Monday, March 17, 2025
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छात्र आंदोलन भड़काने के आरोप में चार टेलीग्राम चैनल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के बाहर 11 नवंबर से पांच दिन तक हुए छात्र आंदोलन के दौरान छात्रों को भड़काने के उद्देश्य से भ्रामक सूचनाएं फैलाने के आरोप में चार टेलीग्राम चैनल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।

लोक सेवा आयोग पुलिस चौकी के प्रभारी कृष्ण मुरारी चौरसिया की तहरीर पर सोशल मीडिया मंच टेलीग्राम के चैनलों- पीसीएम अभ्यास, सामान्य अध्ययन एडुशाला, मेक आईएएस और पीसीएस मंथन के अज्ञात संचालकों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4) और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कानून की धारा 66 के तहत बृहस्पतिवार को सिविल लाइंस थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई।

तहरीर में आरोप लगाया गया है कि 11 नवंबर से लोक सेवा आयोग के सामने छात्र आरओ-एआरओ और पीसीएस (प्रारंभिक) की परीक्षा एक दिन कराने की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन कर रहे थे।

छात्रों को भड़काने के लिए सोशल मीडिया मंच टेलीग्राम के विभिन्न चैनलों से भ्रामक सूचनाएं प्रसारित की जा रही थीं ताकि कानून-व्यवस्था की स्थिति में बाधा डाली जा सके। प्राथमिकी में उक्त चैनल के स्क्रीनशॉट साक्ष्य के तौर पर संलग्न किए गए हैं।

ल्लेखनीय है कि 11 नवंबर को शुरू हुआ छात्र आंदोलन, आयोग द्वारा पीसीएस-प्री की परीक्षा एक ही दिन में कराने और आरओ-एआरओ की परीक्षा स्थगित करने की घोषणा के साथ शुक्रवार को समाप्त हो गया।

बालासाहेब का शिवसैनिक कभी किसी की पीठ में छुरा नहीं घोंपता: उद्धव

शिवसेना (उबाठा) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने शनिवार को कहा कि बालासाहेब ठाकरे का सच्चा शिवसैनिक कभी किसी की पीठ में छुरा नहीं घोंपता।
उन्होंने लोगों से “गद्दारों” को वोट न देने का आग्रह किया।
वह 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मध्य मुंबई के चांदिवली निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार मोहम्मद आरिफ नसीम खान के लिए प्रचार कर रहे थे, जहां महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने दिलीप लांडे को उम्मीदवार बनाया है।

बाल ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना में 2022 में विभाजन के बाद उद्धव और उनकी पार्टी के नेताओं ने कई बार शिंदे और उनके करीबियों पर निशाना साधते हुए उन्हें ‘गद्दार’ कहा है।
ठाकरे ने कहा, महाराष्ट्र की जनता ने मन बना लिया है। वह गद्दारों को सबक सिखाएगी। एक सच्चा शिवसैनिक कभी किसी की पीठ में छुरा नहीं घोंपता।

दिल्ली में अब तक का सबसे कम तापमान दर्ज किया गया

राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार को न्यूनतम तापमान 15.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो इस मौसम का अब तक का सबसे कम तापमान है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने यह जानकारी दी।

रात के तापमान में गिरावट के साथ ही राष्ट्रीय राजधानी में कोहरा छाया रहा तथा सुबह और शाम को ठंडी हवाएं चलीं।
मौसम विभाग के अनुसार अधिकतम तापमान 29.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 1.1 डिग्री अधिक था।

शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में न्यूनतम तापमान 15.6 डिग्री सेल्सियस रहा, जो इस मौसम का दूसरा सबसे कम तापमान था।
इस बीच सफदरजंग में सुबह साढ़े आठ बजे दृश्यता घटकर 300 मीटर रह गई तथा पूरे दिन आर्द्रता का स्तर 94 प्रतिशत से 79 प्रतिशत के बीच रहा।

मौसम विभाग ने रविवार सुबह और शाम को धुंध एवं घना कोहरा रहने तथा
अधिकतम और न्यूनतम तापमान क्रमश: 29 डिग्री सेल्सियस और 15 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने अनुमान जताया है।

प्रधान न्यायाधीश ने कानूनी पेशे से ‘युवा प्रतिभाओं के पलायन’ पर चिंता व्यक्त की

प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कानूनी पेशे से युवा प्रतिभाओं के पलायन पर चिंता व्यक्त की है और कहा है कि उनकी वित्तीय एवं सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।

भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) द्वारा आयोजित अभिनंदन समारोह में न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि युवा वकीलों के लिए उनके करियर के शुरुआती कुछ वर्षों में न्यूनतम पारिश्रमिक मानक बनाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘युवा प्रतिभाओं का कानूनी पेशे से पलायन केवल व्यक्तिगत पसंद का मामला नहीं है, बल्कि यह संरचनात्मक मुद्दों का लक्षण है, जैसे कि इस पेशे में, विशेष रूप से पहली पीढ़ी के वकीलों के लिए, वित्तीय और सामाजिक सुरक्षा का अभाव है।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘जनता की सेवा के लिए समर्पित युवा वकीलों के समुदाय को आकर्षित करने के वास्ते हमें इस पेशे को अधिक अनुकूल स्थान बनाने, प्रवेश स्तर की बाधाओं को दूर करने और समर्थन को बढ़ावा देने की दिशा में काम करना चाहिए।’’
न्यायमूर्ति खन्ना ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में युवा वकीलों को मानदेय देने की भारतीय विधिज्ञ परिषद की हाल की सिफारिश की सराहना की।

ठंडा पानी: मौसम बदल गया है, अब फ्रिज का ठंडा पानी न पिएं

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उत्तर भारत में बदलते मौसम का असर साफ देखा जा सकता है, ठंड ने दस्तक दे दी है, ऐसे में हमें अपनी रोजमर्रा की आदतों में भी बदलाव करना होगा, नहीं तो शरीर और सेहत को नुकसान उठाना पड़ सकता है। कुछ लोग अभी भी फ्रिज का ठंडा पानी, कोल्ड ड्रिंक या आइस फ्रूट जूस पीकर बेवजह परेशानियों को दावत दे रहे हैं। आइए डॉ. उदय प्रताप सिंह से जानते हैं कि अगर आप सर्दियों की शुरुआत में फ्रिज का ठंडा पानी पीते हैं तो इसका सेहत पर क्या असर होगा।

ठंडा पानी पीने के प्रभाव

1. जोखिम

इस मौसम में ठंडा पानी पीने से आप अपने शारीरिक स्वास्थ्य को खतरे में डाल सकते हैं। इससे आपको भूख और कमजोरी की समस्या हो सकती है। ये लक्षण आपकी चिंता का बड़ा कारण बन सकते हैं, अगर आपको भूख लगेगी तो आप ज्यादा खाने से वजन बढ़ाएंगे।

पीने

ठंडा पानी आपके शरीर को तरल बनाए रखेगा, लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि आप अपने प्रोटीन, विटामिन और खनिजों की कमी को पूरा करने के लिए सभी स्वस्थ पेय पिएं। हालाँकि, आवश्यक पोषक तत्व खाद्य पदार्थों के माध्यम से भी प्राप्त किए जा सकते हैं।

पीने

बहुत ज़्यादा ठंडा पानी हमारी आंतों की सेहत पर बहुत बुरा असर डालता है। इससे पाचन क्रिया पर बुरा असर पड़ सकता है। ऐसे में आपको कब्ज, गैस, अपच या पेट फूलने जैसी शिकायतें हो सकती हैं। इसलिए बेहतर है कि आप सामान्य या मटके का पानी पिएं, ताकि सेहत को कोई नुकसान न उठाना पड़े।

 

4. सर्दी खांसी

अगर आप इस मौसम में फ्रिज का ठंडा पानी पीते हैं तो सर्दी, खांसी और जुकाम का खतरा बढ़ जाता है और फिर बीमारी ठीक होने में काफी समय लग सकता है। इसलिए बेहतर है कि आप सामान्य पानी ही पिएं।

लंबे समय तक कुर्सी पर बैठने की आदत बन जाएगी जानलेवा!

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लंबे समय तक बैठे रहने या लेटने की आदत आपके दिल की सेहत पर गंभीर असर डाल सकती है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि दिन में 10.6 घंटे या उससे ज़्यादा समय तक बैठे रहने से दिल की बीमारियों से मौत का ख़तरा बढ़ सकता है, भले ही आप रोज़ाना सुझाए गए व्यायाम ही क्यों न कर रहे हों।

मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने करीब 90,000 ब्रिटिश लोगों के फिटनेस ट्रैकर्स से डेटा का विश्लेषण किया। इन उपकरणों ने सात दिनों तक उनकी गतिविधियों को रिकॉर्ड किया। अध्ययन में पाया गया कि औसतन लोग दिन में करीब 9.4 घंटे बैठते हैं।

लगभग आठ वर्षों में, यह पाया गया कि 10.6 घंटे से अधिक निष्क्रिय समय हृदय गति रुकने, दिल के दौरे और स्ट्रोक से मृत्यु के जोखिम में वृद्धि से जुड़ा था। यहाँ तक कि जो लोग सप्ताह में 150 मिनट मध्यम से तीव्र व्यायाम करते थे, उनमें भी यह जोखिम मौजूद था।

विशेषज्ञ की राय क्या है?

अध्ययन के सह-लेखक शान खुर्शीद ने कहा, “हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि निष्क्रिय समय को कम करना हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।” उन्होंने सुझाव दिया कि 10.6 घंटे का निष्क्रिय समय एक महत्वपूर्ण सीमा हो सकती है जिसके बाद हृदय रोगों का जोखिम बढ़ जाता है।

अध्ययन में ब्राउन यूनिवर्सिटी के डॉ. चार्ल्स ईटन ने कहा कि लोग आमतौर पर अपने व्यायाम के समय को बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं और बैठने के समय को कम आंकते हैं। उन्होंने सलाह दी कि 30 मिनट की हल्की गतिविधि (जैसे चलना) भी हृदय रोगों के जोखिम को कम कर सकती है।

यह अध्ययन “जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी” में प्रकाशित हुआ और अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के वैज्ञानिक सत्र 2024 में प्रस्तुत किया गया। हृदय स्वास्थ्य के लिए यह स्पष्ट संदेश है: सक्रिय रहें और निष्क्रिय समय को कम करें।

किस विटामिन की कमी के कारण बढ़ती उम्र के साथ जोड़ों में दर्द होता है? शरीर में दिखते हैं ये लक्षण

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किन विटामिन की कमी से होता है जोड़ों में दर्द: अगर आप समय रहते जरूरी विटामिन की कमी को दूर नहीं कर पाते हैं तो इससे आपकी सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। अगर समय रहते जोड़ों के दर्द के लक्षणों की जांच नहीं की गई तो इससे शरीर में विटामिन डी की कमी हो सकती है।

यहां बता दें कि विटामिन डी की कमी का एक मुख्य लक्षण जोड़ों में दर्द महसूस होना है। हालाँकि, विटामिन डी की कमी के कारण आपके शरीर में इससे संबंधित कई लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

कमजोर हड्डियां और मांसपेशियां
अगर आपके शरीर में विटामिन डी की कमी है तो आपकी हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं। जिसके कारण लगातार जोड़ों में दर्द बना रहता है। इस विटामिन की कमी के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द से छुटकारा पाने के लिए आहार योजना में ऐसे खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए जो विटामिन डी से भरपूर हों।

थकान
लगातार थकान रहना भी इस विटामिन की कमी का संकेत देता है। यदि आप पूरे दिन ऊर्जा की कमी का अनुभव करते हैं तो आपको सावधान हो जाना चाहिए। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मूड का बदलना भी विटामिन डी की कमी का संकेत हो सकता है। अगर आपको एक साथ ऐसे लक्षण महसूस हो रहे हैं तो बिना देर किए किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह लें।

आहार में क्या शामिल करें
दूध और दही जैसे डेयरी उत्पाद इस विटामिन की कमी को दूर करने में प्रभावी हो सकते हैं। मशरूम में विटामिन डी भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है.

करेला खाते समय इन लोगों को बरतनी चाहिए सावधानी, वरना मिलेगा मुसीबतों को बेवजह न्योता

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इन लोगों को नहीं खाना चाहिए करेला: करेले का नाम सुनते ही कई लोग नाक-भौं सिकोड़ने लगते हैं क्योंकि इसका स्वाद बहुत कड़वा होता है जिस वजह से हर कोई इसे नहीं खा सकता। अगर स्वाद को नज़रअंदाज़ कर दें तो इसे बहुत ही पौष्टिक सब्जी माना जाता है जो अपने औषधीय गुणों के लिए मशहूर है। करेला खाने से कई स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान या रोकथाम हो सकती है। हालांकि, भारत के मशहूर न्यूट्रिशन एक्सपर्ट निखिल वत्स के अनुसार, अगर आप इसे अधिक मात्रा में खाते हैं तो इसका उल्टा असर भी हो सकता है। आइए जानते हैं कि अधिक मात्रा में करेले का सेवन करने से क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं।

करेला कब नहीं खाना चाहिए?

1. टाइप-1 डायबिटीज रोगी:

जो लोग टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित हैं उनके लिए करेले की सब्जी या करेले के जूस का सेवन करना अच्छा नहीं है, क्योंकि इससे ब्लड शुगर लेवल अचानक कम हो सकता है, जिससे कमजोरी और चक्कर आने की समस्या हो सकती है।

2. गर्भवती महिलाएं

इसके अलावा, महिलाओं को करेले का सेवन भी नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे गर्भाशय पर असर पड़ सकता है और गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ सकता है। 

3. गुर्दे की पथरी के रोगी:

करेले में ऑक्सलेट की मात्रा बहुत ज़्यादा होती है, इसलिए इसका सेवन करने वाले लोगों को किडनी स्टोन की समस्या हो सकती है। साथ ही, करेला किडनी में विषाक्तता भी बढ़ाता है।

करेले की कड़वाहट कैसे कम करें?

अगर आप चाहते हैं कि करेले में मौजूद कड़वाहट कम हो जाए और ज्यादा नुकसान भी न हो तो आपको इसे सही तरीके से पकाना होगा। सबसे पहले करेले को अच्छे से धोकर उसके बीज निकाल दें, क्योंकि बीज बहुत कड़वे होते हैं। आप चाहें तो करेले की सब्जी बनाने में प्याज का ज्यादा इस्तेमाल कर सकते हैं।

चिकन और मटन से भी ज्यादा ताकतवर, शाकाहारी प्रोटीन के लिए जरूर खाएं ये चीज

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शरीर को स्वस्थ और सक्रिय रखने के लिए अन्य पोषक तत्वों के साथ प्रोटीन की भी आवश्यकता होती है। इसकी कमी से लगातार थकान, कमजोरी, बाल झड़ना, कमजोर प्रतिरक्षा, अत्यधिक भूख लगना, शुष्क त्वचा आदि जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। 

शाकाहारी लोगों में प्रोटीन की कमी होने की संभावना अधिक होती है क्योंकि नॉनवेज को प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है। ऐसे में शाकाहारियों को अपने आहार में पनीर और टोफू को शामिल करने की सलाह दी जाती है।

टोफू क्या है

टोफू सोया दूध से बनता है। यह अपने कई स्वास्थ्य लाभों के कारण पूरी दुनिया में लोकप्रिय है। हरदोई के शतायु आयुर्वेद एवं पंचकर्म केंद्र के डॉ. अमित कुमार ने भी टोफू के रोजाना सेवन के फायदों के बारे में आईएनएस से जानकारी साझा की।

टोफू में पोषक तत्व

डॉ. अमित कुमार कहते हैं कि 100 ग्राम टोफू में करीब आठ ग्राम प्रोटीन होता है। इसके अलावा 100 ग्राम टोफू में सिर्फ 65 कैलोरी होती है। टोफू में मौजूद माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की बात करें तो 100 ग्राम टोफू में करीब 7 मिलीग्राम सोडियम, 121 मिलीग्राम पोटैशियम और 0.3 ग्राम फाइबर पाया जाता है। इसके साथ ही इसमें करीब 35 प्रतिशत कैल्शियम, 30 प्रतिशत आयरन और 7 प्रतिशत मैग्नीशियम भी मौजूद होता है।

टोफू खाने के फायदे- 

– डॉ. कुमार ने बताया कि टोफू का नियमित सेवन दिल के लिए फायदेमंद है। यह धमनियों को स्वस्थ रखने और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।

– टोफू को कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से बचाव में भी फायदेमंद माना जाता है। इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर में कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में मदद कर सकते हैं।

 

– टोफू का सेवन वजन प्रबंधन में भी सहायक है। इसकी कम कैलोरी और उच्च प्रोटीन सामग्री इसे वजन घटाने के लिए एक आदर्श विकल्प बनाती है।

 

– टोफू हड्डियों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं का खतरा कम हो सकता है।

– टोफू के अन्य लाभों में पाचन तंत्र को बेहतर बनाना और मस्तिष्क स्वास्थ्य को बेहतर बनाना शामिल है। इसमें मौजूद फाइबर पाचन प्रक्रिया को सुचारू बनाता है, जबकि इसके पोषक तत्व मस्तिष्क के कार्य को उत्तेजित करने में मदद करते हैं।

वर्कआउट में ये 5 गलतियां बन सकती हैं एंग्जायटी का कारण, जानें इनसे कैसे बचें!

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व्यायाम शरीर और दिमाग को स्वस्थ रखने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन कुछ सामान्य गलतियाँ विपरीत प्रभाव डाल सकती हैं। अगर व्यायाम सही तरीके से नहीं किया जाता है, तो यह मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है और चिंता को बढ़ा सकता है। नीचे 5 सामान्य व्यायाम गलतियाँ बताई गई हैं जो आपकी चिंता को बढ़ा सकती हैं।

 

1. अत्यधिक व्यायाम:  अत्यधिक व्यायाम से शरीर में तनाव हार्मोन कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ सकता है। जब हम बहुत अधिक मेहनत करते हैं, तो हमारा शरीर इसे तनाव के रूप में लेता है, जिससे चिंता की समस्या बढ़ सकती है। बेहतर है कि व्यायाम का संतुलन बनाए रखें और अपने शरीर को आराम देने के लिए समय निकालें।

 

2. सोने से पहले व्यायाम करें:  रात में व्यायाम करने से शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ जाता है, जिससे नींद आने में परेशानी हो सकती है। नींद की कमी से मन बेचैन रहता है, जिससे चिंता की समस्या और बढ़ सकती है। कोशिश करें कि सोने से कम से कम तीन घंटे पहले अपना व्यायाम पूरा कर लें, ताकि आपके शरीर और दिमाग को शांति मिल सके।

3. बहुत ज़्यादा कार्डियो करना:  कार्डियो एक्सरसाइज़ शरीर के लिए अच्छी होती हैं, लेकिन इनका ज़्यादा अभ्यास चिंता का कारण बन सकता है। लंबे समय तक कार्डियो करने से शरीर में कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है, जिससे चिंता हो सकती है। सभी तरह की एक्सरसाइज़ का सही संयोजन करें और समय-समय पर ब्रेक भी लें।

4. खुद पर बहुत ज़्यादा दबाव डालना:  व्यायाम का उद्देश्य स्वस्थ रहना है, लेकिन जब हम खुद पर बहुत ज़्यादा दबाव डालते हैं, तो यह तनाव का कारण बन सकता है। यह तनाव धीरे-धीरे चिंता में बदल सकता है। खुद पर बहुत ज़्यादा दबाव डालने के बजाय, यथार्थवादी लक्ष्य निर्धारित करें और धीरे-धीरे अपने प्रदर्शन में सुधार करें।

 

5. सही तकनीक का पालन न करना:  गलत तरीके से व्यायाम करने से आपका शरीर थक सकता है और चोटिल हो सकता है, जो अंततः चिंता का कारण बन सकता है। व्यायाम की सही तकनीक और स्थिति का ध्यान रखें, ताकि आपको मानसिक संतुलन और शांति मिल सके।