान्यताओं के विरुद्ध हो उसे रोकें। यह घटना तब हुई जब मंगलवार को पास के शहर दिनाजपुर में प्रदर्शनकारियों द्वारा लाठियां लेकर इसी तरह के प्रदर्शन के बाद एक और मैच स्थगित कर दिया गया। शिक्षक मोनिरुज्जमान जिया ने एएफपी को बताया कि मैच शुरू होने से आधे घंटे पहले ही स्थगित कर दिया गया। हमें लड़कियों को जल्दी से सुरक्षित स्थान पर ले जाना पड़ा। स्थानीय सरकारी अधिकारी अमित रॉय ने कहा कि जब प्रदर्शनकारियों और प्रति-प्रदर्शनकारियों ने एक-दूसरे पर ईंटें फेंकी तो चार लोग घायल हो गए, लेकिन सभी को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। घटना की बांग्लादेश फुटबॉल महासंघ (बीएफएफ) ने कड़ी निंदा की।

मुक्केबाज मनोज कुमार ने संन्यास लिया, अब कोचिंग देंगे

राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता मुक्केबाज मनोज कुमार ने गुरुवार को संन्यास लेने की घोषणा की और अब कोच के तौर पर नयी पारी की शुरूआत करेंगे।
लाइट वेल्टरवेट (64 किग्रा) में प्रतिस्पर्धा करने वाले 39 वर्षीय मुक्केबाज ने 2010 दिल्ली में अपना पहला और राष्ट्रमंडल खेलों का एकमात्र स्वर्ण पदक जीता था। वह एशियाई चैंपियनशिप में दो बार के कांस्य पदक विजेता भी हैं।

राष्ट्रमंडल खेलों में दूसरा और अंतिम कांस्य पदक उन्होंने 2018 गोल्ड कोस्ट खेलों में जीता था।
दो बार के ओलंपियन मनोज 2012 लंदन और 2016 रियो दि जिनेरियो दोनों में प्री क्वार्टरफाइनल तक पहुंचे थे।
हरियाणा के कैथल के इस मुक्केबाज ने कहा, ‘‘अब मैं 40 साल का हो गया हूं तो यह सोच समझकर लिया गया फैसला है क्योंकि अंतरराट्रीय नियमों के अनुसार एमेच्योर प्रतियोगिताओं में हिस्सा नहीं ले सकता। मैं संतुष्ट हूं क्योंकि देश का प्रतिनिधित्व करते हुए मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया। ’’

मनोज ने अपना मुक्केबाजी करियर 1997 में जूनियर स्तर पर शुरू किया था और 2021 में पटियाला में राष्ट्रीय खेल संस्थान से कोचिंग डिप्लोमा हासिल किया था। चोटों और चयन मुद्दे पर राष्ट्रीय महासंघ के साथ विवाद के कारण उनका करियर गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों के बाद थम गया और वह इसके बाद किसी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में नहीं खेले।
अब वह कुरूक्षेत्र में अपने बड़े भाई और कोच राजेश कुमार के साथ बनाई गई मुक्केबाजी अकादमी में कोचिंग देंगे।

वीडियो: गांधीजी को श्रद्धांजलि देने के बाद नीतीश कुमार ने मचाया भांगड़ा, बजाई तालियां

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CM नीतीश कुमार: बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने एक बार फिर बैंक तोड़ दिया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह महात्मा गांधी की पुण्य तिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में ताली बजा रहे हैं. घटना बिहार की राजधानी पटना के गांधी घाट की है, जहां मुख्यमंत्री समेत कई नेता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे.

महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के बाद नीतीश कुमार ताली बजाने लगे

कार्यक्रम के दौरान महात्मा गांधी को याद करने के लिए दो मिनट का मौन रखा गया। सन्नाटा खत्म होते ही सीएम नीतीश कुमार ताली बजाने लगे. बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने उन्हें तुरंत रोका. इस नजारे को वहां मौजूद लोगों ने अपने कैमरे में कैद कर लिया. इसके बाद यह वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है. अब ये पूरा मामला चर्चा का विषय बन गया है.

मुख्यमंत्री द्वारा श्रद्धांजलि सभा में ताली बजाने को लेकर लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रिया आ रही है. कुछ का मानना ​​है कि यह एक गलती थी. सोशल मीडिया पर लोग इस घटना पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं.

राजनीतिक गलियारों में हलचल

इस घटना के सामने आने के बाद राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है. इस वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. इसको लेकर बिहार के राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा शुरू हो गई है. हालांकि, अभी तक इस संबंध में सीएम नीतीश कुमार या जेडीयू की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. 

वीडियो वायरल होने के बाद राजद ने कटाक्ष किया है

इस वीडियो के वायरल होने के बाद राजद नेता और पूर्व एमएलसी सुनील सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि बिहार का अब भगवान ही मालिक है. अगर राज्य का मुखिया ऐसा कुछ करे तो इस पर क्या कहा जा सकता है? नीतीश कुमार मानसिक रूप से बीमार हो गये हैं. उन्हें व्यक्तिगत तौर पर अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.

‘राजनीति करनी है तो चुनाव लड़ो…’ केजरीवाल का चुनाव आयुक्त पर बड़ा हमला

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दिल्ली विधानसभा चुनाव: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार (30 जनवरी) को चुनाव आयोग और मुख्य चुनाव आयुक्त को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा, ‘चुनाव आयोग राजनीति कर रहा है. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार रिटायरमेंट के बाद नौकरी की तलाश में हैं, इसलिए राजनीति कर रहे हैं.’

केजरीवाल ने चुनाव आयुक्त पर निशाना साधा 

प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘अगर मुख्य चुनाव आयुक्त को राजनीति करनी है तो उन्हें दिल्ली की किसी भी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहिए. मुझे नहीं लगता कि चुनाव आयोग कभी इतना गड़बड़ हुआ होगा. मैं जानता हूं वह मुझे दो दिन में जेल में डाल देगा. मैं नहीं डरता। देश ने ऐसे चुनाव पहले कभी नहीं देखे.

 

 

इस मुद्दे पर चुनाव आयोग ने केजरीवाल से 5 सवाल पूछे

चुनाव से पहले यमुना में जहर घोलने वाले बयान को लेकर अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। चुनाव आयोग ने इस मुद्दे पर आप प्रमुख केजरीवाल से 5 सवाल पूछे हैं और कल सुबह 11 बजे तक जवाब देने को कहा है।

 

1. हरियाणा सरकार ने यमुना नदी में कौन सा जहर मिलाया था?

2. ज़हर की मात्रा, प्रकृति और खोज की विधि के बारे में साक्ष्य प्रदान करें ताकि यह स्थापित हो सके कि नरसंहार हो सकता था

3. जहर कहाँ पाया गया?

4. दिल्ली जल बोर्ड के इंजीनियरों ने यह खोज कहां और कैसे की?

5. दिल्ली में पानी को घुसने से रोकने के लिए इंजीनियरों ने क्या तरीका अपनाया?

यमुना को लेकर क्या है विवाद?

गौरतलब है कि 27 जनवरी को एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा द्वारा दिल्ली को आपूर्ति किए जाने वाले पानी की खराब गुणवत्ता का मुद्दा उठाया था। केजरीवाल ने कहा, ‘लोगों को पानी से वंचित करना इससे बड़ा कोई पाप नहीं है. भाजपा अपनी गंदी राजनीति से दिल्ली की जनता को प्यासा रखना चाहती है। वे हरियाणा से भेजे जा रहे पानी में जहर मिला रहे हैं.’

पहली बार भारत आएंगे रूस के एडवांस्ड फाइटर जेट, डील हुई तो बढ़ जाएगी चीन-पाकिस्तान की परेशानी

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एयरो इंडिया 2025: रूस का सबसे उन्नत पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट Su-57 एयरो इंडिया 2025 में शामिल हो सकता है। रूस लगातार Su-57 की ताकत दिखाने की कोशिश कर रहा है. वह इसके जरिए लगातार भारतीय सैन्य अधिकारियों और सरकार को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है।

चीन और पाकिस्तान की मुश्किलें बहुत बढ़ जाएंगी

क्या सिर्फ विमान ही खरीदे जायेंगे? या फिर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के तहत इसका निर्माण भारत में भी किया जाएगा. क्योंकि अगर उत्पादन होगा तो देश में मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट को गति मिलेगी. और रोजगार का अवसर भी. भारत में बने लड़ाकू विमानों की बिक्री से भी देश को फायदा होगा. अगर भारत रूस के साथ इस फाइटर जेट का सौदा करता है तो चीन और पाकिस्तान की मुश्किलें काफी बढ़ जाएंगी। तो आइए जानते हैं इस फाइटर जेट की खास खूबियों के बारे में…

खतरनाक गति और घातक हथियारों से लैस

स्टील्थ फाइटर जेट Su-57 की स्पीड 2600 किमी प्रति घंटा है. इसके अलावा, Su-57 में 12 हार्डपॉइंट हैं। यह विभिन्न प्रकार की छोटी, मध्यम और लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें और निर्देशित हवाई बम ले जा सकता है।

 

 

यूक्रेन पर हजारों बम और मिसाइलें गिराई गईं

Su-57 में लगी R-37M मिसाइल रूस का सबसे तकनीकी रूप से उन्नत हथियार है। रूस ने इस मिसाइल का इस्तेमाल यूक्रेन युद्ध में किया था. Su-57 की स्टील्थ प्रणाली गति और गतिशीलता से समझौता किए बिना काम करती है। 

 

सुपरसोनिक मल्टीरोल फाइटर

रूसी फाइटर जेट एक मल्टी-रोल फाइटर जेट है। यह कई तरह के ऑपरेशन कर सकता है. Su-57 की युद्धक क्षमता 1250 किलोमीटर है। यह अधिकतम 66 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकता है। स्टील्थ फाइटर जेट Su-57 सुपरसोनिक है। इस फाइटर जेट की लंबाई 65.11 फीट, पंखों का फैलाव 46.3 फीट और ऊंचाई 15.1 फीट है। सुपरसोनिक रेंज 1500 किमी है।

रूस-भारत के रिश्ते होंगे मजबूत

रूस के साथ भारत के कूटनीतिक और रणनीतिक संबंधों की ताकत दिखाएंगे. इससे भारत के भविष्य के लड़ाकू विमानों के लिए नए विचार सामने आएंगे। अगर इस फाइटर जेट का लाइव डेमो भारत में होगा तो भारतीय रक्षा विशेषज्ञ, रक्षा अधिकारी और इंजीनियर इससे सीख लेंगे. इससे भारत के फाइटर जेट उद्योग को बढ़ावा मिल सकता है।

महाकुंभ में भगदड़ के बाद वर्तमान सरकार को इस्तीफा देना चाहिए: भड़क्य शंकराचार्य

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महाकुंभ भगदड़: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ के बाद राज्य की भारतीय जनता पार्टी सरकार को हर तरफ से आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। राजनीतिक पार्टियों के बाद अब संतों-महंतों की ओर से भी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. ऐसे में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का बयान भी सामने आया है. उन्होंने कहा, ‘मौजूदा सरकार को अब सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है.’

सरकार को व्यापक तैयारी करनी चाहिए थी

शंकराचार्य ने प्रयागराज महाकुंभ में हुई भगदड़ पर बड़ा बयान देते हुए कहा, ‘भगदड़ की घटना ने सरकार की व्यवस्था की पोल खोल दी है. अधिकारी पहले से ही महाकुंभ में 40 करोड़ और मौनी अमावस्या पर 10 करोड़ श्रद्धालु आने का दावा कर रहे थे। इस हिसाब से उन्हें व्यापक तैयारी करनी चाहिए थी.’

शंकराचार्य ने इस घटना के बारे में आगे कहा, ‘यह घटना बताती है कि तैयारी पूरी नहीं थी और लोगों की जान से खिलवाड़ किया गया. अगर हमारे घर में किसी समारोह में 1000 लोगों के बैठने की व्यवस्था है तो हमें वहां 5000 लोगों को नहीं बुलाना चाहिए। महाकुंभ में यही हुआ.’

ग्राउंड जीरो पर कोई ठोस व्यवस्था नहीं- शंकराचार्य

शंकराचार्य ने महाकुंभ की व्यवस्थाओं के बारे में कहा, ‘अच्छी व्यवस्था की जानकारी मिलने के बाद श्रद्धालु यहां आए लेकिन ग्राउंड जीरो पर उनके लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं थी.

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कहना है कि, ”सीएम योगी समेत तमाम सरकारी सोशल मीडिया अकाउंट पर लोगों को घटना की सच्ची जानकारी देने के बजाय अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की जा रही है.” ऐसे में उनके जैसे पुजारी को भी इस घटना की जानकारी नहीं थी. अगर घटना की जानकारी सही समय पर मिल जाती तो लोग परंपराओं का पालन करते।’

 

बहुत सख्त कार्रवाई की जरूरत है.’ 

मौजूदा सरकार की व्यवस्था की आलोचना करते हुए शंकराचार्य ने कहा, ‘यह मौजूदा सरकार की बड़ी विफलता है. ऐसी सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है, सरकार को स्वयं हट जाना चाहिए या जिम्मेदार लोगों को मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। यह ऐसी दुखद घटना है जिसने सनातनियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।’

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कहना है, ‘अगर इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो आने वाले दिनों में बड़ी घटना की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. ऐसे मामले में बहुत सख्त कार्रवाई की जरूरत है.’

PMLA के तहत 19 साल में भ्रष्टाचारियों की कितनी नकदी-संपत्ति जब्त की गई? ईडी ने दिया हिसाब

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ईडी ने पीएमएलए के तहत जब्त की संपत्ति: देश में मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत ईडी ने रुपये जब्त किए हैं। 1.45 लाख करोड़ की संपत्ति जब्त की गई है. जिसमें चालू वित्तीय वर्ष के पहले नौ महीनों में रु. 21370 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई. PMLA को 1 जुलाई 2005 से लागू किया गया था।

मनी लॉन्ड्रिंग और इससे जुड़े मामलों पर नजर रखने वाली एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाल ही में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) से जुड़े कुछ आंकड़े जारी किए हैं। जिसके मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 के पहले नौ महीनों में 21,370 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है. इस अधिनियम का उद्देश्य कर चोरी, काले धन की जमाखोरी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर अपराधों पर अंकुश लगाना है।

911 लोगों को गिरफ्तार किया गया

इस कानून के लागू होने के बाद से एजेंसी अब तक 911 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. पीएमएलए के तहत दर्ज 44 मामलों में अब तक 100 लोगों को दोषी ठहराया गया है, जिनमें से 36 को चालू वित्तीय वर्ष के पहले नौ महीनों में दोषी ठहराया गया था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “पिछले पांच-छह वर्षों में, ईडी मनी लॉन्ड्रिंग पर आक्रामक रूप से कार्रवाई कर रही है। इसने कई शीर्ष राजनेताओं, व्यापारियों, हवाला व्यापारियों, साइबर अपराधियों और तस्करों को गिरफ्तार किया है।”

 

मोदी सरकार आने के बाद जब्ती बढ़ी

ईडी के आंकड़ों के मुताबिक, 2024 से पहले कुल 1.24 लाख करोड़ रुपये ईडी ने जब्त किए थे. इनमें से अधिकांश संपत्ति यानी लगभग रु. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से 1.19 लाख करोड़ रुपये जब्त किये गये हैं. हालांकि, कांग्रेस समेत विपक्ष ने आरोप लगाया कि ‘पिछले कुछ सालों में ईडी ने इस कानून का दुरुपयोग किया है और विपक्षी दलों को निशाना बनाया है.’ केंद्र सरकार ने आरोप पर एजेंसी की कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा, ‘यह एक स्वतंत्र एजेंसी है और इसकी जांच पूरी तरह से निष्पक्ष है।’

22000 करोड़ की संपत्ति दावेदारों को सौंपी गई

ईडी ने 2024 में जब्त संपत्तियों को बैंकों और भ्रष्टाचार पीड़ितों जैसे वैध दावेदारों को सौंपने में सफलता हासिल की है। विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, रोज वैली चिटफंड घोटाला, नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) जैसे घोटालेबाजों से जब्त की गई संपत्तियों में से वह मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में आरोपी हैं। पीड़ितों और पीड़ित बैंकों को 22737 करोड़ रुपये पहुंचाए गए हैं। जिसमें चालू वित्तीय वर्ष में अप्रैल से अब तक कुल रु. दावेदारों को 7404 करोड़ रुपये सौंपे जा चुके हैं.

वीडियो: छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में 29 नक्सलियों ने किया सरेंडर, 7 महिलाएं भी शामिल

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छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण: छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में कुतुल एरिया कमेटी के 29 नक्सलियों ने नारायणपुर एसपी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में 22 पुरुष और 7 महिलाएं शामिल हैं.

नारायणपुर जिले के पुलिस अधीक्षक ने बताया कि नक्सलियों के आत्मसमर्पण का सबसे बड़ा कारण जिले में चल रहे विकास कार्य हैं. इस क्षेत्र के नक्सली इलाके में तेजी से विकसित हो रही सड़कों और गांव तक पहुंचने वाली विभिन्न सुविधाओं से प्रभावित हैं। जिसके कारण उनका नक्सली संगठन के विचारों से मोहभंग हो रहा है.

25,000 रुपये का पुरस्कार चेक

आत्मसमर्पण करने वाले सभी माओवादियों को 25,000 रुपये का इनाम चेक दिया गया और आत्मसमर्पण करने वालों को नक्सली पुनर्वास नीति के तहत मिलने वाले सभी लाभ दिए जाएंगे। 2024 के बाद से, नारायणपुर में विभिन्न रैंकों के 71 से अधिक माओवादी कैडरों ने आत्मसमर्पण किया है, 60 से अधिक माओवादी मारे गए हैं और 50 माओवादी गिरफ्तार किए गए हैं, जिससे माओवादी संगठन कमजोर हो गया है। अबुजमाड़ क्षेत्र में विकास, सुरक्षा और शांति का सपना शीघ्र साकार होगा।

 

एसपी ने नक्सलियों के लिए क्या कहा?

एसपी ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार की पुनर्वास नीति, जिसने आवास, रोजगार और सुरक्षा प्रदान की, ने इन व्यक्तियों को आत्मसमर्पण करने के लिए आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह अन्य माओवादियों में से हैं, जो अभी भी आंदोलन का हिस्सा हैं. उनसे अपने रवैये पर पुनर्विचार करने और मध में अपनी जड़ों की ओर लौटने की अपील की, जहां वह शांति से रह सकें और अपने समुदाय के कल्याण में योगदान दे सकें।