संयुक्त अरब अमीरात में केरल से गए दो युवकों को हत्या का दोषी ठहराया गया है। बीते महीने यूएई में दोनों को फांसी दी जा चुकी है। दोनों युवकों के परिवार का कहना है कि मौत की सजा पाने से एक दिन पहले भी दोनों युवकों ने अपने परिवार से बात की थी और बताया था कि मदद के लिए अंतिम याचिका दी गई है।
जानकारी के मुताबिक हत्या का दोषी 43 वर्षीय पीवी मुरलीधरन कासरगोड को ठहराया गया था जो चीमानी के रहने वाले थे। वहीं अन्य शख्स 24 वर्षीय अरंगिलोट्टू मुहम्मद रिनाश कन्नूर था जिसका परिवार थालास्सेरी में रहता है। दोनों युवकों को 15 फरवरी 2025 को फांसी दी गई है। दोनों युवकों को फांसी दिए जाने के बाद भारतीय दूतावास को भी जानकारी दी गई थी। भारतीय दूतावास ने भी उनके परिवार को इसकी जानकारी दी थी। वहीं शुक्रवार सात मार्च को विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों युवकों के अवशेषों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है।
अंतिम पल तक थी आस
मारे गए युवक मुरलीधरन के पिता केशवन अपने बेटे से हुई अंतिम बार बात को याद कर रो देते है। उन्होंने कहा कि उनके बेटे ने परिवार को बताया था कि अगले ही दिन उसे फांसी हो जाएगी। केशवन का कहना है कि भारत और यूएई के दरवाजों दर कई बार गुहार लगाने के बाद हम असहाय हो गए थे। फांसी से पहले भी हमने कोशिश की कि उन्हें मौत से बचाया जा सके। उनके अंतिम संस्कार के लिए हम यूएई नहीं जा रहे। उनके पार्थिव शरीर देश आने चाहिए जहां घर पर उनका अंतिम संस्कार हो।
जानकारी के लिए बता दें कि मुरलीधरन एक युवा फुटबॉल खिलाड़ी थे जो अल एन में थे। वो एक अरब नागरिक के घर पर सुरक्षा गार्ड का काम करते थे। वो अल एन में भी एक स्थानीय फुटबॉल क्लब का हिस्सा थे। जानकारी के मुताबिक मुरलीधरन पर आरोप था कि वो केरल के मूल निवासी की हत्या के आरोपी थे। वर्ष 2009 में उन्होंने हत्या कर शव को रेगिस्तान में छिपाया था। इस घटना के बाद से ही उसे जेल में रखा गया था। केशवन का कहना है कि इस अपराध को सिर्फ उनके बेटे ने ही नहीं बल्कि अन्य लोगों ने मिलकर किया था। उनके बेटे ने आरोप स्वीकार कर लिया था।
नहीं मिली कोई मदद
उन्होंने राज्य सरकार और केंद्र से याचिका दायर की थी और अपने बेटे को बचाने के लिए धार्मिक नेताओं (मौलानाओं) के हस्तक्षेप की मांग की थी। हालांकि ऐसा कुछ भी नहीं हो सका जिसके लिए आर्थिक रुकावट भी बड़ी परेशानी बनी।