प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि रूस-यू्क्रेन युद्ध में ताजा अपडेट क्या है? क्या मोदी-ट्रंप मिलकर इस युद्ध का समाधान निकाल पाएंगे? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि मोदी-ट्रंप मुलाकात में इस मामले पर चर्चा हुई और उम्मीद है कि अब जल्द ही यूएई में होने वाली वार्ता के दौरान जब ट्रंप और व्लादीमिर पुतिन आमने सामने बैठेंगे तो इस युद्ध का समापन हो जायेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत के दरवाजे खोल दिए हैं, जिससे शांति की उम्मीदें बढ़ गई हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि देखना होगा कि अपनी शर्तों पर युद्ध का समापन चाह रहे रूस की हर बात क्या यूक्रेन मान लेगा। उन्होंने कहा कि वैसे एक बात तो दिख रही है कि पुतिन ने ट्रंप का न्यौता स्वीकार कर संकेत दिया है कि वह भी अब युद्ध के समापन के इच्छुक हैं। उन्होंने कहा कि अपने तीन साल पूरे करने जा रहा यह युद्ध अब शीघ्र ही समाप्त हो सकता है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि ट्रंप प्रशासन स्पष्ट कर चुका है कि यूक्रेन को नाटो की सदस्यता नहीं दी जायेगी। यही नहीं ट्रंप तो रूस को वापस जी-7 में लाना चाहते हैं। उन्होंने कहा है कि बराक ओबामा ने रूस को जी-7 से बाहर कर गलती की थी। उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन ने रूसी राष्ट्रपति को “हत्यारा तानाशाह” और “ठग” बताया था, लेकिन ट्रंप ऐसी सोच नहीं रखते। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने तो 2024 के राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान भी वादा किया था कि वह पद की शपथ लेने के बाद “24 घंटों” के भीतर युद्ध समाप्त कर देंगे। उन्होंने कहा कि यदि ट्रंप के प्रयास सफल होते हैं, तो यह उनकी बड़ी सफलता और दुनिया के लिए बड़ी राहत की बात होगी। उन्होंने कहा कि इस बात के साफ संकेत मिल रहे हैं कि यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को बेमन से रूस की शर्तों को स्वीकार कर युद्ध मैदान से बाहर होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अमेरिकी प्रशासन यह भी कह चुका है कि भविष्य में कोई भी अमेरिकी सैनिक यूक्रेन के लिए प्रतिबद्ध नहीं होगा, यूक्रेन को नाटो में शामिल होने के लिए आमंत्रित नहीं किया जाएगा और रूस द्वारा क्रीमिया पर कब्जा करने से पहले यूक्रेन के 2014 से पहले की सीमाओं पर लौटने के विकल्प को वस्तुतः खारिज कर दिया जाएगा।
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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इस मुद्दे पर मोदी-ट्रंप ने जो वार्ता की उस दौरान भारतीय प्रधानमंत्री ने यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध समाप्त कराने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रयासों का स्वागत किया तथा इस बात पर जोर दिया कि संघर्ष का समाधान युद्ध के मैदान में नहीं खोजा जा सकता तथा शांति के लिए वार्ता और कूटनीति ही एकमात्र रास्ता है। उन्होंने कहा कि मोदी ने कहा कि भारत युद्ध के मामले में तटस्थ नहीं रहा है और वह शांति का पक्षधर है। उन्होंने कहा कि मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को दिए अपने संदेश का जिक्र किया जिसमें उन्होंने पुतिन से कहा था कि ‘यह युद्ध का युग’ नहीं है। उन्होंने कहा कि वहीं ट्रंप ने कहा कि उन्होंने पुतिन के साथ लंबी और सार्थक बातचीत की और वह युद्ध को समाप्त करने के लिए बातचीत की दिशा में आगे बढ़ने पर सहमत हुए। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने यहां तक कहा कि वह और पुतिन अपनी-अपनी टीम द्वारा तुरंत बातचीत शुरू किए जाने पर सहमत हुए।