राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद मनोज झा और पार्टी नेता फैयाज अहमद ने वक्फ संशोधन विधेयक को चुनौती देने के लिए पार्टी की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करने का फैसला किया है, जिसे कानून बनने के लिए शनिवार को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई। आरजेडी नेताओं ने तर्क दिया कि इस अधिनियम से वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों नेता कल सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। विपक्षी दलों, कांग्रेस, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) और आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक अमानतुल्ला खान ने भी इस अधिनियम को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है।
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वक्फ अधिनियम पर तेजस्वी यादव
राजद नेता तेजस्वी यादव ने शनिवार को कहा कि अगर आगामी चुनाव के बाद उनकी पार्टी बिहार में सरकार बनाती है तो वक्फ अधिनियम को कूड़ेदान में फेंक दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि आज मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है और कल सिखों और ईसाइयों की बारी आ सकती है। यादव ने दावा किया कि यह विधेयक बेरोजगारी जैसी समस्याओं से लोगों का ध्यान हटाने के लिए लाया गया है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी भाजपा को बिहार में इस विधेयक को लागू नहीं करने देगी। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भी आलोचना की, जो वक्फ अधिनियम को लेकर पार्टी के भीतर आंतरिक कलह से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जेडी(यू) इस कानून को बेचने की कोशिश कर रहा है। वे यह साबित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं कि यह विधेयक मुसलमानों को लाभ पहुँचाएगा, लेकिन इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली है। बस देखिए कि जेडी(यू) ने अपने मुस्लिम नेताओं को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करने के लिए कैसे मजबूर किया, जो कि काफी असफल रहा।
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इससे पहले मार्च में बिहार विधानसभा में विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसमें विपक्षी सदस्यों ने इसे वापस लेने और मुसलमानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए सच्चर समिति की सिफारिशों को पूरी तरह लागू करने की मांग की थी। राजद प्रमुख लालू प्रसाद और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव सहित विपक्षी नेताओं ने विधेयक को रद्द करने की मांग को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया।